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भगवानसे डरें

करोड़ों की भीड़ में इतिहास ( मुठ्ठीभर ) लोग ही बनाते हैं, वही रचते है ।इतिहास जो आलोचना से नहीं घबराते हैं. कितना आश्चर्यजनक है ।ना मनुष्य...



करोड़ों की भीड़ में इतिहास ( मुठ्ठीभर ) लोग ही बनाते हैं, वही रचते है ।इतिहास जो आलोचना से नहीं घबराते हैं.
कितना आश्चर्यजनक है ।ना मनुष्य के शरीर में ( 70% ) पानी है, लेकिन जब कभी चोट लगे तो खून निकलता है ,और मनुष्य का ( हृदय ) खून से बना होने पर भी,जब हृदय को चोट लगती है ।तो (आँखों) में  पानी निकलता है ।
हे ईश्वर - आईना साफ किया तो "मैं" नजर आया, और "मैं" को साफ किया तो 'तू' नजर आया।
हे ब्रह्मांड के महान प्राणी, जगत रूपी कल्याण के लिए जो मेस्सेज आपने पोस्ट किया है उसके लिए मैं आपका कृतज्ञ आभारी हूं। यह खबर मिलने के बाद तीनो लोक के प्राणियों में यह होड़ मची हुई है। कि इस खबर का दोहन सबसे ज्यादा कोन से लोक के प्राणी करेंगे । मानव कल्याण हेतु यह खबर इस सदी में सर्वोत्तम स्थान रखती है । भविष्य में भी आप ऐसी खबरों से हमें अनुग्रहित करते रहे ।ये अलौकिक समाचार सुनकर तीनों लोको में बहुत प्रसन्नता है ।समस्त नर और नारी सुर असुर देवता मनुष्य मुनि गनधर्व प्रसन्न हुए ,पूरे ब्रह्मांड में उत्साह है ।दिव्य ज्योति प्रजवालित हुई है ।आगे भी सृष्टि के कल्याण के हेतु ऐसा समाचार डालते रहे ,तकि संसार प्रकाशमय रहे ऐसी सूचनाओं को पा कर।

धन्यवाद परमात्मा का इतनी महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए। आज आप अगर यह जानकारी ना देते तो देवराज इंद्र का सिंहासन हिल गया होता, धरती पर भूकंप आ गया होता।आपने इस खबर को दिखा कर पूरे मानव जाति पर बहुत बड़ा उपकार किया है।इसके लिए आपको कोटि कोटि धन्यवाद। भक्ति कोई दिखावा नही यह तो भक्त और भगवान के बीच की बात है ।जैसे मीरा , गुरू नानक,आह्वाया , हनुमान, जीजुस ,इतियादी से इतिहास भरा पड़ा हैं l भक्ति कर के पूरे विश्व  मे इतिहास रचा हम सभी सब उन का अनुसरण करते है ।

भक्ति वहीं करे ,जो भगवान से डरे : समाज से डरे तो  84  मे पड़े-
आगे पीछे हरि खड़ा ,आप सिवारें  भार ।
जन को दुखी क्या करे ,समर्थ सिरजनहार ।
भावार्थ-भगवान भगत के आगे पीछे खड़े रहते हैं ।वे स्वयं भगत का  भार अपने ऊपर ले लेते है ।वह किसी भगत को दुखी नहीं करना चाहते, कियोकि वह  सर्व शक्ति मान है ।
खोज में तेरी नीर  बहाये ,जाने ओर कहाँ ले जाये ।
इन अँखियाँ के दारे  जागे भाग्य हमारे हम है दास तुम्हारे ।
सदियों से थे दिल पर पडदे आ ,पहुँचे अपनी मंज़िल पर,
आख़िर तेरे सहारे जागे भाग्य हमारे ,सद्गुरू जागे भाग्य हमारे ।
गुरु का स्थान परमात्मा से भी ऊपर माना जाता हैं l क्योंकि गुरू वो होता है , जो हमे परमात्मा तक पहुँचाने का रास्ता बताता है।“ज़िक्र हुआ जब ,ख़ुदा की रहमतों का “हमने ख़ुद को ख़ुशनसीब - पाया ,तमन्ना थी ,एक प्यारे से “सतगुरू की” “ख़ुदा ख़ुद सतगुरू“ बन कर चला आया। अब वह समय आ गया है ।आँखें खोलने का अपनी जीवन यात्रा को सफल बनाने का वक़्त आ 
गया है ।ख़ुद परमात्मा ही चल कर आते हैं ,आपने बच्चों को सत्य भक्ति का मार्गदर्शन कराने शुक्र है ।


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