अच्छे संस्कार -7 - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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अच्छे संस्कार -7

इस ख़ुशी के दौरान हमने लड़के वालों से लड़के की फ़ोटो माँगी. तो लड़के की सौतेली माँ ने मना कर दिया ,क्योंकि वो नहीं चाहती थी।कि लड़के की शाद...


इस ख़ुशी के दौरान हमने लड़के वालों से लड़के की फ़ोटो माँगी. तो लड़के की सौतेली माँ ने मना कर दिया ,क्योंकि वो नहीं चाहती थी।कि लड़के की शादी हो .कुछ समय बाद लड़के का ऐक्सिडेंट हो गया ओर काफ़ी सारी चोटें आईं तो लड़के की माँ ने कहा ,लड़की हमारे लिए अपशगुन हैं, क्यूँकि रिश्ता करने के बाद ही मेरे बेटे का ऐक्सिडेंट हो गया ,और उन्होंने कहाँ कि आप अपनी लड़की के लिए रिश्ता कही और ढूँढ ले , हमें यहाँ रिश्ता नहीं करना हैं , और मेरे मम्मी ,पापा ने मेरे लिए बहुत रिश्ते देखें ओर आयें भी लेकिन मैंने उन सब को रेजेक्ट कर दिया. 
मैंने ने तय कर लिया, कि अब मैं ज़िंदगी में क़भी भी शादी नहीं करूँगी. उसके बाद मैं अपने काम में यूँ ही व्यस्त रही. 4- 5 साल कैसे निकल गये समय का पता ही नहीं चला. मैं काफ़ी धार्मिक विचारो वाली थी.और मुझे भगवान पर पूरा विश्वास था ।जो भी होगा अच्छा ही होगा ना खुशी में ज़्यादा खुश ना गमी में ज़्यादा ग़म  होना चाहिए ।
4-5 साल के बाद लड़के की बहन हमारे घर आयीं , साथ में लड़के की. 5,6  फ़ोटो भी सभी को दिखाई और मेरे पिता जी  मम्मी को कहने लगी ,कि हमारी तरफ़ से यह रिश्ता पक्का हैं . मैं चाहती हूँ ।कि मेरे भाई का घर बस जाए. जिससे हमें बहुत ख़ुशी होगी . बाकि अपने घर वालों के ग़लत निर्णय के लिए मैं क्षमा माँगती हूँ ।

हूँ आप बुरा ना मानें जिस से मेरा रिश्ता तह हुआ है ,जिसका भगवान पर अटूट विश्वास हो मैं उस की आत्मा को दुख नहीं दे 
सकता जैसा आप उचित समझें लड़की को बाहर भेज दे ।क्योंकि मैंने नानाजी यानि  बाई जी के साथ परोमिस ( Promise ) किया था .उनहोका शगुन आज भी मेरे पास है ।सम्भाल कर रखा है उन की सब बातों ने मुझे बहुत प्रभावित किया ।

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