अनोखा रहस्य - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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अनोखा रहस्य

हर आत्मा अनोखी होती हैं। हर आत्मा का रोल फ़िक्स है। तो फिर तुलना किस बात की। हर व्यक्ति का अपना - अपना भाग्य होता है। पुरुषार्थ हमेशा आत्...






हर आत्मा अनोखी होती हैं। हर आत्मा का रोल फ़िक्स है। तो फिर तुलना किस बात की। हर व्यक्ति का अपना - अपना भाग्य होता है। पुरुषार्थ हमेशा आत्मा हीत के लिए होता है।

                            जा दिन सद्गुरू भेटिया ,सौ दिन लेखे जान ।
                             बाक़ी समय व्यर्थ गया ,बिन गुरू के ज्ञान ।

पूरे विश्व में एक मात्र पूर्ण परमात्मा यानि (सद्गुरू ) के आध्यात्मिक ज्ञान से पूरे विश्व में शांति होगी। 17 फरवरी 1988 को उन को नाम उपदेश प्राप्त हुआ था। तब से लेकर अब तक उन्होंने करोड़ों लोगों के दिलों को जीत लिया । विकारों से मुक्त कर मोक्ष की राह दिखाई। परमात्मा कहते हैं - भगवान की भक्ति के लिये कोई विशेष आडम्बर की ज़रूरत नहीं है। माला ,टीका ,तिलक ,ओर भगवा रंग लाल ,रंग के कपड़े पहनने से इस प्रकार का दिखावा करने से कुछ हासिल नहीं हो सकता। यहाँ संतों की वाणी हो ,वहीं उद्धार होता है। आज्ञा का पालन करते रहे ,तो ज़िन्दगी को कामयाब बना सकते हैं। परमात्मा हमें बताते है कि-:हमें आत्मा की खुराक बढ़ानी पड़ेगी। इसलिये और मन की खुराक एकदम कम करनी होगी। तभी आत्मा प्रबल होगी, और हम मन जीती बनेंगे। आत्मा की खुराक-:  सेवा, दान करना  जग, हवन आदि।

जग सारा रोगिया रे , जिन सतगुरु वैध ना जानिये, जग सारा रोगिया रे ........

दया करी भगवान ने जो हमें अपनी शरण में ले लिया. परमात्मा के दरबार में सब एक जैसे हैं। कोई जात पात नहीं कोई बड़ा छोटा नहीं है। परमात्मा सब पर एक समान दृष्टि रखते हैं। और हमारी आत्मा कई जन्मों से बीमार है ।और सत्संग आत्मा की खुराक है। इस लिये परमात्मा के दरबार में मरीज़ बन कर जाये। वहाँ पर ना पद अभिमान चलता है, ना धन का मरीज होता है। सद्गुरू देव जी हमारे सब से बड़े डाक्टर है। और हम मरीज़ है ,हम जन्म मरण के रोग से ग्रस्त हैं। इसलिये डाँक्टर जैसा कहें वैसा करना चाहिए। तभी हम इस रोग से मुक्त हो सकते है ।
                                                          
                                                          जो जन मेरी शरण में, उन का हूँ मैं दास ।
                                                         गेल गेल फिरता रहूँ, जब तक पृथ्वी आकाश ।

हर प्राणी का अपना खाता खुला रहता है। अच्छे कर्म ,बुरे कर्म ,तब सब सुख सुविधाओं को प्राप्त कर सकते है ।अपति आने पर  पछतावे के बग़ैर  कुछ हासिल नहीं कर सकते। मालिक ने हमें  कई  उदहारण  देकर समझाया है ।गुरू जी को समझो हैंड पंप सद्गुरू जी का कनेक्शन पानी से होता है। हैड पम्प से गुरूजी सारी  सुख  सुविधाएँ उपलब्ध कराते  है घड़ा जल का भरेंगे यानि जल ( राम ) है  गुरू गोविंद  दोनों  खड़े  काको लागे  पाये  वलिहारी गुरु अपना  जिन गोविंद दियो मलाये ।इसलिये  बोला स्वयं  उतर भी दे रहे हैं  यदि। हैड पम्प मिल गया चाहे  100 घड़े  भर लें या हज़ार घड़े भर ले उन की महिमा अपरम्पार है। सब कुछ करने में सक्षम है। वस हमें अपने आप को समझना है ।
 भावार्थ सतगुरु के द्वारवार में दडता नही है , अज्ञान नहीं , भक्ति नहीं ,असत्य नहीं ( सत्य को ) पहचानने की कोशिश  करे। निर्मल ज्ञान पाकर मन को अति प्रसन्नता मिलती हैं ।सत्य के साथ परमात्मा सदैव साथ साथ रहते हैं ।









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