नया जन्म- 1 - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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नया जन्म- 1

                                बहुत पुराने समय की बात है सन 1947  जब न बिजली होती थी  न ही घड़ी हुआ करती थी, न ही पैसे का लेन देन  फिर भी ख...

                               


  1. बहुत पुराने समय की बात है सन 1947  जब न बिजली होती थी  न ही घड़ी हुआ करती थी, न ही पैसे का लेन देन  फिर भी खाने पीने की बड़ी मौज हुआ करती थी। कोई कमी नहीं थी ,और घर भी बड़े २ हुआ करते थे. लोगों की चहल पहल भी खूब हुआ करती थी. आपस में प्यार भी बहुत हुआ करता था । न ही कोई बीमारी ना ही कोई दुःख, बहुत ख़ुशी के दिन हुआ करते थे. गाँव की ठंडी २ हवा पक्षियों की चहचहाए, मोर  की आवाज ,कोयल की सुरीली आवाज़ बहुत अच्छी लगती थी. सावन के महीने तियाँ लगती थी. पुराने ज़माने के लोग समझ दार हुआ करते थे गाँव में स्कूल पाँचवीं क्लास तक ही सीमित थे ।पुरूष औरतें सब मिलकर काम किया करते थे ।बच्चे भी खूब साथ देते थे ,घर का महौल बहुत अच्छा लगता था बड़ी ख़ुशी हुआ करती थी गाय भैंस का ख़्याल रखना चारा समय पर देना पानी पिलाना  आदि आदि। गाय भैंस का चारा पढ़नानी सपैशिल अपने हाथों से बनाती थी ।काले चने जौ पानी में भिगोकर औखली में कूट कर खलाती थी। बारिश की कीन मिन माटी की सोंदी सोंदी ,खशबू की सुगंध बड़ी अच्छी लगती थी। शाम को औरतें इकट्ठी हो कर संगीत गाती साथ हँसीं मज़ाक़ करती थीं  यू ही दिन व्यतीत हो जाता पता भी नहीं चलता। खेतों से मन मर्ज़ी की सब्ज़ी ला कर बनाते थे।
  2. बड़े स्वादिष्ट लगती घर का होममेड घी डाल कर खाना परोसती बच्चे अपना होम वर्क कर के इकट्ठे खेला करते थे  मुहल्ले की औरतें सज धज के  गाना ढोलक बजाना , शादी पर जागो निकालना, उन का सब से बड़ा पैशन था. उस समय मकान कच्ची इंटो के हुआ करते थे. नालियाँ सड़कें भी नहीं थी. घर २ में पशु भेस ,गाये, बकरी सभी के पास होती थी. दूध दही की कोई कमी नहीं थी. मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाते थे, खाने का स्वाद बहुत ही लाजवाब होता था. गोबर के उपले बनाकर उन्ही से ही खाना पकाया जाता था. 
  3. गाँव में ठेले बाले सब्ज़ी  बेचने आते, सब्ज़ी के बदले में उन्हें कोई कनक या मक्की बाजरा देते थे. जब मेरा जन्मदिन था. उस दिन मंगलवार का दिन था. कलैनडर भी नही था, घडी भी नहीं थी. तो मेरी  पड़ नानी ने कहा कि यह लड़की मंगल बार हुई हैं .  इसे  पानी  में बहादे .इसका मंगल ग्रह शुभ नहीं  हे. मेरी  मम्मी बड़ी  सोच में पड़ गई ।अब क्या करूँ , सब भगवान पर छोड़ दिया वह जो करेगा  अच्छा ही होगा। जो पूर्ण परमात्मा यूनिवर्सल के मालिक हैं उन पर मुझे विश्वास है।सब सोच बिचार कर फ़ैसला लिया जो इस के भाग्य मे परमात्मा ने लिखा होगा तो देखा जायेगा   https://www.myjiwanyatra.com/





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