जब कुआँ खोदना शुरू करो तो ,पहले मिट्टी कीचड़ की खुदाई मिलती है ,फिर गन्दा, मिट्टी से भरा पानी ,और अंत में और प्रयास करने पर साफ़ जल प्राप्त हो...
इसलिए सिमरन में कभी नागा ना डालें ,ताकि उसमे लीन होते चले जाओ।
गुरुदेव के हर फैसले पे खुश रहो ,क्यूँकि गुरुदेव वो नही देते जो आपको अच्छा लगता है ,बल्कि गुरुदेव वो देते हे जो आपके लिये अच्छा होता है। जिस तरह सुई में धागा डालने से वो कहीं खोती नहीं उसी तरह आत्मा रूपी सुई में यदि सिमरन रूपी धागा डाला जाये तो वह भी संसार में कभी नहीं खो सकती।सतगुरु उस धागे को हमेशा अपने हाथ में पकड़ कर रखते हैं।आत्मा और परमात्मा के रिश्ते के सिवाय ,दुसरा कोई भी रिश्ता सदा के लिये नहीं होता ।प्रभु सारी दुनियाँ से ऊँची तेरी शान हैं ,कितना महान हो आप कितना महान हो ,
पूरे यूनिवर्सल में ,हर कोने कोने में आप ही मशहूर है ,निकट से भी निकट और दूर से भी दूर है ,तुझ में समाया हुआ सकल जहान हैं ।
मासा घटें न तिल बढ़ें विधिना लिखें जो लेख,सच्चा सत्गुरु
मेट कर ऊपर मारें मेख ।
हर साँस में हो सुमिरन तेरा ,यूँ बीत जाये जीवन मेरा ।
एक बार गुरु नानक देव जी ने बाले ,
और मर्दाने से पूछा जीवन कितना है ? इस पर वाले ने कहा
आज का सूरज चढ़ियाँ है ,कल -का पता नहीं चढ़ेगा या नहीं
इस पर नानक देव जी कहनें लगे -जीवन इतना तो बड़ा नहीं
है अच्छा मर्दाने तू बता ।
नहीं अगली घड़ी आयेगी भी या नहीं ।नानक देव जी कहने लगे
अभी भी बहुत दूर की बात कर रहें हो ,जीवन तो इतना भी नहीं
हैं ।इस पर दोनों ने हाथ जोड़कर कहा -सच्चे पातशाह फिर
आप ही बताओ ।
गुरू नानक देव जी ने कहा-जीवन एक श्वास का खेल है ,अगर
अन्दर आ गया बाहर ना आयें ,अगर श्वास बाहर आ जायें ,वापिस
अन्दर ना जायें- एक श्वास का खेल है ।इसलिये हर स्वाँस स्वाँस
सिमरन करो ।
जिस तरह चन्द्र और सूर्य विश्व कल्याण के लिये प्रति दिन उदित
होते हैं, उसी प्रकार सन्तों का उदय हर युग में हुआ करता हैं ।इस
समय भी भगवान हमारे साथ हैं ,नयें युग के कार्यों में बहुत व्यस्त हैं ।
मन लगाकर नाम रूपी धन इकट्ठा करें ।अपनीं जीवन यात्रा को
सफल बनायें ।
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