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अधूरा ज्ञान

हजारों फर्जी धर्म गुरुओं की भीड़ में कैसे पता चले ,कि सच्चा गुरु कौन है ।तथा पूर्ण सतगुरु के लक्षण क्या हैं ? आईये जानते हैं ,विस्तार से सतग...

हजारों फर्जी धर्म गुरुओं की भीड़ में कैसे पता चले ,कि सच्चा गुरु कौन है ।तथा पूर्ण सतगुरु के लक्षण क्या हैं ? आईये जानते हैं ,विस्तार से सतगुरु अपने सभी शिष्यों को समान रूप से देखते हैं।सतगुरु कभी भी अपने शिष्यों में भेदभाव नहीं करते।पूर्ण संत दान-दक्षिणा मांगने के लिये इधर-उधर नहीं भटकते।सतगुरु सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान (तत्वज्ञान) प्रदान करते हैं।सतगुरु वह होता है ,जो सभी धार्मिक ग्रंथों का पूर्ण ज्ञान करवाता है। सतगुरू स्वयं भी सब वेदों के अनुसार भक्ति (पूजा) अर्थात् शास्त्रविधि अनुसार साधना करते और कराते हैं।

आज कलियुग में भक्त समाज के सामने पूर्ण गुरु की पहचान करना सब से जटिल, प्रश्न बना हुआ है। लेकिन इसका बहुत ही लघु और साधारण–सा उत्तर है । कि जो गुरु शास्त्रो के अनुसार भक्ति करता है । और अपने अनुयाईयों अर्थात शिष्यों द्वारा करवाता है ,वही पूर्ण संत है। चूंकि भक्ति मार्ग का संविधान धार्मिक शास्त्र जैसे – कबीर साहेब की वाणी, नानक साहेब की वाणी, संत गरीबदास जी महाराज की वाणी, संत धर्मदास जी साहेब की वाणी, वेद, गीता, पुराण, कुरआन, पवित्र बाईबल आदि हैं। जो भी संत शास्त्रो के अनुसार भक्ति साधना बताता है और भक्त समाज को मार्ग दर्शन करता है। तो वह पूर्ण संत है अन्यथा वह भक्त समाज का घोर दुश्मन है ,जो शास्त्रो के विरूद्ध साधना करवा रहा है। इस अनमोल मानव जन्म के साथ खिलवाड़ कर रहा है। ऐसे गुरु या संत को भगवान के दरबार में घोर से भी घोर भयानक  सज़ा मिलतीं हैं ।उदाहरण के तौर पर जैसे कोई अध्यापक सलेबस (पाठयक्रम) से बाहर की शिक्षा देता है ,तो वह उन विद्यार्थियों का दुश्मन है।

भावार्थ —: माया के द्वारा जिनका ज्ञान हरा जा चुका है ,ऐसे आसुर स्वभाव को धारण किये हुए, मनुष्यों में नीच दूषित कर्म करने वाले मूर्ख मुझ को नहीं भजते अर्थात् वे तीनों गुणों (रजगुण-ब्रह्मा, सतगुण-विष्णु, तमगुण-शिव) की साधना ही करते रहते हैं। हिन्दी भावार्थ —: परमात्मा के बारे में सामान्यत निराकार अर्थात् कभी न जन्मने वाला कहते हैं। दूसरे आकार में अर्थात् जन्म लेकर अवतार रूप में आने वाला कहते हैं। जो टिकाऊ अर्थात् पूर्ण ज्ञानी अच्छी प्रकार सुनाते हैं उसको इस प्रकार सही तौर पर वही समरूप अर्थात् यथार्थ रूपमें भिन्न-भिन्न रूप से प्रत्यक्ष ज्ञान कराते हैं।
भावार्थ—: उसको समझ उन पूर्ण परमात्मा के ज्ञान व समाधान को जानने वाले संतों को भली भाँति दण्डवत् प्रणाम करने से उनकी सेवा करने से और कपट छोड़कर सरलता पूर्वक प्रश्न करने से वे परमात्म तत्वों को भली भाँति जानने वाले ज्ञानी महात्मा तुझे उस तत्व ज्ञान का उपदेश करेंगे।

सभी शास्त्रों के अनुसार और महापुरुषों की बोली गई वाणियों के अनुसार आज संसार में पूर्ण व सच्चा सतगुरु केवल संत कबीर महाराज जी हैं ।
जिनके द्वारा बताई भक्ति से लोगों को परमात्मा से मिलने वाले लाभ प्राप्त हो रहे हैं पवित्र हिंदू धर्म के सभी ग्रंथों का सार और शास्त्रों के अनुसार भक्ति जानने के लिए ज्ञान गंगा,जीने राह ,अनमोल पुस्तक पढ़ें ।जो कि फ़्री में मँगवा सकते हैं ।तत्व ज्ञान पढ़ें ,सुनें और जानें ,सत्य ज्ञान को पढ़ कर स्वयं निर्णय ले अपनी जीवन यात्रा को सफल बनायें ।जिस से जीवन का कल्याण हो सकें ।मैं मालिक जी की शुक्रगुज़ार हूँ उन्होंने मुझ तुच्छ जीव पर कृपा की हैं ।परिवर्तन संसार का अटल नियम हैं ।परमात्मा कृपा सब पर कर रहें हैं ।
मन की गहराइयों से शुक्रगुज़ार हूँ ।समय कम बचा हैं ,सहीं मार्गदर्शन करें,युग परिवर्तन हो रहा हैं,शास्त्रों के अनुसार भक्ति करें अभी परीक्षा चल रहीं है अपनीं जीवन यात्रा को सफल बनायें ।
शेष कल—: 

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