मगहर में कबीर साहिब जी ने एक लीला की थी। जिसमें भगवान जी ने कहा था ,कि हिंदू और मुसलमानों को, कि मेरे जाने के बाद में आप पीछे झगड़ा ना करना...

मगहर में कबीर साहिब जी ने एक लीला की थी। जिसमें भगवान जी ने कहा था ,कि हिंदू और मुसलमानों को, कि मेरे जाने के बाद में आप पीछे झगड़ा ना करना। क्योंकि मुसलमानों ने कहा था ,कि हमारे पीर हैं हम इनको गाड़ेंगे, हिंदुओं ने कहा था। कि हमारे संत हैं, हम इन को जलाएंगे दोनों राजा सेना लेकर पहुंच गए तो कबीर साहिब जी ने कहा वीरसिंह बघेल और बिजली खा का पठान ,ये सेना किस लिए लेकर खड़े हो , मेरा शरीर नहीं मिलेगा तुम्हें क्यों झगड़ा करते हो। फिर कबीर साहिब जी ने एक चद्दर नीचे बिछाई और एक ऊपर थोड़ी देर में , आकाशवाणी हुई कि
मैं सशरीर जा रहा हूं । पीछे तुम झगड़ना मत करना और चद्दर के नीचे फूल मिले थे। वह फूल हिंदू और मुसलमानों ने आधे आधे बांटे थे। और वहीं पर हिंदुओं ने मंदिर बनाया मुसलमानों ने मजार। आज भी वहां पर विद्यमान है। तो कबीर साहब चार दाग में नहीं आते हैं ,वह पूर्ण परमात्मा है। सतलोक से आए थे ।और वापिस सतलोक चले गए थे। कबीर साहेब हर युग में आते हैं। सदगुरुदेव जी कहते हैं सुखी वही है जिसने मन को जीत लिया और मन जीतने के लिए पूर्ण सद्गुरु की शरण जरूरी है।
सतगुरु की शरण में आने के बाद गुरु जी कहते हैं ।
सतगुरु की शरण में आने के बाद गुरु जी कहते हैं ।
जैसे बच्चा खेल के मैदान में गेम खेलता है ,तो उसके कुछ नियम होते हैं,नियम फाउल होने पर वह आउट हो जाता है। इसी प्रकार परमात्मा के इस गेम में हम खिलाड़ी है ।और हर वक्त हमें डर होना चाहिए ,कि कहीं में आउट ना हो जाये। जब इस डर से हम भक्ति करेंगे ,तो समझ लेना हमने मन जीत लिया
भूपति दुखिया ,सुरपति दुखिया रंक दुखी बपरीती हो ।
कहे कबीर सब जग दुखिया ,एक संत सुखी मन जीती हो।
गुरुजी जी कहते हैं। हंस और बगुला दोनों एक ही रंग के होते हैं और एक जैसे दिखते हैं।
लेकिन हंस मोती चुनता है। और बगुला कीड़े जीव जंतु सभी खा जाता है। इसी प्रकार जो परमात्मा की हंस आत्मा होगी ,वह केवल परमात्मा के राम नाम रूप हीरे मोती ही इकट्ठे करेगी। आज्ञा का पालन करते हुए,भक्ति रूपी धन इकट्ठा कर पवित्र आत्मा सत्य लोक जा सकेगी ।आज्ञा का अनुसरण करते हुये हर पल हमारे दिल दिमाग़ मे परमात्मा का डर होना चाहिए ।
भूपति दुखिया ,सुरपति दुखिया रंक दुखी बपरीती हो ।
कहे कबीर सब जग दुखिया ,एक संत सुखी मन जीती हो।
गुरुजी जी कहते हैं। हंस और बगुला दोनों एक ही रंग के होते हैं और एक जैसे दिखते हैं।
लेकिन हंस मोती चुनता है। और बगुला कीड़े जीव जंतु सभी खा जाता है। इसी प्रकार जो परमात्मा की हंस आत्मा होगी ,वह केवल परमात्मा के राम नाम रूप हीरे मोती ही इकट्ठे करेगी। आज्ञा का पालन करते हुए,भक्ति रूपी धन इकट्ठा कर पवित्र आत्मा सत्य लोक जा सकेगी ।आज्ञा का अनुसरण करते हुये हर पल हमारे दिल दिमाग़ मे परमात्मा का डर होना चाहिए ।
कि हम ने उन की क्लास मे नम्बर ( वन ) यानि फ़सट बनना है ।जीवन यात्रा को सफल बनाये अपने आप को हल्का महसूस करेंगे ।इस मे 100 % सचाई है ।
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