गिलहरी का अनोखा प्यार - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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गिलहरी का अनोखा प्यार

जब एक गिलहरी ने की भगवान श्रीराम जी की मदद-की कहा जाता है —: लंका विजय के लिए नल-नील समुद्र पर सेतु बनाने में लगे थे, तब कई भालू-वानर भी ,रा...

जब एक गिलहरी ने की भगवान श्रीराम जी की मदद-की कहा जाता है —: लंका विजय के लिए नल-नील समुद्र पर सेतु बनाने में लगे थे, तब कई भालू-वानर भी ,राम नाम लिखे पत्थर और पेड़ों की शाखाएं ला रहे थे।तब एक गिलहरी यह सब कुछ देख रही थी, वह मर्यादा पुरुषोत्तम के पास आई और बोली, 'हे भगवन् मैं भी आपके इस नेक काम में सहायता करना चाहती हूं।प्रभु ने उस गिलहरी को आज्ञा दे दी ।
मगर, गिलहरी शिलाखंड नहीं उठा सकती थी। इसलिए उसने अपने लिए काम निकाला वह बार-बार समुद्र में स्नान करके रेत पर लोट-पोट होती और सेतु पर दौड़ जाती, और सेतु पर जाकर अपने शरीर पर लगी रेत को गिरा देती। उसका यह कार्य बिना रुके चलता रहा।गिलहरी की इस लगन को श्रीराम बड़े कौतुहल से देख रहे थे, उस छोटे जीव की ओर किसी का ध्यान नहीं था। भगवान श्रीराम ने संकेत से हनुमान जी को पास बुलाया और उस गिलहरी को लाने के लिए कहा, हनुमान जी ने गिलहरी को रघुनाथ जी के पास लाएँ ।
प्रभु ने उस नन्हें से जीव से पूछा, तुम सेतू पर क्या रही थीं ? तुमको भय नही लगता कि कपियों या रीछों के पैरों के नीचे आ सकती थीं ,या कोई वृक्ष अथवा शिलाखंड तुम्‍हारे ऊपर गिर सकता थी । गिलहरी ने कहा कि आपके सेवकों के पैरों के नीचे मेरी मृत्यु हो जाए, यह तो मेरा सौभाग्य है। सेतु में बहुत बड़े-बड़े शिलाखंड और वृक्ष लगाए जा रहे हैं। ऊंची-नीची भूमि पर चलने में आपको कष्ट होगा, यह सोच कर पुल के छोटे-छोटे गड्डों में रेत भर देने का प्रयत्न कर रही थी। गिलहरी की बात सुनकर भगवान श्रीराम प्रसन्न हो गए ,उन्होंने अपने बाएं हाथ पर गिलहरी को बैठा लिया। जगत पालक ने उस जीव को वह आसन दे रखा था, जो किसी भक्त को भी प्राप्त नहीं होता ।

कहते हैं ,ना इस सेवा भाव को देखकर श्रीराम जी ने गिलहरी की पीठ पर स्‍नेह से अपना हाथ फिराया। तभी से गिलहरी की पीठ पर प्रभू की अंगुलियों के चिन्ह स्वरूप में तीन श्वेत रेखाएं पीठ पर बन गई।जो भी सच्ची निष्ठा के साथ कोई कार्य करता हैं ।उस पर भगवान जी कृपा सदैव बनी रहती हैं ।मालिक जी ने हमें जीवन दिया है ,अपने करमों को स्वयं अपनी अच्छी सोच का इस्तेमाल करते हुए कार्य करें ।
 जिस की शरण में आने के बाद वे साधक को सभी आराध्य रोगों से जिन का इलाज दुनिया के किसी भी डाक्टर के पास नहीं हैं ।वह कौन है ,राम राम सब जगत बखानें,आदि राम कोई बिरला ही जानें ,कर्म आधार पर सर्व श्रेष्ठता का आँकलन किया जाये ,भगवान जी ने सबको बुद्धि दी है ,चाहें मानव हो ,या कई प्रकार के जीव ,जंतुओं अन्य जातियों को सोचने की समझने की शक्ति दी है ।उस मक़सद को समझने का प्रयास करके आध्यात्मिक की तरफ़ रुचि बढ़ाना शुरू करें । प्रेम ,निःस्वार्थ विश्वास ,लगन,श्रद्धा,अनकनडीशन प्यार है,यह सब परमात्मा भगतों के मन के भाव पढ़ लेते हैं ।ऐसे मालिक अपनी कृपा बनाएँ रखना ,मालिक चारों युगों में आँतें हैं ।अपने प्यारे बच्चों को सतलोक साथ ले जाने के लिए ,अब भी हमारे साथ साथ हैं ,सूर्य का उदय हो गया हैं ।समय के परिवर्तन के साथ मिलकर स्वागत करें ,आनन्द ले सकें, ख़ुशीयों से झूम उठे ,समय की नज़ाकत को देखते हुए नाम रूपी कमाई निरन्तर करतें रहें ,उन की कृपा से अपनी जीवन यात्रा को सफल बनायें ।
शेष कल —:

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