नूर की आरती नूर के छाजै ,नूर के ताल पखावज बाजै । नूर के गायन नूर कुं गावै, नूर के सुनते बहुर न आवैं । नूर की बाणी बोलै नूरा , झिलमिल नूर रहा...
नूर की आरती नूर के छाजै ,नूर के ताल पखावज बाजै ।
नूर के गायन नूर कुं गावै, नूर के सुनते बहुर न आवैं ।
नूर की बाणी बोलै नूरा , झिलमिल नूर रहा भरपूरा ।
नूर क़बीरा नूर ही भावै, नूर के कहे परम पद पावैं ।
तेज की आरती तेज के आगे,तेज का भोग तेज कुं लागै ।
तेज पखावज तेज बजावैं ,तेज ही नाचै तेज ही गावै ।
तेज का थाल तेज की बाती ,तेज का पुष्प तेज की पाती ।
तेज के आगै तेज विराजै, तेज क़बीरा आरती साजै।
आपै आरती आपै साजै ,आपै किगर आपै बाजै ।
आपै ताल झाझं झनकारा ,आप नाचै आप देखन हारा ।
आपै दीपक आपै बाती,आपै पुष्प आप ही पाती ।
कहैं कबीर ऐसी आरती गाऊँ, आपा मध्य आप समाऊँ ।
अंदली आरती अदल समोई, निरभै पद में मिलना होई ।
दिल का दीप पवन की बाती ,चित का चन्दन पाँचों पाती।
तत् का तिलक ध्यानकी धोती ,मन की माला अजपा जोती
नूर के दीप नूर के चौरा ,नूर के पुष्प नूर के भौंरा ।
नूर की झाझं नूर की झालरि,नूर के संख नूर की टालरि ।
नूर की सौजं नूर की सेवा , नूर के सेवक नूर के देवा ।
आदि पुरुष अदली अनुरागी ,सुन्न संपट में सेवा लागी ।
खोजों कमल सुरति की डोरी ,अगर दीप में खेलो होरी ।
निर्भय पद में निरति समानी ,दास गरीब दरस दरबानी ।
अदली आरती अदल उचारा, सत्पुरुष दीजो दीदारा ।
कैसे कर छूटें चौरासी ,जूनी संकट बहुत तिरासी ।
जुगन जुगन हम कहते आयें, भौसागर से जीव छुटाये।
कर विश्वास स्वाँस कुं पेखो ,या तन् में मन मूर्ति देखो ।
स्वासा पारस भेद हमारा , जो खोजै सो उतरै पारा ।
स्वासा पारस आदि निशानी , जो खोजै सो होय दरबानी ।
हरदम नाम सूहंगम सोई, आवा गवन बहुर नहीं होई ।
अब तो चढ़ै नाम के छाजे,गगन मंडल में नौबत बाजै ।
अगर अलील शब्द सहदानी ,दास गरीब विहंगम बानी ।
अदली आरती असल बखाना ,कोली बुनै बिहंगम ताना ।
ज्ञान का राछ ध्यान की तुरिया ,नाम का धागा निश्चय ज़ुरिया ।
प्रेम की पान कमल की खाड़ी ,सुरित का सूत बुनै निज गाढ़ी ।
नूर की नाल फिरे दिन लाती ,जा कोली कुं-काल न खाती ।
कुल का खूटां धरनी गाड़ा ,गहर गझीना ताना गाढ़ा ।
निरति की नली बुनै जै कोई , सो तो कोली अविचल होई ।
रेज़ा राजिक का बुन दीजै ,ऐसे सतगुरु साहिब रीझै ।
दास गरीब सोई संतकोली , ताना बुन है अरस अमोला
शेष कल—
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