गुरुदेव जी का अंग - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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गुरुदेव जी का अंग

गरीब,सतगुरू भलका खैच कर लाया बान जु एक । स्वाँस उभारे सालता पड़या कलेजे छेक । गरीब,सतगुरु मारया बान कस , ख़ैबर ग्यासी खैच । भर...





गरीब,सतगुरू भलका खैच कर लाया बान जु एक । स्वाँस उभारे सालता पड़या कलेजे छेक ।

गरीब,सतगुरु मारया बान कस , ख़ैबर ग्यासी खैच । भर्म कर्म सब ज़र गये ,लई कुबुदधी सब ऐंच ।

गरीब, सतगुरू आये दया करी , ऐसे दीन दयाल । बन्दी छोड़ विरद तास का , जठराग्नि प्रतिपाल ।

गरीब, जठरागनी सैं राखियाँ , पयाया अमृत खीर । जुगन जुगन सत्संग है ,समझ कुटन बेपीर ।

गरीब, जुनी संकट मेट है, औंधे मुख नहीं आय । ऐसा सद्गुरू सेइये, जम सै लेत छुडाय ।

गरीब, जम जौरा जासै डरै , धर्म राय के दूत। चौदा कोटि न चंप ही, सुन सतगुर की कूत

गरीब,जम जौरा जासै डरैं , धर्म राय धरे धीर । ऐसा सद्गुरू एक है, अदली असल कबीर ।

गरीब,जम जौरा जासै डरैं , मिटें कर्म के अंक । काग़ज़ कीरे दरगह दई , चौदह कोटि न चंप ।

गरीब, जम जौरा जासै डरे , मिटे कर्म के लेख । अदली असल कबीर है , कुल के सतगुरू एक

गरीब, ऐसा सद्गुरू हम मिल्या, पहुँचया मँझ निदान । नौका नाम चढाय कर ,पार किये परमान ।

गरीब, ऐसा सद्गुरू हम मिल्या , भौ सागर के माहि। नौका नाम चढाय कर ,ले राखें निज़ ठाहि

गरीब, ऐसा सद्गुरू हम मिल्या , भौ सागर के वीच ।खेवट सब कुं खेवता, क्या उत्तम क्या नीच ।

गरीब,चौरासी की धार में, बहे जात है जीव । ऐसा सद्गुरू हम मिल्या , ले प्रसाया पीव।

गरीब, लख चौरासी धार में , बहे जात है हसं । ऐसा सद्गुरू हम मिलया,अलख लखाया बंस ।

गरीब, माया का रस पीय कर , फूट गये दो नैन । ऐसा सद्गुरू हम मिल्या , बास दिया सुख चैन ।

गरीब,माया का रस पीय कर , हो गये डामा डोल  ऐसा सद्गुरू हम मिल्या , ज्ञान जोग दिया खोल ।

गरीब, माया का रस पीय कर, हो गये भूत ख़ईस। ऐसा सद्गुरू हम मिल्या, भक्ति दई बकसीस ।

गरीब, माया का रस पीय कर, फूट गये पट चार । ऐसा सद्गुरू हम मिल्या , लोयन संख उधार ।

गरीब , माया का रस पीय कर डूब गये दहूँ दीन । ऐसा सद्गुरू हम मिल्या, ज्ञान जोग प्रवीण ।

गरीब माया का रस पीय कर गये षट् दल गारत गोर । ऐसा सद्गुरू हम मिल्या, प्रगट लिये बहोर ।

गरीब,सतगुरु कुं क्या दीजिए,देने कूं कुछ नाही । समंन कूं साटा किया, सेऊ भेंट चढ़ाहि।

गरीब सिर साटे की भक्ति है ,और कुछ नाहि बात । सिर के साटे पाईये ,अवगत अलख अनाथ ।

गरीब सीस तुम्हारा जायेगा,कर सतगुरु कूं दान । मेरा मेरी छोड़ दे ,योही गोई मैदान ।

गरीब ,सीस तुम्हारा जायेगा,कर सतगुरु की भेंट। नाम निरंतर लीजिए ,जम की लगें न फेंट ।


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