एक जमीदार था, एक उसकी घरवाली थी। घर मे दो जने ही थे। जमीदार खेत मे काम करता था। और उसकी पत्नी घर का काम करती थी। पति-पत्नी दोनों ही गरम स्वभ...

एक जमीदार था, एक उसकी घरवाली थी। घर मे दो जने ही थे। जमीदार खेत मे काम करता था। और उसकी पत्नी घर का काम करती थी। पति-पत्नी दोनों ही गरम स्वभाव के थे। उनकी छोटी छोटी बातों पर बहुत बहस हो जाती। थोड़ी थोड़ी बात पर दोनों मे ठन जाती थी। कभी कभी तो घरवाली का बना बनाया खाना भी बेकार हो जाता था। और घर का महौल भी ख़राब रहता। एक दिन उस की घर वाली अपने रिश्तेदार के घर मिलने चली गई । वहां उसे एक बुजुर्ग औरत मिली। वह काफ़ी देर उस वजुर्ग के साथ बातें करती रही। बातों बातों मे जमींदार की घरवाली ने बुजुर्ग औरत को बताया कि मेरे घर वाले का मिजाज बहुत चिड़चिड़ा है ।वे जब भी देखो लड़ने के मूढ में रहते , मेरे से लड़ते ही रहते हैं।
कभी कभी इस से हमारी बनी बनाई रसोई बेकार चली जाती है। बुजुर्ग महिला ने कहा यह कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसा तो हर घर मे होता रहता है। मेरे पास इस की एक अचूक दवा है। जब भी कभी तेरा घरवाला तेरे साथ लड़े, तब तुम उस दवा को अपने मुंह मे रख लेना, और कुछ भी मत बोलना, इस से तुम्हारा घर वाला अपने आप चुप हो जाएगा। बुजुर्ग महिला अपने अन्दर गई, एक शीशी भर कर ले आई और उसे दे दी।
ज़मींदार की घरवाली ने घर आ कर दवा की परीक्षा करनी शुरू कर दी ,जब भी जमीदार उससे लड़ता था। वह दवा मुंह मे रख लेती थी। इस से काफी असर दिखाई दिया। जमीदार का लड़ना काफी कम हो गया था। यह देख कर वह काफी खुश हुई। इससे घर का महौल भी ख़ुशी वाला बन गया।और दोनो में आपसी प्यार भी बढ़ गया. घर का महौल बड़ा शान्तमय बन गया आस पास वाले लोग भी यह देख कर बहुत हेरान हुऐ। वह ख़ुशी-ख़ुशी बुजुर्ग महिला के पास गई। और कहा आप की दवाई तो कारगर सिद्ध हुई है, आप ने इस मे क्या क्या डाला है।
ज़मींदार की घरवाली ने घर आ कर दवा की परीक्षा करनी शुरू कर दी ,जब भी जमीदार उससे लड़ता था। वह दवा मुंह मे रख लेती थी। इस से काफी असर दिखाई दिया। जमीदार का लड़ना काफी कम हो गया था। यह देख कर वह काफी खुश हुई। इससे घर का महौल भी ख़ुशी वाला बन गया।और दोनो में आपसी प्यार भी बढ़ गया. घर का महौल बड़ा शान्तमय बन गया आस पास वाले लोग भी यह देख कर बहुत हेरान हुऐ। वह ख़ुशी-ख़ुशी बुजुर्ग महिला के पास गई। और कहा आप की दवाई तो कारगर सिद्ध हुई है, आप ने इस मे क्या क्या डाला है।
जरा बता देना, मैं इसे घर मे ही बना लूँगी। बार बार आना जाना मुश्किल हो जाता है। इस पर बुजुर्ग महिला ने जवाब दिया की जो शीशी मैंने तुम्हे दी थी। उस मे शुद्ध जल के सिवाय कुछ भी नहीं था। तुम्हारी समस्या का हल तो तुम्हारे चुप रहने से हुई है। जब तुम दवा यानि की पानी को मुंह मे भर लेती थी ,तो तुम बोल नहीं सकती थी। और तुम्हारी चुप्पी को देख कर तुम्हारे घर वाले का भी क्रोध शांत हो जाता था। इसी को एक चुप सौ सुख कहते हैं। घर का महौल सदैव सुख मय शांति पूर्वक बनाये ।
रखने की अवश्यकता हैं ।
No comments
Post a Comment