दुखो से बचने के लिये भक्ति ज़रूरी - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

Page Nav

HIDE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Breaking News:

latest

दुखो से बचने के लिये भक्ति ज़रूरी

मेरी जान भी तुम, मेरा ध्यान भी तुम ,मेरी धड़कन भी तुम, मेरी मुस्कान में तुम ,मेरे रुदन भी तुम ,जीवन क...






मेरी जान भी तुम, मेरा ध्यान भी तुम ,मेरी धड़कन भी तुम, मेरी मुस्कान में तुम ,मेरे रुदन भी तुम ,जीवन के अंदाज भी तुम हो  ,

सुर भी तुम हो ,ताल भी तुम ,अधरों की हर आवाज़ भी तुम, दिन भी हो तुम ,रात भी हो तुम, मेरे हर सुर का साज भी तुम ,

मेरी हर उड़ान के पंख भी तुम ,मेरे जीवन के परवाज़ भी तुम, मेरी मन्नत और अरदास भी तुम ,मेरी दुआ का आग़ाज़ भी तुम

परमेश्वर  जी ने कहा है ,कि जो व्यक्ति संसार में अधिक धन संपत्ति के स्वामी हैं, सामान्यतः जनता उनको धनवान कहती है। कि उस धनवान व्यक्ति की मृत्यु हो गई, सारा धन यहीं छोड़ गया। जब धन यहीं रह गया ,तो वह संसार से निर्धन बनकर गया। जो भक्त भक्ति करता है। वह राम नाम की कमाई करके राम नाम का धन संग्रहित करता है। भक्त को यहाँ पर भी परमात्मा धन देता है, मृत्यु के उपरांत भक्ति धन उसके साथ जाता है। धनवंता अर्थात् साहूकार तो वह है ,जिसके पास राम नाम की भक्ति का धन है।
परमेश्वर ने बताया कि पहले तो लक्षण सुन  :-गुरू के लक्षण चार बखाना,
प्रथम वेद शास्त्र को ज्ञाना (ज्ञाता) 
दूजे हरि भक्ति मन कर्म बानी,
तीसरे समदृष्टि कर जानी।
चौथे वेद विधि सब कर्मा, यह चार गुरु गुण जानो मर्मा।
भावार्थः- जो  पूर्ण सतगुरु होगा ।
उसमें चार मुख्य गुण होते हैंः-
1. वह वेदों तथा अन्य सभी ग्रन्थों का पूर्ण ज्ञानी होता है।
2. दूसरे वह परमात्मा की भक्ति मन-कर्म-वचन से स्वयं करता है, केवल वक्ता-वक्ता नहीं होता, उसकी करणी और कथनी में अन्तर नहीं होता।
3. वह सर्व अनुयाईयों को समान दृष्टि से देखता है। ऊँच-नीच का भेद नहीं करता।
4. चौथे वह सर्व भक्तिकर्म वेदों के अनुसार करता तथा करवाता है। अर्थात् शास्त्रानुकूल भक्ति साधना करता तथा करवाता है। यह ऊपर का प्रमाण तो सूक्ष्म वेद में है। जो परमेश्वर ने अपने मुख कमल से बोलता है। पूर्ण परमात्मा अपने निज धाम अविनाशी स्थान सत्य लोक से सशरीर आता ,सशरीर जाता हैं । 
अपनी अच्छी आत्माओं दढ भक्तों को मिलते हैं ।तत्व ज्ञान  उपदेश करने के उद्देश्य से  जिस का प्रणाम शास्त्रों में मिलता है,।अनेकों पुस्तकों पर परमात्मा की महिमा लिखी है (पाँचवा) यानि 5 शास्त्र ( तत्व ज्ञान )पूर्ण ब्रह्मांड में किसी के पास नहीं है ,सिवाये सद्गुरू के पूर्ण परमात्मा दिन रात तन्मय कार्यो में व्यस्त हैं ।हम भाग्यशाली हैं उन के मुखारबिंद से तत्वज्ञान  सुन कर आनन्द ले रहें हैं। मन को सुकून मिलता हैं ,भगवान इतना  सुख भी ना देना आप को भूल जाऊँ। दुख भी बना रहे ,ताकि तेरी याद हर पल बनी रहे,अब कोई ओर इच्छा नहीं ,सब्र सबुरी में बड़ी ताक़त होती हैं ।

                                                
                                         https://www.myjiwanyatra.com

No comments