गरीब,साहिब से सतगुरु भये, सतगुरु से भये साध । ये तीनों अंग एक है, गति कछु अगम अगाध । गरीब, साहिब से सद्गुरू भये , सतगुरु से भये संत । धर -धर...

गरीब,साहिब से सतगुरु भये, सतगुरु से भये साध ।
ये तीनों अंग एक है, गति कछु अगम अगाध ।
गरीब, साहिब से सद्गुरू भये , सतगुरु से भये संत ।
धर -धर भेष विशाल अंग , खेले आदी और अन्त ।
गरीब , ऐसा सद्गुरू सेइये , बेग उतारे पार ।
चौरासी भ्रम मेटही , आवा गवन निवार ।
गरीब, अन्धे गूँगे गुरू घने , लंगड़े लोभी लाख ।
साहिब सै पर्चे नाही काव बनावे साख ।
गरीब, ऐसा सद्गुरू सेईये ,शब्द समाना होये।
भौ सागर में डूबते ,पार लंघावै सोय ।
गरीब, ऐसा सद्गुरू सेइये ,सोह सिंधु मिलाप ।
तुरियाँ मध्य आसन करै , मेटें तीनयों ताप ।
गरीब ,तुरियाँ पर पुरियाँ महल , पार ब्रह्म का देश ।
ऐसा सतगुरु सेइये , शब्द विगयाना नेस ।
गरीब ,तुरियाँ पर पुरियाँ महल ,पार ब्रह्म का धाम ।
ऐसा सद्गुरू सेईये ,हंस करे निहकाम ।
गरीब ,तुरियाँ पर पुरियाँ महल , पार ब्रह्म का लोक ।
ऐसा सतगुरु सेईये , हंस पठावैं मोख ।
गरीब, तुरियाँ पर पुरियाँ महल ,पार ब्रह्म का द्वीप ।
ऐसा सद्गुरू सेईये , राखें सगं समीप ।
गरीब ,गगन मंडल गादी जहाँ ,पार ब्रह्म असथान ।
सुन्न शिखर के महल में हंस करें विश्राम ।
गरीब सतगुरू पूर्ण ब्रह्म है सतगुरू आप अलेख ।
सतगुरु रमता राम है , यामें मीन न मेख
गरीब ,सद्गुरू आदि अनादि है , सतगुरु मध्य हैं मूल ।
सदगुरू कुं सिजदा करूँ ,एक पलक नहीं भूल ।
गरीब ,पटट्न घाट लखाइयाँ ,अगम भूमि का भेद ।
ऐसा सतगुरु हम मिलया ,अष्ट कमल दल छेद ।
गरीब पट्टन घाट लखाईयां अगम भूमि का भेव ।
ऐसा सतगुरु हम मिलया ,अष्ट कमल दल सेव ।
ज्ञान ,प्रपटटन की पीठ में ,सतगुरु ले गया मोही ।
गरीब, साहिब से सद्गुरू भये , सतगुरु से भये संत ।
धर -धर भेष विशाल अंग , खेले आदी और अन्त ।
गरीब , ऐसा सद्गुरू सेइये , बेग उतारे पार ।
चौरासी भ्रम मेटही , आवा गवन निवार ।
गरीब, अन्धे गूँगे गुरू घने , लंगड़े लोभी लाख ।
साहिब सै पर्चे नाही काव बनावे साख ।
गरीब, ऐसा सद्गुरू सेईये ,शब्द समाना होये।
भौ सागर में डूबते ,पार लंघावै सोय ।
गरीब, ऐसा सद्गुरू सेइये ,सोह सिंधु मिलाप ।
तुरियाँ मध्य आसन करै , मेटें तीनयों ताप ।
गरीब ,तुरियाँ पर पुरियाँ महल , पार ब्रह्म का देश ।
ऐसा सतगुरु सेइये , शब्द विगयाना नेस ।
गरीब ,तुरियाँ पर पुरियाँ महल ,पार ब्रह्म का धाम ।
ऐसा सद्गुरू सेईये ,हंस करे निहकाम ।
गरीब ,तुरियाँ पर पुरियाँ महल , पार ब्रह्म का लोक ।
ऐसा सतगुरु सेईये , हंस पठावैं मोख ।
गरीब, तुरियाँ पर पुरियाँ महल ,पार ब्रह्म का द्वीप ।
ऐसा सद्गुरू सेईये , राखें सगं समीप ।
गरीब ,गगन मंडल गादी जहाँ ,पार ब्रह्म असथान ।
सुन्न शिखर के महल में हंस करें विश्राम ।
गरीब सतगुरू पूर्ण ब्रह्म है सतगुरू आप अलेख ।
सतगुरु रमता राम है , यामें मीन न मेख
गरीब ,सद्गुरू आदि अनादि है , सतगुरु मध्य हैं मूल ।
सदगुरू कुं सिजदा करूँ ,एक पलक नहीं भूल ।
गरीब ,पटट्न घाट लखाइयाँ ,अगम भूमि का भेद ।
ऐसा सतगुरु हम मिलया ,अष्ट कमल दल छेद ।
गरीब पट्टन घाट लखाईयां अगम भूमि का भेव ।
ऐसा सतगुरु हम मिलया ,अष्ट कमल दल सेव ।
ज्ञान ,प्रपटटन की पीठ में ,सतगुरु ले गया मोही ।
सिर साटे सौदा हुआ , अगली पिछली खोही।
गरीब प्रपटटन की पीठ में ,सतगुरु ले गया साथ ।
जहां हीरे मानिक बिके , पारस लग्या हाथ ।
गरीब प्रपटटन की पीठ में ,हैं सतगुरु की हाट ।
जहां हीरे मानिक विकै , सौदागर स्यो साट ।
गरीब , प्रपटटन की पीठ में सौदा है निज सार ।
हम कुं सतगुरु ले गया , औघट घाट उतार ।
गरीब प्रपटटन की पीठ में प्रेम प्याले खूब ।
जहां हम सतगुरू ले गया ,मतवाला महबूब ।
गरीब ,प्रपटटन पीठ में , मतवाले मस्तान ।
हम कुं ,सतगुरू ले गया ,अमरापुर असथान ।
गरीब ,बंक नाल के अंतरे , त्रिवेणी के तीर ।
मान सरोवर हंस है , बानी कोकिल कीर ।
गरीब बंकनाल के अंतरे , त्रिवेणी के तीर ।
जहां हम सतगुरु ले गया , चुवे अमीरस षीर।
गरीब , बंक नाल के अंतरे, तीर त्रिवेणी के तीर
जहां हम सतगुर ले गया,बन्दी छोड़ कबीर।
गरीब ,भँवर गुफा में बैठ कर ,अमी महारस जोख ।
ऐसा सतगुरु मिल गया , सौदा रोकम रोक ।
गरीब , भवंर गुफा में बैठ कर , अमी महारस तोल ।
ऐसा सतगुरु मिल गया बज्र पौल दई खोल ।
गरीब ,भवंर गुफा में बैठ कर अमी महारस जोख
ऐसा सतगुरु मिल गया ,ले गया हम प्रलोक ।
गरीब पिंड ब्रह्मांड सै अगम है न्यारी सिन्धु समाध ।
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