ऐसा सतगुरू मिल गया ,देखया अगम अगाध । गरीब ,पिण्ड ब्रह्माण्ड सैं अगम हैं ,न्यारी सिन्धु समाध । ऐसा सतगुरू मिल गया ,दिया अखै प्रसाद । ...

ऐसा सतगुरू मिल गया ,देखया अगम अगाध ।
गरीब ,पिण्ड ब्रह्माण्ड सैं अगम हैं ,न्यारी सिन्धु समाध ।
ऐसा सतगुरू मिल गया ,दिया अखै प्रसाद ।
गरीब औघट घाटी ऊतरे , सतगुरू के उपदेश ।
पूर्ण पद प्रकािसया , ज्ञान जोग प्रवेश ।
गरीब , सुन्न सरोवर हंस मन , नहाया सद्गुरु भेद ।
सुरती निरति पर्चा भया ,अष्ट कमल दल छेद ।
गरीब सुन्न बेसुनन सै अगम है , पिंड ब्रह्मांड सै न्यार।
शब्द समाना शब्द में , अवगत वार न पार ।
गरीब सतगुरू कूं कुरबान जाँ ,अजब लखाया देस ।
पार ब्रह्म प्रवान हैं , निरालमभ निज नेस ।
गरीब, सतगुरू सोहं नाम दे , गुंज बीरज विस्तार ।
बिन सोहं सीझे नही ,मूल मन्त्र निज सार ।
गरीब सोहं सोहं धुन लगै , दर्द बन्द दिल माहि ।
सतगुरू पर्दा खोल ही परलोक ले ज़ाहि।
गरीब सोहं जाप अजाप है , बिन रसना होते धुन ।
चढ़े महल सुख सेज पर ,जहां पाप नही पुन्न ।
गरीब सोहं जाप अजाप है , बिन रसना होये धुनन ।
सतगुरू दीप समीप है , नही बस्ती नही सुन्न ।
गरीब सुन्न बस्ती सै रहित है , मूल मन्त्र मन माहि ।
जहां हम सतगुरू ले गया ,अगम भूमि सत ठाही
गरीब मूल मन्त्र निज नाम हैं ,सुरत सिन्धु के तीर ।
गैंबी बाणी अरस में, सुर नर धरें न धीर ।
गरीब अजब नगर मे ले गया ,हम कुं सतगुरू आन ।
झिलके बिम्ब अगाध गति , सुते चादर तान ।
गरीब ,अगम अनाहत दीप है ,अगम अनाहद लोक ।
अगम अनाहद गवन हैं ,अगम अनाहद मोख ।
गरीब सतगुरू पारस रूप हैं , हमरी लोहा जात ।
पलक बीच कंचन करै ,पलटैं पिण्डरू गात ।
गरीब हम तो लोहा कठिन है , सतगुरू बने लुहार ।
जुगन -जुगन के मोर्चे , तोड़ घड़े घणसार ।
गरीब हम पसुवा जन जीव है ,सतगुरू जात भीरंग ।
मुरदे सै ज़िन्दा करै , पलट धरत है अंग ।
गरीब सतगुरू सीकलीगर बने ,योह तन तेगा देह ।
जुगन -जुगन के मोर्चे ,खोवे भ्रम संदेह ।
गरीब सतगुरू कंद कपूर है ,हमरी तुनका देह।
स्वाति सीप का मेल है ,चंद चकोरी नेह ।
गरीब ऐसा सद्गुरु सेईये ,बेग उधारै हंस ।
भौ सागर आवै नही , जौरा काल विध्वंस ।
गरीब पट्टन नगरी घर करे ,गगन मण्डल गैनार ।
अल्ल पंख ज्यूँ संचरै ,सतगुरू अधम उधार ।
गरीब अल्ल पंख अनुराग है ,सुन्न मण्डल रहै थीर
दास गरीब उधारिया , सद्गुरु मिले कबीर ।
शेष कल —:
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