गुरू मोहि दीन ही अजब घड़ी,सोई जड़ी मोहि प्यारी लगत है । अमृत रस भरी काया नगर ,अजब इक बंगला ताने गुप...

गुरू मोहि दीन ही अजब घड़ी,सोई जड़ी मोहि प्यारी लगत है ।
अमृत रस भरी काया नगर ,अजब इक बंगला ताने गुप्त घरी ।
पाँचों नाग पचासों नागिन , सुँघत तुरंत मरी ,या काल ने सब जग खायो ।
संत गुरू देख डरी ,कहे कबीर सुनो भाई साधो ले परिवार तरी ।
गुरू मोहि दीन ही अजब घड़ी ,
प्रेम भक्ति न छोड़ीये चाहे निंदा करे संसार ।
भक्ति में परम सुख है ,पल पल सुमरो ( नाम )
जीवन मानव शरीर रूपी ह्दय कमलों में भगवान का बास है। त्रिकुटी से पहले पाँच कमल बने हैं ।जो रीड की हड्डी के साथ-साथ पेट की ओर चार पंखुड़ी का चक्र कमल इस में -:
(1) (मूल कमल ) इस में गणेश जी का निवास है ।
(2) (स्वाद कमल ) इस में सावित्री तथा बाह्य जी का निवास है ।यह छ: पंखुड़ी का कमल चक्र हैं
(3) ( नाभि कमल ) इस में लक्ष्मी तथा विष्णु जी का निवास है यह आठ पंखुड़ी का कमल है l
(4) ( हृदय कमल )इस में पार्वती तथा शंकर जी का निवास है । यह बारह पंखुड़ी का कमल चक्र है ।
(5) (कंनठ कमल )इस में दुर्गा जी का निवास है । सोलह पंखुड़ी का कमल चक्र है ।
(6) (त्रिकुटी कमल) इसमें सतगुर का बास हैं। इसमें दो पंखुड़ी का कमल चक्र हैं।
(7) ( सहस्त्र कमल) वो हैं पूर्ण ब्रह्म परमात्मा ।
सर्व प्रथम हमने इन कमलों के देवताओं से ऋण-मुक्त होना है ।इन के नाम मन्त्रों की साधना अर्थात् मज़दूरी करनी है जिस से यह देवता हमें आगे जाने देंगे। ह्रदय कमल से जीव नीचे मूल कमल में जाएगा। फिर वहाँ से स्वाद कमल में फिर नाभि कमल में फिर ह्रदय कमल में फिर कण्ठ कमल में जायेगा। इस के बाद कमल में जीव जायेगा वहाँ पर तीन रास्ते हो जाते पहले बँरीयर है उन को पार कर के त्रिकुटी पर ज़ाया जायेगा ।
( No Due Cerficate ) ऋण मुक्त प्रमाण -पत्र प्राप्त करना होगा तब उस का वापिस आने का पासपोर्ट बनेगा ,नहीं तो उसे वापिस नहीं आने दिया जाएगा। इसी प्रकार आप इस काल के लोक में शास्त्र विरुद्ध साधना कर के भक्ति हीन होकर ऋणी हो गए हो। पहले साहूकार बनाया जायेगा। उस के लिए कविदेव को Representative बना कर भेजा है। उस परमात्मा की तरफ़ से सद्गुरूआप का ( Guarantor ) बनेगा। ब्रह्मा -विष्णु -शिव- शक्तियों से ( कनेक्शन सम्पर्क का लाभ ) प्रारम्भ करवाएगा ,नाम की कमाई कर के बिल भरना है। तीन घंटे से ज़्यादा नाम की कमाई कर के भक्ति के धनी बन सकोगे जैसे -:
हमारे शरीर में कमल बने हैं ,इन्हीं कमलों से हो कर जाना है। पूजा हम ने ( इष्टदेव की करनी है) । ऋण देवताओं का चुकाना है। परमात्मा के चरणों में कोटी कोटी प्रणाम। मन की गहराइयों से धन्यवाद करती हूँ हम उन के राज्य में रह रहे हैं। भक्ति कर के उन देवताओं का ऋण चुकता करना है। फिर सत्य लोक जाने की तैयारी करनी है ।यह सब सद्गुरूजी महाराज की आज्ञानुसार सब कुछ ठीक हो जाएगा। पूर्ण तन महिता विश्वास के साथ सफल हो सकते हैं। यह रास्ता मालिक जी ने बड़ा सही बताया हैं बाई पास का मार्गदर्शन ।हम भाग्य शाली हैं ,उन के मुखारबिंद से सुना है ,हमारी जीवन यात्रा का यही परियास होना चाहिये ,हम अपने करमों को कैसे सफल बनायें,अपने परम पिता परमेश्वर जी महाराज को कैसे खुश कर सके ।
