ये रिश्ता क्या कहलाता हैं- 8 - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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ये रिश्ता क्या कहलाता हैं- 8

लड़के की बहन के रिश्ता माँगने पर मेरे नाना जी ने उन्हें हाँ कर दी. और लड़के की बहन ने कहा कि लड़की को बाहर ही भेजना पड़ेगा. क्योंकि लड़का इ...



लड़के की बहन के रिश्ता माँगने पर मेरे नाना जी ने उन्हें हाँ कर दी. और लड़के की बहन ने कहा कि लड़की को बाहर ही भेजना पड़ेगा. क्योंकि लड़का इंडिया नहीं आ सकता. लेकिन लोगों का यह कहना था कि हमने लड़का देखा नहीं तो हमें क्या पता लड़का कैसा हैं? शायद ऐक्सिडेंट के बाद उस में कोई प्रोब्लम हो. हम तो जानते ही नहीं. कहा जाता हैं कि जितने मुँह उतनी बातें।
मेरे विचार अनुसार : अगर मेरी क़िस्मत में ऐसा लिखा हे तो मुझे मंज़ूर है। इंसानियत के नाते अगर लड़के का ऐक्सिडेंट शादी के बाद हो जाता तो शायद भगवान मेरी परीक्षा ही ले रहा है . भगवान ने मुझे जिस हाल में रखा हे ,मैं बहुत खुश हूँ. और मुझे भगवान पर पूरा विश्वास है।
फिर मेरे पिता जी ने अपने छोटे भाई से बात की ,जो लंदन में रहते थे. और उन्होने लड़के को फ़ोन किया ओर कहा कि मैं लड़की का चाचा बोल रहा हूँ जिससे तुम्हारा रिश्ता पक्का हुआ है। क्या तुम मुझे लंदन मिलने आ सकते हो ? तो लड़के ने कहा ज़रूर  क्यो नही।
लड़का engineer था. उसने काम पर से छुट्टियाँ ली ,और लंदन चाचा जी से मिलने गये ,और वहाँ पर आपसी बातचित हुई, मेरे चाचा जी बहुत मज़ाक़िया थे. काफ़ी हंसी - मज़ाक़ भी हुआ. फिर चाचा जी ने काम की बात की और बोले, हमारी लड़की बड़ी धार्मिक विचारो वाली हैं . लोगों के कितना कहने पर भी ,उसकी एक ही बात रही कि अगर लड़के का ऐक्सिडेंट शादी के बाद होता तो ,5 साल उसने तुम्हारी प्रतीक्षा की, और उसने यह भी ठान लिया था कि वो कभी शादी नहीं करेगी. अब तुम बताओ तुम्हारा क्या विचार हैं ?

लड़के ने बहुत ख़ुशी से कहा कि मैं इस रिश्ते  से बहुत खुश हूँ. और मुझे लड़की पर  बहुत गर्व है ।इससे अच्छा रिश्ता मेरे लिये कोई और हो ही नहीं सकता ।बाहर आने से पहले ही लड़की के नाना जी ने और मासी जी ने मुझे देखा और बात चीत  हुई और शगुन दे दिया था। मैं बड़ों का बहुत समान करता हूँ। जैसे आप कहेंगे बैसा ही होगा ।उन्होंने कहा लड़की को अपने पास बुला लो चाचा जी को लडके की नेचर बहुत अच्छी लगी मिलन सार है ।लड़के की सोच बहुत ऊँची है ,उस ने अपनी हर एक बात शेयर की  बाईं जी मासी जी की प्रशंसा की उन की बदौलत मैं यहाँ पर हूँ ।उनका काफ़ी  प्यार मिला ।लड़के ने घर में पत्र लिखा जिस में लिखा था ।
मैं टिकट भेज रहा हूँ ।अब  तुम आने की तैयारी कर ले ।लड़की के पिता ने अपना धर्म (यानि ) फ़र्ज़ निभाते लड़के वालों के घर गये
उन के माता-पिता से पूछा तुम्हारा क्या बिचार है ? लड़के के पिताजी ने कहा मेरी  तरफ़ से तो हाँ है ।लड़के की माँ को मनाना  
मुश्किल है मेरे पिता जी वापिस आ गये कुछ दिन बाद गुरू पूर्णिमा के दिन घर मैं हवन किया और फ़ोटो मैरिज कर दीं यहाँ 
मैं काम  करती थीं वहाँ इस्तीफ़ा दे दिया ,बाहर आने के लिये शांपिग शुरू कर दी आज तक मैं कभी जालंधर से लुधियाना  अकेली नही गई थी ,बाहर आना तो मेरे लिये बहुत बडी बात थी ।
शेष कल-






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