अब रस गोरस का सुनौ बियाना। खीर खाँड़ साहिब दरबाना । मोहन भोग मानसी पूजा । मेवा मिस्री का है कूजा । लड्डू जलेबी लाड़ कचौरी । खु...
अब रस गोरस का सुनौ बियाना। खीर खाँड़ साहिब दरबाना ।
मोहन भोग मानसी पूजा । मेवा मिस्री का है कूजा ।
लड्डू जलेबी लाड़ कचौरी । खुरमें भोगै आत्म बौरी ।
दही बड़े नुकती प्रसादं । पूरी माँड़े आदि अनादं ।
धोवा दाल मुनकका। दाखं । गिरी छुहारे मेवा भाखं ।
निमक नून और घृत कहावैं । दूध दही तो सब मन भावैं ।
शक्कर गुड की होत पंजीरी । माही जमायन घालैं पीरी ।
ज़ीरा हींग मिर्च होई लाला ।जब यौह कहिये अजब मसाला ।
छाही छीकिनया चिन्तामणि । गोरस पिया तिभुवन घणी ।
पापड़ बीनी मसाले सारे । छतीसौ बिजन अधिकारे
सहत आम नींबू नौरगी ।बदरी बेरं तूत सिरंगी ।
येता भोग भुगावै कोई । परमात्म के चढ़े रसोई ।
दास गरीब अन्न की महिमा, तीन लोक मैं जाका रहमा ।
इसके लिखने का भाव - : यह हैं कि उस परमात्मा ने हमें कितना कुछ दिया हैं। 36 सो वियंजन दिए हैं। यदि खाने में एक भी चीज कम हो तो उसका स्वाद ही नही आता। जैसे किसी चीज में चीनी ना हो तो कैसा लगेगा , ऐसे ही नमक , मिर्च , मसालों का अपना ही स्वाद हैं। और अपनी अलग ,अलग ही ख़ुशबू हैं। उस परमपिता का हर पल शुक्रिया अदा करना चाहिए। जिसने पुरी यूनिवर्सल को पूर्ण रूप से बनाया , सजाया , परोया हुआ हैं। भगवान ने हमें मनुष्य जनम दिया हैं। उसकी बनाई हुई दुनिया में उसके अनुसार चले।
जीवन बड़ा अनमोल हैं। उस का भक्ति कर के सदुपयोग करे। उसकी रजा में रह कर उन्नति का मार्ग चुनें। प्रत्येक बनाई हुई आइटम का समय समय पर ( स्वाद ) ले कुदरत की बनाई हुई चीजों का आनन्द ले ,उस परमेश्वर का हर पल शुक्र मनाये ।जिस ने यह सब सुख दिये हैं ।विशेष कर मनुष्य जाति के लिये स्वाद अनुभव करने की शक्ति दी है ।शब्द
रूपी महिमा का गुणगान करे । हम सब मालिक के शुक्रगुज़ार हैं ।जितनी ज़्यादा भक्ति कर सके करे ं।मालिक जी की कृपा
बनी रहे ं।
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