दिल्ली भी मैं पहली बार गई थीं. वहाँ पर मेरी बड़ी बहन और भुआ भी दिल्ली में रहती थे. वहाँ पर मैंने खूब एंजोये किया. और मैंने वहाँ पर कोका- को...
दिल्ली भी मैं पहली बार गई थीं. वहाँ पर मेरी बड़ी बहन और भुआ भी दिल्ली में रहती थे. वहाँ पर मैंने खूब एंजोये किया. और मैंने वहाँ पर कोका- कोला की नई फ़ैक्टरी भी देखीं. दिल्ली में औखला नाम की जगह देखने वाली है. यह पहाड़ियों के बीच हैं और हम बादलों को हाथ में पकड़ सकते हैं. वहाँ का नैचुरल माहौल देख कर बहुत ख़ुशी हुई, लोगों की चहल-पहल देखने को बनती थीं.
दूसरे दिन मेरी फ़्लाइट थी. और उस दिन सभी मुझे एयरपोर्ट चढ़ाने के लिए गये. मैं बहुत घबराई हुई थीं ,और उदास भी थी.
घर वाले मुझ से भी ज़्यादा उदास और घबराए हुए थे. क्योंकि हमारी बेटी कभी घर से बाहर अकेली नहीं गई. और हम उसे दूर परदेस में भेज रहे हैं। दिल्ली से मास्को तक की फ़्लाइट थी. मास्को से नेक्स्ट फ़्लाइट लेने में हमारे पास 3-4 घंटे का समय था. एयर्पॉर्ट वालों ने हम सभी पैसेंजर को बस में ले जाकर ,मास्को की फ़ेमस जगह दिखाई. वहाँ का नजारा भी देखने वाला था, काफ़ी सारे टूरिस्ट भी थे.
सब अपने -अपने कैमरे ले कर फ़ोटो खिचने लगे. फिर वापिस एयर्पॉर्ट आ गये. दुबारा एंट्री करते समय हमने अपने पास्पोर्ट उन्हें दिखाये, वह हमारा चेहरा देख कर , और पास्पोर्ट को देख कर हमें आगे जाने दिया . उन्हें हमारी भाषा नहीं आती और हमें उनकी भाषा फिर मैंने मास्को से डेनमार्क की फ़्लाइट ली. और सीधी डेनमार्क पहुँच गई. यहाँ मुझे एयर्पॉर्ट पर लेने मेरे husband और उनके दोस्त आए. उन सब ने मेरा फूलों के साथ वैलकम किया ।
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