गरीब,सतगुरू भलका खैच कर लाया बान जु एक । स्वाँस उभारे सालता पड़या कलेजे छेक । गरीब,सतगुरु मारया बान कस , ख़ैबर ग्यासी खैच । भर...

गरीब,सतगुरू भलका खैच कर लाया बान जु एक । स्वाँस उभारे सालता पड़या कलेजे छेक ।
गरीब,सतगुरु मारया बान कस , ख़ैबर ग्यासी खैच । भर्म कर्म सब ज़र गये ,लई कुबुदधी सब ऐंच ।
गरीब, सतगुरू आये दया करी , ऐसे दीन दयाल । बन्दी छोड़ विरद तास का , जठराग्नि प्रतिपाल ।
गरीब, जठरागनी सैं राखियाँ , पयाया अमृत खीर । जुगन जुगन सत्संग है ,समझ कुटन बेपीर ।
गरीब, जुनी संकट मेट है, औंधे मुख नहीं आय । ऐसा सद्गुरू सेइये, जम सै लेत छुडाय ।
गरीब, जम जौरा जासै डरै , धर्म राय के दूत। चौदा कोटि न चंप ही, सुन सतगुर की कूत
गरीब,जम जौरा जासै डरैं , धर्म राय धरे धीर । ऐसा सद्गुरू एक है, अदली असल कबीर ।
गरीब,जम जौरा जासै डरैं , मिटें कर्म के अंक । काग़ज़ कीरे दरगह दई , चौदह कोटि न चंप ।
गरीब, जम जौरा जासै डरे , मिटे कर्म के लेख । अदली असल कबीर है , कुल के सतगुरू एक
गरीब, ऐसा सद्गुरू हम मिल्या, पहुँचया मँझ निदान । नौका नाम चढाय कर ,पार किये परमान ।
गरीब, ऐसा सद्गुरू हम मिल्या , भौ सागर के माहि। नौका नाम चढाय कर ,ले राखें निज़ ठाहि
गरीब, ऐसा सद्गुरू हम मिल्या , भौ सागर के वीच ।खेवट सब कुं खेवता, क्या उत्तम क्या नीच ।
गरीब,चौरासी की धार में, बहे जात है जीव । ऐसा सद्गुरू हम मिल्या , ले प्रसाया पीव।
गरीब, लख चौरासी धार में , बहे जात है हसं । ऐसा सद्गुरू हम मिलया,अलख लखाया बंस ।
गरीब, माया का रस पीय कर , फूट गये दो नैन । ऐसा सद्गुरू हम मिल्या , बास दिया सुख चैन ।
गरीब,माया का रस पीय कर , हो गये डामा डोल ऐसा सद्गुरू हम मिल्या , ज्ञान जोग दिया खोल ।
गरीब, माया का रस पीय कर, हो गये भूत ख़ईस। ऐसा सद्गुरू हम मिल्या, भक्ति दई बकसीस ।
गरीब, माया का रस पीय कर, फूट गये पट चार । ऐसा सद्गुरू हम मिल्या , लोयन संख उधार ।
गरीब , माया का रस पीय कर डूब गये दहूँ दीन । ऐसा सद्गुरू हम मिल्या, ज्ञान जोग प्रवीण ।
गरीब माया का रस पीय कर गये षट् दल गारत गोर । ऐसा सद्गुरू हम मिल्या, प्रगट लिये बहोर ।
गरीब,सतगुरु कुं क्या दीजिए,देने कूं कुछ नाही । समंन कूं साटा किया, सेऊ भेंट चढ़ाहि।
गरीब सिर साटे की भक्ति है ,और कुछ नाहि बात । सिर के साटे पाईये ,अवगत अलख अनाथ ।
गरीब सीस तुम्हारा जायेगा,कर सतगुरु कूं दान । मेरा मेरी छोड़ दे ,योही गोई मैदान ।
गरीब ,सीस तुम्हारा जायेगा,कर सतगुरु की भेंट। नाम निरंतर लीजिए ,जम की लगें न फेंट ।
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