हम तेरे हैं, तेरे थे , तेरे ही रहेंगे... तेरी याद में, प्रेम से तेरे ही गुणगान गाते रहेंगे। यह शरीर परमात्मा की कृपा से उनको पाने के लिये ही...
यह शरीर परमात्मा की कृपा से उनको पाने के लिये ही मिला है। उनके सिवाय सब कुछ नश्वर है, छूटने वाला है l उनके सिवाय कोई अपना है ही नहीं ।सारे रिश्ते नाते , धन , जमीन आदि यहीं छुट जाएंगे , इनसे क्या नेह लगाना ।जैसे हमें अपने पिछले जन्म के रिश्ते नाते अब याद नही , ऐसे ही अगले जन्म में इनकी याद ना होगी । इसीलिए कहा है। कि दिल उसी से लगाओ , जिसने ये दिल बनाया है ,और हमारे दिल को धड़कन दी हैं ।
सारे वेद-शास्त्र, संत हमें समझाते हैं कि जीवात्मा ईश्वर के सान्निध्य में रहकर ही आनन्द का भोग करती है। यही जीवात्मा की चरम सुख की अवस्था होती है। इसके बाद जीवात्मा की कोई अभिलाषा शेष नहीं रहती l इसलिए हमें अपनी मृत्यु का चिंतन करते हुए ,अपने मन को सच्चे हृदय से निरंतर हरि-गुरु भक्ति में ही लगाने का प्रयास करना चाहिए, यही जीवन का सार है। मृत्यु के उपरान्त केवल यह भक्ति ही साथ जाएगी जो हमें सद्गति दिला सकती है। और जिससे संसार में आवागमन का चक्र समाप्त हो जाता है।
भक्तों को अपनी भक्त्ति को सदैव गोपनीय रखना चाहिए , इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहिए | इन्हें किसी को बताने से ये लुप्त हो जाती है। और कभी कभी ये अहंकार का कारण भी बनती हैंl जिस प्रकार हम अपने लौकिक धन सम्पति को छिपा कर रखते है, किसी को सहज नहीं बताते l
यात्रा में चलते समय पैसो को पर्स में और पर्स को सुरक्षित स्थान पर छिपा लेते हैं l उसी प्रकार साधकों, भक्तों को भी अपनी भक्त्ति को सदैव गोपनीय रखना चाहिए ।आपकी बात आप दोनों में ही रहनी,चाहिए ,इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहिए l सद्गुरू जी हमें हमारी की हुई ग़लतियों को माफ़ करते हैं ।
एक हम ही हैं जो सांसारिक सुखों की प्राप्ति के लिए अपने क़ीमती ज़िन्दगी को बर्बाद कर रहे हैं। हमारे मन की प्रविति समुद्र की लेहरो के समान है। हर क्षण वदलती रहती हैं। सृष्टि को भगवान ,मालिक ,ने कितने प्यार से बनाया है। संयम मे रहकर हमें उन की बनाई हुई सृष्टि की उत्पत्ति की महिमा का गुणगान करना चाहिए ।
सही विधि से उपासना कर के अपनी जीवन यात्रा को सफल बनाये। कल का दिन किसने देखा है,आज का दिन हम खोएँ क्यों ,जिन घड़ियों में हँस सकते हैं, उन घड़ियों में रोएँ क्यों। हर हाल में खुश रहे ।मालिक की मौज मस्ती में अपना वक़्त व्यतीत करें। हर पल शुक्र मनाये ,शब्द रूपी ज्ञान का गुणगान करें। सच्चे परमात्मा कबीर जी की कृपा सब पर बनी रहे ।जोकिटट पूर्ण यूनिवर्सल का मालिक है ।
शेष कल—:
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