एक दुनिया भूल भूलैया - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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Friday, June 6

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एक दुनिया भूल भूलैया

एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था।शाम हो गई थी। अंधेरे में कुआं दिखाई नहीं दिया और वह उसमें गिर गया। गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक ...




एक इंसान घने जंगल में भागा जा रहा था।शाम हो गई थी। अंधेरे में कुआं दिखाई नहीं दिया और वह उसमें गिर गया। गिरते-गिरते कुएं पर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई। जब उसने नीचे झांका, तो देखा कि कुएं में चार अजगर मुंह खोल
उसे देख रहे हैं । और जिस डाल को वह पकड़े हुए था, उसे दो चूहे कुतर रहे थे। 
इतने में एक हाथी आया ,और पेड़ को जोर-जोर से हिलाने लगा। वह घबरा गया और सोचने लगा कि हे ,भगवान अब क्या होगा। उसी पेड़ पर मधुमक्खियों का छत्ता लगा था।

हाथी के पेड़ को हिलाने से मधु मक्खियां उडऩे लगीं ,और शहद की बूंदें टपकने लगीं। एक बूंद उसके होठों पर आ गिरी। उसने प्यास से सूख रही जीभ को होठों पर फेरा, तो शहद की उस बूंद में गजब की मिठास थी। कुछ पल बाद फिर ,शहद की एक और बूंद उसके मुंह में टपकी। अब वह इतना मगन हो गया कि अपनी मुश्किलों को भूल गया। 
तभी उस जंगल से शिव एवं पार्वती अपने वाहन से गुजरे। पार्वती ने शिव से उसे बचने का अनुरोध किया। भगवान शिव ने उसके पास जाकर कहा-मैं तुम्हें बचाना चाहता हूं। मेरा हाथ पकड़ लो। उस इंसान ने कहा कि एक बूंद शहद और चाट लूं, फिर चलता हूं। एक बूंद, फिर एक बूंद और हर एक बूंद के बाद अगली बूंद का इंतजार। आखिर थक-हारकर शिवजी चले गए। वह जिस जंगल में जा रहा था ।
वह जंगल है ,दुनिया और अंधेरा है ,अज्ञान -पेड़ की डाली है। आयु दिन-रात रूपी चूहे उसे कुतर रहे हैं। घमंड का मदमस्त हाथी ,पेड़ को उखाडऩे में लगा है। शहद की बूंदें सांसारिक सुख हैं, जिनके कारण मनुष्य खतरे को भी अनदेखा कर देता है। यानी, सुख की माया में खोए मन को भगवान भी नहीं बचा सकते,लालच में डूबा हुआ इन्सान कभी ऊपर नहीं उठ सकता ,चाहे कितना
भी समझाले ,लाख बताने पर भी टस से मस नहीं होता भगवान ही मेहर करे ऐसे लोगों पर ।

सद्गुरू जी महाराज की कृपा से मुझ नादान ,न समझ ,अज्ञानी पर कृपा बनाये रखना सबका मालिक  के एक है ,मोहब्बत रखनी है ।तो उस परमात्मा जी भगवान से रखो जिसने  पूर्ण यूनिवर्सल को स्वयं  ने जिसे बनाया है। उस का करिश्मा अजब ग़ज़ब का हैं ।हमारी सोच उतनी नहीं हो सकती । उस की महिमा का गुणगान करना हमारे बस की बात नहीं ।सम्पूर्ण रुप से नरम ,कोमल दयालु ,मेहरबाँ हैं।सब की सुनता है । जिस  के लिये दुनिया में आये हैं ,वह सब कुछ याद नहीं यहाँ की रंगरेलियों में ही उलझ कर रह गये हैं। हमें जिस तरह भगवान ने बनाया है । 
हम उस के ऋणी  हो गये हैं। भगवान  सब को बचाने के लिये ,उन का साथ देने के लिए तैयार हैं ।पर इन्सान अपने लालच की ख़ातिर मानता नहीं ,यह दुर्भाग्य नहीं तो  और क्या है। चाहे राजा ,अमीर,धनवान,महलों,वाला कियो न हो,भक्ति के विना उस का कोई बजूद नही। दुनियाँ में आकर यदि भक्ति नहीं की तो एक बूँद शहद वाले इंसान जैसा हाल न हो जाये। उस परम पिता परमेश्वर जी से डरे ।
संसार दुखों का घर है। आज तक जितने भी आये ,दुखी हो कर गये। अपने मालिक की आज्ञा में रह कर कर्म करे।और वफ़ादार रहिये ,तत्व ज्ञान की अमृत वर्षा में नहाकर ,भक्त आत्मायें निर्मल हो रही। किसी ने सच कहा है। ( विश्वास तो दर्पण हैं ) तोड़ो तो पहले जैसा रूप नहीं जोड़ों तो पहले जैसा अक्स नही।
 मेरी पसंद के विचारों का संग्रह किरण मिटाने से मिटते नहीं ये भाग्य के लेख। कर्म अच्छे तू करता चल ,फिर सद्गुरू की महिमा देख। कर्तव्य ही ऐसा आदर्श है। जो कभी धोखा नहीं दे सकता। धैर्य ही एक ऐसा  कड़वा पौधा है. जिस पर  फल हमेशा मीठे  आते हैं। मेरे शुभ चिंतकों आप सब का मैं मन की गहराइयों से धन्यवाद करती हूँ। आप इतना प्यार दे रहे हो। ग़लतियों के लिए क्षमा पार्थिव हूँ ।

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