आदि सनातन - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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आदि सनातन

कबीर जी चारों युगों में प्रकट होते हैं ,और एक पूरे जीवन की लीला करते हैं।सतयुग में परमेश्वर कबीर जी कमल पर प्रकट हुए और अपनी प्यारी आत्मा वि...

कबीर जी चारों युगों में प्रकट होते हैं ,और एक पूरे जीवन की लीला करते हैं।सतयुग में परमेश्वर कबीर जी कमल पर प्रकट हुए और अपनी प्यारी आत्मा विधाधर और दीपिका को मिले ।सतयुग में परमेश्वर का नाम सत्य सुकृत था। परमात्मा ने एक जीवन की लीला करते हुए सत ज्ञान दिया ।सतयुग में परमेश्वर कबीर ने गुरुकुल में शिक्षा की लीला की वहाँ के ऋषि जब वेद मन्त्रों का ग़लत अर्थ करते तो सतसुकृत नाम से लीला करते कबीर परमेश्वर उनका विरोध करते ,फल स्वरूप गुरुकुल से निकाल दिया गया ,फिर परमात्मा गरुड़ जी, श्री ब्रह्माजी, श्री विष्णु जी और श्री शिवजी से मिले ,और उन्हें सतज्ञान समझाया  था ,फिर ऋषि मनु से मिले और अपना ज्ञान बताया ,लेकिन मनु ऋषि ने परमात्मा कबीर जी का सत ज्ञान स्वीकार नहीं किया ।और विरोध स्वरूप कबीर जी को ऋषि वामदेव कहने लगे।ऋषि वामदेव की महिमा वेदों में भी है ।ऋषि वामदेव का ज्ञान अनुपम और विशिष्ट है।

त्रेतायुग में कबीर परमेश्वर कमल के फूल पर फिर से प्रकट हुए, और वेद विज्ञान और सूर्या नामक निःसंतान दम्पति को मिलें, इस युग में कबीर परमेश्वर का नाम मुनीन्द्र ऋषि था ।और परमात्मा की महिमा ऋषि मुनीन्द्र के नाम से त्रेतायुग में हुई, इस युग में परमेश्वर हनुमान जी से मिले ।और सतलोक दिखाया, रानी मन्दोदरी और विभीषण भी परमात्मा कबीर जी यानि ऋषि मुनीन्द्र जी के ही शिष्य थे। त्रेतायुग में कबीर परमेश्वर भगवान राम से मिले ,नल और नील भी परमात्मा कबीर जी यानि ऋषि मुनीन्द्र के ही शिष्य थे ।परमात्मा ने समुद्र पर पुल बनाने के लिए पत्थर हल्के किये। और श्रीराम का मनोरथ पूरा किया ।


कबीर परमेश्वर द्वापरयुग ,में भी कमल के फूल पर प्रकट हुए ,और बाल्मीकि कालू और गोदावरी नामक दम्पति से मिले और 404 साल तक सतज्ञान देकर जीवात्माओं का कल्याण किया। द्वापरयुग में परमेश्वर द्रोपदी से मिले ,और उसे प्रथम मन्त्र दिया और शरण में लिया द्वापरयुग में ही रानी इन्द्र मति और राजा चन्द्रविजय को शरण लेकर उनका कल्याण किया। द्वापरयुग में ही परमेश्वर कबीर जी के परमभक्त सुदर्शन जी हुए ।जिन्होंने पांडव यज्ञ का न्यौता अस्वीकार कर दिया था ।बाद में परमेश्वर ने अपने भक्त सुदर्शन के रुप में पांडवों पर यज्ञ में जाकर यज्ञ सफल करने की दया की ।
कलयुग में तो कबीर परमेश्वर की महिमा अजब गज़ब की रहीं ,वो कबीर नाम से काशी में प्रकट हुए ।और अपने ज्ञान से सारी दुनियाँ को अचंभित कर दिया पूरे 120 बर्ष तक काशी में एक सन्त की लीला की और असंख्य चमत्कार करते हुए ,नानकदेव जी ,रविदास जी ,रामानंद जी ,और तकरीबन 64 लाख शिष्य बना कर कल्याण किया ।इस प्रकार आदि सनातन धर्म कबीर परमेश्वर ने शुरू किया और यह आज भी है ।और हमेशा रहेगा ,इसका प्रकाश धीमा पड़ सकता है ,लेकिन विलोप नहीं होगा।

अतः सनातन धर्म की यह पहचान और जानकारी आप सब तक सतगुरु  महाराज की दया से पहुँचा पाई हूँ ।आज इस सदा सनातन धर्म को आगें बढ़ाने के महान कर्म को करते रहना चाहिए,सतगुरु सब को रास्ता दिखाते हैं ,सब का मार्गदर्शन कर रहें हैं।पूर्ण यूनिवर्सल को तत्व ज्ञान सुना कर ,समझा कर,अपने मुखारबिंद से जनता के दिलो दिमाग़ो में अपने तत्व ज्ञान की  बहुत मेहरबानी की हैं ।मैं बहुत भाग्यशाली हूँ ,उन की शरण में हूँ ,उन का दिया हुआ तत्व ज्ञान हमारें रोंम रोंम में बस गया हैं ।युग परिवर्तन का समय चल रहा हैं,जितना प्रभु का गुणगान किया जायें उतना कम हैं ।अच्छें विचार, अच्छें कर्म ,कर्ते रहियेगा ।ताकि अपनी जीवन यात्रा को सफल बनाने का पर्यास निरन्तर करते रहें ।

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