My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari ): My Jiwan Yatra

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नया जन्म- 1

                                बहुत पुराने समय की बात है सन 1947  जब न बिजली होती थी  न ही घड़ी हुआ करती थी, न ही पैसे का लेन देन  फिर भी ख...

बचपन की यादें- 2

मेरी ममी ने गहरी सोच विचार कर के कहा ,नहीं में ऐसा नहीं करूँगी . जो भी जीव इस दुनिया में आता हे . वह अपनी क़िस्मत अपने साथ लेकर आता हे...

एकता में बल-3

मेरी मासी की शादी बड़ी धूमधाम से हुईं . वह अपनी दोनो बहनो से बहुत सुन्दर थी . मेरे साथ उनका बहुत लगाव था . उस जमाने में औरते घर पर ही काम कि...

ख़ुशी के पल -4

मेरे दादाजी, गायत्री के पाठ के साथ साथ वह बड़े बड़े कोनफ़्रांस , और सम्मेलनों में ज़ाया करते थे . जब जीत कर आते तो लोग उन्हें फूलो की माला ...

क़ीमती पल- 5

मेरे दादा जी बहुत उच्च विचारो के थे. वे हमें किसी के घर का खाना नहीं खाने देते थे . वे हक़ हलाल की कम...

शुक्रिया मालिक का- 6

मैंने अलग अलग गाँव में काम किया . गाँव चाहेड़ू , महेड़ू , नारंग पुर , और फगवाड़ा वहाँ पर मेरे अच्छे काम को देख बहुत सराहा ओर 6 महीन...

अच्छे संस्कार -7

इस ख़ुशी के दौरान हमने लड़के वालों से लड़के की फ़ोटो माँगी. तो लड़के की सौतेली माँ ने मना कर दिया ,क्योंकि वो नहीं चाहती थी।कि लड़के की शाद...

इंडिया की यात्रा- 9

बाहर आने से पहले मेरे मम्मी पापा जी मुझे कई जगह लेकर गये दर्शनों के लिये हरिद्वार ,चिन्तपुरनी ,मनसा देवी मंदिर देख कर मन अति प्रसन्न हुआ लोग...

होम स्वीट होम - 11

उसी दिन ही हमारा डिनर उन फ़ैमिली के घर था ।जो मुझे एयरपोर्ट पर लेने आए थे. उनसे मिल कर बहुत ख़ुशी हुई , अपनापन महसूस हुआ. मुझे ऐसा नहीं लगा ...

नोर्वे की यात्रा- 13

इण्डिया से जो मैं गिफ़्ट लेकर आई थीं. वो इन्हें दिया और इंडिया की स्पेशल मिठाई से इनका मुँह मीठा किया और मैंने अपने मम्मी ,पापा को फ़ोन क...

दूसरा जन्म - 12

यहाँ पर मेरा नया जनम ही था. यहाँ आकर मैंने स्कूल शुरू किया . क्योंकि यह मेरे लिए बहुत ज़रूरी था. इंडिया की भाषा औ...

ज्ञान का भण्डार- 14

                                           हमारा अपना भी विजनस था. स्कूल से फ़्री होकर मैं शॉप पर चली जाती. वहाँ हमारा इंटर्नैशनल एमपोरिया ,...

1st टाइम लंदन का ट्रिप -15

काम और पढ़ाई के साथ साथ हमने फ़ुल एंजोय भी किया. गर्मियों में हम Tivoli, Bakan एंजोये करने के लिए जाते थे. गोरे मुझे देख कर बहुत खुश होते थ...

मेरे दो अनमोल रतन- 16

शादी के बाद मेरी इच्छा थी कि मेरे लड़की हो तो उसका नाम मैं मीनाक्षी रखूँगी. इसकी भी एक स्टोरी हैं . जो हम आपको फिर शेयर करेंगे. फिर हमारे ब...

कभी ख़ुशी कभी ग़म - 18

जब बेटी 18 साल की हुई तो शर्मा जी ने सभी स्टूडेंट्स की रेस्टोरैंट में सर्प्राइज़ पार्टी अरेंज की .जिसमें म्यूज़िक, DJ, इंडीयन फ़ूड और कई प...

विधि का विधान - 19

क्योंकि भाई भी वहाँ पर अकेला ही रहता था. मम्मी का वहाँ जा कर दिल नहीं लगा . क्योंकि वह बच्चों को भी वहाँ पर मिस कर रहे थे . यहाँ का खुला वात...

भगवान पर अटूट विश्वास - 20

यू ही वक़्त गुज़रता गया ।बेटी ने बिज़नस को सम्भाला . बेटा अभी कोर्स कर रहा था. तो बेटी ने अपना सारा विजनस अपने पापा की तरह सम्भाला. इस को...