(2) (स्वाद कमल ) इस में सावित्री तथा बाह्य जी का निवास है ।यह छ: पंखुड़ी का कमल चक्र हैं
(3) ( नाभि कमल ) इस में लक्ष्मी तथा विष्णु जी का निवास है यह आठ पंखुड़ी का कमल है l
(4) ( हृदय कमल )इस में पार्वती तथा शंकर जी का निवास है । यह बारह पंखुड़ी का कमल चक्र है ।
(5) (कंनठ कमल )इस में दुर्गा जी का निवास है । सोलह पंखुड़ी का कमल चक्र है ।
(6) (त्रिकुटी कमल) इसमें सतगुर का बास हैं। इसमें दो पंखुड़ी का कमल चक्र हैं।
(7) ( सहस्त्र कमल) वो हैं पूर्ण ब्रह्म परमात्मा ।
सर्व प्रथम हमने इन कमलों के देवताओं से ऋण-मुक्त होना है ।इन के नाम मन्त्रों की साधना अर्थात् मज़दूरी करनी है जिस से यह देवता हमें आगे जाने देंगे। ह्रदय कमल से जीव नीचे मूल कमल में जाएगा। फिर वहाँ से स्वाद कमल में फिर नाभि कमल में फिर ह्रदय कमल में फिर कण्ठ कमल में जायेगा। इस के बाद कमल में जीव जायेगा वहाँ पर तीन रास्ते हो जाते पहले बँरीयर है उन को पार कर के त्रिकुटी पर ज़ाया जायेगा ।
( No Due Cerficate ) ऋण मुक्त प्रमाण -पत्र प्राप्त करना होगा तब उस का वापिस आने का पासपोर्ट बनेगा ,नहीं तो उसे वापिस नहीं आने दिया जाएगा। इसी प्रकार आप इस काल के लोक में शास्त्र विरुद्ध साधना कर के भक्ति हीन होकर ऋणी हो गए हो। पहले साहूकार बनाया जायेगा। उस के लिए कविदेव को Representative बना कर भेजा है। उस परमात्मा की तरफ़ से सद्गुरूआप का ( Guarantor ) बनेगा। ब्रह्मा -विष्णु -शिव- शक्तियों से ( कनेक्शन सम्पर्क का लाभ ) प्रारम्भ करवाएगा ,नाम की कमाई कर के बिल भरना है। तीन घंटे से ज़्यादा नाम की कमाई कर के भक्ति के धनी बन सकोगे जैसे -:
हमारे शरीर में कमल बने हैं ,इन्हीं कमलों से हो कर जाना है। पूजा हम ने ( इष्टदेव की करनी है) । ऋण देवताओं का चुकाना है। परमात्मा के चरणों में कोटी कोटी प्रणाम। मन की गहराइयों से धन्यवाद करती हूँ हम उन के राज्य में रह रहे हैं। भक्ति कर के उन देवताओं का ऋण चुकता करना है। फिर सत्य लोक जाने की तैयारी करनी है ।यह सब सद्गुरूजी महाराज की आज्ञानुसार सब कुछ ठीक हो जाएगा। पूर्ण तन महिता विश्वास के साथ सफल हो सकते हैं। यह रास्ता मालिक जी ने बड़ा सही बताया हैं बाई पास का मार्गदर्शन ।हम भाग्य शाली हैं ,उन के मुखारबिंद से सुना है ,हमारी जीवन यात्रा का यही परियास होना चाहिये ,हम अपने करमों को कैसे सफल बनायें,अपने परम पिता परमेश्वर जी महाराज को कैसे खुश कर सके ।
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