1–: बेजुबान पत्थर पे लदे हैं ,करोंडो के गहने मंदिरो में, उसी देहलीज पर एक रूपये को तरसते नन्हें हाथों को देखा है…. 2–: सजे थे ,छप्पन भोग ,और...
2–: सजे थे ,छप्पन भोग ,और मेवे ,मुर्ती के आगे, बाहर एक फ़कीर को भुख सें तड़प के मरते देखा है….
3–: लदी हुई है रेशमी चादरों सें वो हरी मजार, पर बाहर ,एक बुढ़ी अम्मा को ठंड सें ठिठुरते देखा है…..
4–: वो दे आया ,एक लाख गुरद्वारे में ,हॉल के लिए, घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई बदलते देखा है….
5–: सुना है ,चढ़ा था सुली पर कोई ,दुनिया का दर्द मिटाने को,
आज चर्च में बेटे की मार सें बिलखते मां बाप को देखा है…..
6–: जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की ,दिन रात पुजारन, आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत सें लड़ते देखा है…..7–: जिसने नहीं दी मां बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी, आज उनको लगाते "भंडारे" (यानि) डिनर मरने के बाद देखा…..
8–: दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था ,जिस बेटी को जबरन बाप ने, आज पीटते उसी शौहर के हाथों सरे बाजार देखा है…….
9–: मारा गया वो पंडित बे-मौत सड़क दुर्घटना में यारों, जिसे खुद को काल सर्प,तारे और हाथ की लकीरों का माहिर लिखते देखा है……
10–: जिस घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों, आज उसी के आंगन में खिंचती दीवार को देखा है……
11–: बंद कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर, अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा……
12–: आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर, अब इंसान सें ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता…..
13–: गिद्ध भी कहीं चले गए लगता हैं , उन्होंने देख लिया कि इंसान हम सें अच्छा नोंचता है……
14–: कुत्ते कोमा में चले गए,ये देखकर कि ,क्या मस्त तलवे चाटते हुए ,इंसान को देखा है.. ….
बहुत भयानक समय चल रहा हैं, मनुष्य मनुष्य को देखना नहीं चाहता ,चोर,लूट मार धोखा दडीं,मार पीट ,लोभ लालच,मानव ने सभी हदें पार कर ली हैं,ना कहीं दया ,धर्म हैं ।दिखावे का पखंड रह गया हैं ,सचाई से कोसों दूर है ।सत्य जान कर भी अनजान बनें हुए हैं ,परमेश्वर सब को सबुद्धि दे ।आप ही सब कुछ करनें में समर्थ हैं ,भला आप से क्या छुपा हैं ,मन को बहुत पीड़ा होतीं हैं ।काल लोंक में रह रहें हैं ,मालिक जल्दी कृपा करें ।यहाँ ओर नहीं रहना ,मुझे बल दो ,बुद्धि दो ,आप जी की आज्ञानुसार चलूँ
12–: आत्महत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर, अब इंसान सें ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता…..
13–: गिद्ध भी कहीं चले गए लगता हैं , उन्होंने देख लिया कि इंसान हम सें अच्छा नोंचता है……
बहुत भयानक समय चल रहा हैं, मनुष्य मनुष्य को देखना नहीं चाहता ,चोर,लूट मार धोखा दडीं,मार पीट ,लोभ लालच,मानव ने सभी हदें पार कर ली हैं,ना कहीं दया ,धर्म हैं ।दिखावे का पखंड रह गया हैं ,सचाई से कोसों दूर है ।सत्य जान कर भी अनजान बनें हुए हैं ,परमेश्वर सब को सबुद्धि दे ।आप ही सब कुछ करनें में समर्थ हैं ,भला आप से क्या छुपा हैं ,मन को बहुत पीड़ा होतीं हैं ।काल लोंक में रह रहें हैं ,मालिक जल्दी कृपा करें ।यहाँ ओर नहीं रहना ,मुझे बल दो ,बुद्धि दो ,आप जी की आज्ञानुसार चलूँ
सन्देश का पालन करूँ ।ज़िन्दगी को नया मोड़ दूँ ,ताकि सत्य का उजाला बिखेर सकूँ मालिक जी की कृपा से परिवर्तन का समय चल रहा हैं तत्व ज्ञान की सच्चाई को उजागर करें ।
शेष कल —:
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