अंतरात्मा को पहचाने - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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अंतरात्मा को पहचाने

सूरदास जी तो जन्म से अंधे थे। पर भजन की महिमा तो देखो जब वो भजन करते थे। तो बाल कृष्ण उन के सामने बैठ कर ,उन का भजन सुनते थे। हम आँखों...




सूरदास जी तो जन्म से अंधे थे। पर भजन की महिमा तो देखो जब वो भजन करते थे। तो बाल कृष्ण उन के सामने बैठ कर ,उन का भजन सुनते थे। हम आँखों से देख कर भी भगवान को देख नहीं पाते ,और सूरदास जी अंधे हो कर भी देख लेते थे। एक बार वो भजन कर रहे थे ,तो वो भाव राग में खो गये ,जिसमें कृष्ण जी ,राधा के साथ नृत्य कर रहे थे ।और तभी राधा जी की एक पायल गिर गई। तो सूरदास जी ने वो पायल ,उठा ली तो भगवान कृष्ण ने कहा कि सूरदास जी जब राधा जी ,अपनी पायल माँगने आए, तो सूरदास जी ने पैर पकड़ लिया ।और कहाँ जब तक आप दोनों हमें दर्शन नहीं दोगे ,मैं पैर नहीं छोड़ूँगा ।दोनों ने उन्हें दर्शन दिए ,और मन की आँखें तो थी ही उन के पास उन्हें दृष्टि भी प्रदान की और जब वो दर्शन देकर जाने लगी ,तों सूरदास जी ने कहा -कि यह आँखें तो ले जाओ ।

तब राधा जी ने कहा  कि आप जन्म से अंधे अब आप को दुनिया नही देखनी ।तो उन्होंने कहा मैंने आप को देख लिया । जिस के भजन में जैसी ताक़त होगी ,बाँके बिहारी बैसे ही प्रकट होंगे ।भजन की उम्र नहीं होती हैं ,तो जिसने बचपन में जवानी में भजन नहीं किया वो कहे कि मैं बुढ़ापे भजन करूँगा। तो भगवान भी कहते हैं ।कि जैसे तुम मुझे यह अपने जीवन का बचा हुआ समय दे रहे हो ।वो भी आप के साथ वैसे ही करेंगे ।

क्योंकि जो भगत भगवान को जैसे भजता हैं ।भगवान भी वैसा ही करेगे ।और जब बुरा होता है ,तो भगवान को कोसता है ।वो ये भूल जाता है,कि क्या हमनें भगवान का भजन किया था। पहले खुद से ही प्रश्न कर लो ,भक्ति का हमारी ज़िंदगी में प्रथम स्थान होना चाहिये क्योंकि जब तक वो व्यक्ति ये नहीं करेगा तो,गुरूजी से कैसे मिल पायेंगे ।

हरी दास जी थे ,जिन्होंने अपनी संगीत साधना से भगवान को प्रकट कर लिया था ।कैसे प्रकट कर लिया उन के भजन में शक्ति थी। जैसे उन्होंने वो राग गाया,भगवान राधा जी के साथ प्रकट हो गये, तो हमे देखना है ,भजन स्मिरन में बहुत शक्ति होती हैं। सद्गुरू के आशीर्वाद से उन का साक्षात्कार कर सकते है। हर पल महसूस कर सकते है ,वह हमारा वास्तविक जीवन साथी हैं।
जी हाँ ।
बिचार करे। भाइयों और बहनों माता पिता समान बुजुर्गों आप सब से मेरी एक हाथ जोड़कर प्रार्थना है। कि यह मानव जीवन बहुत अनमोल है। यह बहुत कठिनाइयों के बाद हमें प्राप्त होता है ,और हम इसको ऐसे ही गवा देते हैं ।मेरी आप सब से गुजारिश है ।कि आप इस मानव जीवन को ऐसे ही मत गबाओ ,और इसे परमात्मा की भक्ति में लगाओ और उस पूर्ण परमात्मा की भक्ति के लिए आपको यह जीवन मिला है। आप 8400000 योनि में जाने से बच सकते हो। नाम मात्र शब्द  रूपी बानी की महिमा सुनकर परम शक्ति को हासिल कर सकते हैं । जोकि पूर्ण ब्राह्मणडो का पिता-माता है। उन की शरण आने से पाप ,ताप, संताप ,सभी मिट जाते हैं ।हम शुक्र गुज़ार है परमात्मा जी ने हमें बुद्धि और अच्छी सोच दी है ।

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