कैसे बचाई जान - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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कैसे बचाई जान

मनु ने रिजर्वेशन जिस गाड़ी में थी ,उसमें लगभग सभी लड़के ही थे । टॉयलेट जाने के बहाने मनु  पूरी गाड़ी में घूम कर आई थी, मुश्किल से दो या तीन ...

मनु ने रिजर्वेशन जिस गाड़ी में थी ,उसमें लगभग सभी लड़के ही थे । टॉयलेट जाने के बहाने मनु  पूरी गाड़ी में घूम कर आई थी, मुश्किल से दो या तीन औरतें होंगी । मन अनजाने भय से काँप सा गया था ।पहली बार ,अकेली सफर कर रही थी, इसलिये पहले से ही घबराई हुई थी। अतः खुद को सहज रखने के लिए चुपचाप अपनी सीट पर मैगज़ीन निकाल कर पढ़ने लगी ताकि अच्छा टाईम पास हो जाये ।

नवयुवकों का झुंड जो शायद किसी कैम्प जा रहे थे, के हँसी - मजाक , चुटकुले उसकी हिम्मत को और भी तोड़ रहे थे ।मन में और भी गति तेज़ हो गई मैंने,पहली बार सफ़र करने का निर्णया लिया था ।मनु  भय और घबराहट के बीच अनचाही सी रात धीरे —धीरे उतरने लगी ।सहसा सामने के सीट पर बैठे लड़के ने कहा - हेलो मैडम , मैं राजू और आप ?
भय से पीली पड़ चुकी घबराहट से ,मनु ने कहा जी ....

कोई बात नहीं , नाम मत बताइये । वैसे कहाँ जा रहीं हैं आप ? मनु  धीरे से कहा- इलाहाबाद बाद मैं भी इलाहाबाद ? जी ,वहाँ मेरी नानी का -घर है। इस रिश्ते से तो आप मेरी बहन लगीं ।खुश होते हुए राजू ने कहा ।और फिर इलाहाबाद की अनगिनत बातें बताता रहा ,कि उसके नाना जी काफी नामी व्यक्ति हैं ।बहुत लोगों से जान पहचान हैं , उसके दोनों मामा सेना के उच्च अधिकारी हैं ,और ढेरों नई - पुरानी बातें करने लगा ।

मनु  धीरे - धीरे सामान्य हो गई, उसके बातों में रूचि लेती रही ।रात जैसे कुँवारी आई थी , वैसे ही पवित्र कुँवारी गुजर गई ।सुबह मनु ने  कहा - लीजिये  मेरा पता रख लीजिए , कभी नानी घर आइये तो जरुर मिलने आइयेगा. कौन सा नानी का घर बहन ? वो तो मैंने आपको डरते हुये देखा तो झूठ - मूठ के रिश्ते गढ़ता रहा । मैं तो पहले कभी इलाहाबाद गया ही नहीं ,और ना रहता हूँ ।मैं तो अपने गुरू जी की कृपा से उन के आशीर्वाद से आप की मदत की क्योंकि आप बहुत गबराई हुई थी इसलिए आप से बातें करने का मौक़ा मिला गया …..? चौंक उठी मनु ।
बहन ऐसा नहीं है ,कि सभी लड़के बुरे ही होते हैं, कि किसी अकेली लड़की को देखा नहीं ,कि उस पर गिद्ध की तरह टूट पड़ें । हम में ही तो पिता और भाई भी होते हैं ।कह कर प्यार से उसके सर पर हाथ रखा मुस्कुरा उठा राजू ।मनु  उस को देखती रही ,जैसे कि कोई अपना भाई उससे विदा ले रहा हो ।मनु की  आँखें नम ,हो चुकी थी ।बरबस आँसु टपकने लगे ।काश ….
मेरे परमात्मा कबीर महाराज जी मुझे ने कोई फ़रिश्ता भेज दिया हो।
काश —: इस संसार मे सब ऐसे हो जाये  न कोई अत्याचार ,न व्यभिचार ,भय मुक्त ,समाज ,का स्वरूप हमारा देश,हमारा प्रदेश, हमारा शहर,हमारा गांव ,सब बच्चें ,जहाँ सभी भाई ,बहन ,बेटियों,खुली हवा में सांस ले सकें ।निर्भय होकर कहीं भी ,कभी भी ,आ जा सके ,जहाँ हर कोई एक दूसरे का मददगार हो जाये ,मालिक जी ने पूर्ण यूनिवर्सल में अपना नेटवर्क स्थापित कर लिया है ।ताकि सभी को सुविधा मिल सकें ।

सतयुग का माहौल तैयार किया गया है ।ठीक ऐसा ही समाज तैयार कर रहे है ।उनके अनुयायियों मैं यह बात देखने को भी मिलती है ।अब हो रहा है ,एक स्वछ समाज का निर्माण, भगवान जी के सानिध्य मैं तत्व ज्ञान सुन कर मन को बहुत ख़ुशी मिलती हैं ।ऐसा निर्मल ज्ञान अंधिकार से निकल कर, उजाले की ओर जा रहें हैं ।यह सब गुरू कृपा से ।उनके आशीर्वाद से ,लिख रही हूँ ।अपनीं जीवन यात्रा को सफल बनाने का परियास कर रहीं हूँ ।

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