एक फटी धोती और फटी कमीज पहने एक व्यक्ति अपनी 15-16 साल की बेटी के साथ ,एक बड़े होटल में पहुंचा। उन दोंनो को कुर्सी पर बैठा देख एक वेटर ने...
उन दोंनो को कुर्सी पर बैठा देख एक वेटर ने उनके सामने दो गिलास साफ ठंडे पानी के रख दिए और पूछा- आपके लिए क्या लाना है ? उस व्यक्ति ने कहा- मैंने मेरी बेटी को वादा किया था। कि यदि तुम कक्षा दस में जिले में प्रथम आओगी तो मैं तुम्हे शहर के सबसे बड़े होटल में एक डोसा खिलाऊंगा। इसने वादा पूरा कर दिया। कृपया इसके लिए एक डोसा ले आओ वेटर ने पूछा- आपके लिए क्या लाना है ? उसने कहा-मेरे पास एक ही डोसे का पैसा है। पूरी बात सुनकर वेटर मालिक के पास गया और पूरी कहानी बता कर कहा- मैं इन दोनो को भर पेट नास्ता कराना चाहता हूँ। अभी मेरे पास पैसे नहीं है ।
इसलिए इन के बिल की रकम आप मेरी सैलेरी से काट लेना। मालिक ने कहा- "आज हम होटल की तरफ से इस होनहार बेटी की सफलता की पार्टी देंगे। होटल वालों ने एक टेबल को अच्छी तरह से सजाया और बहुत ही शानदार ढंग से सभी उपस्थित ग्राहको के साथ उस गरीब बच्ची की सफलता का जश्न मनाया। मालिक ने उन्हे एक बड़े थैले में तीन डोसे और पूरे मोहल्ले में बांटने के लिए मिठाई उपहार स्वरूप पैक करके दे दी। इतना सम्मान पाकर आंखों में खुशी के आंसू लिए वे अपने घर चले गए। समय बीतता गया ,और एक दिन वही लड़की I.A.S. की परीक्षा पास कर उसी शहर में कलेक्टर बनकर आई। उसने सबसे पहले उसी होटल मे एक सिपाही भेज कर कहलाया ,कि कलेक्टर साहिबा नास्ता करने आयेंगी।
होटल मालिक ने तुरन्त एक टेबल को अच्छी तरह से सजा दिया। यह खबर सुनते ही पूरा होटल ग्राहकों से भर गया। कलेक्टर रूपी वही लड़की होटल में मुस्कराती हुई अपने माता-पिता के साथ पहुंची। सभी उसके सम्मान में खड़े हो गए।होटल के मालिक ने उन्हे गुलदस्ता भेंट किया ।और आर्डर के लिए निवेदन किया। उस लड़की ने खड़े होकर होटल मालिक और उस बेटर के आगे नतमस्तक होकर कहा—: शायद आप दोनों ने मुझे पहचाना नहीं। मैं वही लड़की हूँ ,जिसके पिता के पास दूसरा डोसा लेने के पैसे नहीं थे।और आप दोनों ने मानवता की सच्ची मिसाल पेश करते हुए।,मेरे पास होने की खुशी में एक शानदार पार्टी दी थी। आप का कितना बिशाल दिल था ,इतना मान ,समान ,दिया ,जिस को मै भलाऊ तो भी भूल नही सकती ।अपनी बेटी जैसा ,प्यार दिया । मन मे भगवान के प्रति और भी विश्वास बढ़ गया वह हैं । सभी का ध्यान रखते है ।सब से बड़ी महानता यह थी किसी की ग़रीबी का मज़ाक़ नही उड़ाना चाहिए ।ऐसा यदि सभी सोचने लग जाये तो यह दुनिया एक दिन स्वर्ग बन जायेगी इसी ख़ुशी मे ,
मेरे पूरे मोहल्ले के लिए भी मिठाई पैक करके दी थी।आज मैं आप दोनों की बदौलत ही कलेक्टर बनी हूँ। आप दोनो का एहसान में सदैव याद रखूंगी।आज यह पार्टी मेरी तरफ से है ।और उपस्थित सभी ग्राहकों एवं पूरे होटल स्टाफ का बिल मैं दूंगी। कल आप दोनों को श्रेष्ठ नागरिक का सम्मान एक नागरिक मंच पर किया जायेगा।
भावार्थ —किसी भी गरीब की गरीबी का मजाक बनाने के वजाय ,उसकी प्रतिभा का उचित सम्मान करें। संभव है ।आपके कारण कोई माँ की (गुदड़ी )का लाल अपनी मंजिल तक पहुंच जाए। सहयोग की अवश्याकता है। एक दूसरे के प्रति भला कर सके ,भावनायो का सामान करे। सदैब ख़ुशी बनी रहे ।प्यार के दो शब्द बहुत मैंने रखते हैं ,की हुई नेकी आप का भाग्य कब बदल दे ,कुछ नहीं कह सकते ।सदैव अच्छी सोच बनाएँ मालिक बहुत ऊँचाइयों पर ले जायेगा ।
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