कविता
ज्ञान हीन प्रचार करें, ज्ञान कथे दिन रात । जो सर्व को खाने वाला ,कहें उसी की बात । सब कहें भगवान कृपालु हैं ,कृपा करें दयालु। जिसकी सब पूजा ...
ज्ञान हीन प्रचार करें, ज्ञान कथे दिन रात । जो सर्व को खाने वाला ,कहें उसी की बात । सब कहें भगवान कृपालु हैं ,कृपा करें दयालु। जिसकी सब पूजा ...
करूणा करो,कष्ट हरो,ज्ञान दो भगवन, भव में फँसी नाव मेरी,तार दो भगवन, दर्द की दवा तुमरे पास हैं, ज़िन्दगी दया की मैं भीख माँगतीं । मन बसा कर त...
जल म कुम्भ कुम्भ में जल है, बाहर भीतर पानी । फूटा कुम्भ जल जलहि समाना ,यह तथ कह्यौ गयानी । भावार्थ— :जब पानी भरने जाएं तो घडा जल में रहता है...
मैं रोवत हूं सृष्टि को ,ये सृष्टि रोवे मोहे । गरीबदास इस वियोग को, समझ न सकता कोये। भावार्थ—: इस वाणी में संत गरीबदास जी कह रहे हैं ,कि कबी...
गुरुदेव भगवान के चरण कमल में मुझ तुच्छ बुद्धि अज्ञानी प्राणी का कोटि कोटि दन्डवत प्रणाम।मुझ निच दो कौड़ी प्राणी का गुरु देव जी की प्यारी आत्...
एक राजा ने कबीर साहिब जी से प्रार्थना की किः आप दया करके मुझे साँसारिक बन्धनों से छुड़ा दो ,तो कबीर जी ने कहा आप तो हर रोज पंडित जी से कथा क...
नरहरि लागी लौं विकार बिनु इंधन,मिले न बुझावन हारा ।में जानों तोही से ब्यापे,जरत सकल संसारा । पानी माहीं अगिन को अंकुर ,जरत बुझ...
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर। लोग अकसर जिंदगी भर हाथ में मोती की माला को घुमाते रहते हैं, पर उनके ...
अनंत कोटी ब्राह्मड का ,एक रति नहीं भार। सद्गुरू पुरूष कबीरदास ,ये कुल के सृजन हार । दादू:- जिन मोकू निज नाम दिया, सोई सतगुरू ह...
अदली आरती असल अजूनी,नाम बिना है काया सूनी । झूठी काया खाल लुहारा, इला पिंगुला सुषमन द्वारा । कृतघनी भूले नरलोई , जा घट निश्चय नाम न ह...
नूर की आरती नूर के छाजै ,नूर के ताल पखावज बाजै । नूर के गायन नूर कुं गावै, नूर के सुनते बहुर न आवैं । नूर की बाणी बोलै नूरा , झिलमिल नूर रहा...
पहली आरती हरि दरबारे,तेजपुनज जहां प्राण उधारे । पाती पंच पौहप कर पूजा,देब निंरजन और न दूजा । खण्ड खण्ड में आरती गाजै ,सकलमयी हरि जोति वि...
अनाहत मंत्र सुख सलाहद मंत्र , अजोख मंत्र बेसुन मन्त्र निबारन मन्त्र थीर है ।आदि मन्त्र युगादि मन्त्र , अंचल अभंगी मन्त्र ...
जाके दिल में हरि बसै, जो जन कलपै काहि । एक ही लहरि समुद्र की ,दुख दारिद्र बहि ज़ाहि । अर्थ —:कोई व्यक्ति क्यों दुखी होवै या रोय यदि उसके ह...
द्रोपद सुता कुं दीन हें लीर ,जाके अनन्त बढ़ाये चीर । रूकमनी कर पकड़ा मुस्काई , अनन्त कहा मोकुं समझाई । दुशासन कुं ...
अब रस गोरस का सुनौ बियाना। खीर खाँड़ साहिब दरबाना । मोहन भोग मानसी पूजा । मेवा मिस्री का है कूजा । लड्डू जलेबी लाड़ कचौरी । खु...
मेरी जान भी तुम, मेरा ध्यान भी तुम ,मेरी धड़कन भी तुम, मेरी मुस्कान में तुम ,मेरे रुदन भी तुम ,जीवन क...
ऐसा सतगुरू मिल गया ,देखया अगम अगाध । गरीब ,पिण्ड ब्रह्माण्ड सैं अगम हैं ,न्यारी सिन्धु समाध । ऐसा सतगुरू मिल गया ,दिया अखै प्रसाद । ...
गरीब,साहिब से सतगुरु भये, सतगुरु से भये साध । ये तीनों अंग एक है, गति कछु अगम अगाध । गरीब, साहिब से सद्गुरू भये , सतगुरु से भये संत । धर -धर...
बड़ी ख़ुशहाली से जीवन व्यतीत हो रहा था. एक दिन मेरा बेटा ,बेटी मेरे से मिलने मेरे पास आए हुए थे . सर्दियों के दिन थे . रात को सब ने इकठे खा...