फकर की बात - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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फकर की बात

प्यारे दोस्तों...जो लोग सिर्फ़ 50 साल की उम्र में थकान महसूस करते है ,लेकिन फ़िर भी सेहत की और से बेखबर है..वो तो इस पोस्ट को जरूर पढ़ें ,हम...

प्यारे दोस्तों...जो लोग सिर्फ़ 50 साल की उम्र में थकान महसूस करते है ,लेकिन फ़िर भी सेहत की और से बेखबर है..वो तो इस पोस्ट को जरूर पढ़ें ,हमेशा ख़ुद को कार्य शील बनाये रखें ,जीवन चलने का नाम हैं ,गिरे, फ़िर उठे मगर चलते रहें ,उम्र का सीखने से कोई वास्ता नहीं हैं,हर रोज़ कुछ ना कुछ नया सीखा जायें  94 साल की किरण गुप्ता ,98 आयु की मधु हैं, इस उम्र में भी रोज़ अखबार पढ़ती हैं, क्रिकेट मैच देखती हैं, पुराने गीत, भजन गाती हैं ,और सिलाई-बुनाई का काम भी करती हैं।उन्हें देखकर कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि थोड़े समय पहले वह गिर गईं थीं और तब से ठीक से चल भी नहीं पा रही थी ,इस के बावजूद इसकी अपनी हॉबी के ज़रिए पर्यावरण बचाने में मदद कर रही हैं। वह पिछले पांच सालों से प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान में मदद कर रही हैं। उन्होंने बेकार कपड़ों की कतरन से 50000 थैलियां बनाईं हैं ,और लोगों को फ्री में बाँटी हैं।

अमृतसर की रहने वाली मधु को कभी भी खाली बैठना पसंद नहीं था। 3 साल का अनुभव भी है ,कोर्स भी किया हैं उन्होंने सिलाई का कढ़ाई का स्पेशल कोर्स भी किया हैं, वह सारी चीजें अपने खुद के दिमाग से ही बनाती हैं। हाँ, ओर उन्होंने मशीन रिपेयरिंग का एक छोटा सा कोर्स भी किया हैं,ताकि अगर कभी मशीन ख़राब हो जाएँ ,तो वह इसे झट से ठीक कह लें।

पहले वह घर के बेकार कपड़ों से कुछ न कुछ काम की चीजें बनाया करती थीं। लेकिन जब उन्होंने देखा कि लोग कपड़ें की थैलियों की जगह हर एक काम में प्लास्टिक की थैली का इस्तेमाल कर रहे हैं। तब उन्होंने विशेष रूप से कपड़ों की थैलियां सिलना शुरू किया।धीरे-धीरे उन्होंने लोगों को फ्री में थैलियां बनाकर बाँटना शुरू किया। कुछ औरतें ओर भी जुड़ गई पेंटिंग बनानें लगीं माला ओर कानों के लिए बालियाँ इत्यादि ।

इस काम के लिए उनके एक व्यापारी मित्र, उन्हें चादरों के टुकड़े और दर्जी के पास से कपड़ों की कतरन दिया करता है इस काम में धीरे-धीरे काफ़ी औरतें इकट्ठा हो गईं गप्पें हँसीं मज़ा करतीं सभी एक दूसरे का साथ देती खूब रोनक लगीं रहतीं इस से कई लोगों को बहुत आश्चर्य होता लेकिन मधु सभी को एक ही सन्देश देती हैं ,कि वह कभी रिटायर नहीं होंगी और हमेशा ऐसे ही काम करती रहेंगी।काम करने से भी मनोबल बढ़ता हैं ।
आत्म निर्भर रहनें से सम्मान मिलता है ।आशा हैं ,प्रत्येक इंसान की ऐसी सोच अवश्य होनी चाहिये ।यह जज़्बा आपको कैसा लगा ।यूरोप में भी पैंशन लगनें के बाद लोग कामों में लगें रहतें हैं सैर ,सपाटा ,खूब इंजॉय करते हैं.यहाँ पर बजुर्गो की ख़ुशी के लिए छोटे छोटे event भी किया करते है.जिसमे सभी लोग अपनी अपनी contury का फ़ेवरिट फ़ूड ,जूलरी, ड्रेस, के स्टॉल लगाते है .और  फैशन शो भी करती है ।और वहाँ पर नाच-गाना ,खाना पीना फ्री में करवाया जाता हैं । पूरा इंजॉय मेंट करवाया जाता है ।और लोग अपनी लाइफ को ख़ुशी से जीते है। अपनी लाइफ को सहीं दिशा की ओर बढ़नें  में अग्रसर तत्पर लगें रहने में बिस्वास रखते हैं ।अपनी जीवन शैली को उज्जवल बनाने की कोशिश करते रहना चाहिए ।

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