अद्भुत महानता - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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अद्भुत महानता

स्कूल की क्लास चल रही थी। लगभग 40 स्टूडेंट्स थे। अचानक एक बालक खड़ा हुआ। उस ने घबराते हुए कहा सर मेरे पिता जी ने मेरे जन्म दिन पर बहुत क...






स्कूल की क्लास चल रही थी। लगभग 40 स्टूडेंट्स थे। अचानक एक बालक खड़ा हुआ। उस ने घबराते हुए कहा सर मेरे पिता जी ने मेरे जन्म दिन पर बहुत क़ीमती घड़ी  मुझे दी। सर वह घड़ी अभी अभी किसी ने चुरा ली ।सर ने कहा अभी कैसे चुरा ली 5 मिनट का व्रेक हुआ था , मै घड़ी टेबल पर रख कर गया था। उस के बाद क्लास में कोई आया गया नहीं ,प्रोफ़ेसर के मन में विचार  आया बच्चों को पता नहीं लगना चाहिए। यह घड़ी किस ने चुराई है।

प्रोफ़ेसर कहा कि सब अपनी अपनी आँखें  पटी से बाँध लो। सभी ने पटी बांध ली लाइन में सब खड़े हो गये प्रोफ़ेसर ने सबको हाथ लगाना शुरू किया। उस लड़के की जेब में धड़ी मिल गई प्रोफ़ेसर ने चुपचाप जेब से घड़ी निकाली उस लड़के के हाथ में दे दी। किसी को पता नहीं चला , किस ने घड़ी चुराई है ।क्लास नौरमल चलने लगी। अगले दिन वो लड़का घबराता रहा भयवीत रहा उसे डर था मेरा राज खुल जायेगा ग़लती छोटी हो या बड़ी क्लास के सामने टीचर के सामने बहुत बड़ी बेजती होना सारी उम्र के लिये बदनामी बनी रहेगी। सोचकर मन ही मन दुख मसूस कर रहा  था। यह क्या कर दिया मैंने, अफ़सोस मन  को कोसने लगा ,मैं आत्म हतिया कर लू  ,मन समुद्र की स्थिर नही हो रहा था ,बेचैनी बड़ती जा रही  थी।

  लेकिन किसी को पता नहीं चला ,धीरे-धीरे सब कालिज पूर्ण हो गया। मैं खूब पड़ने लगा काफ़ी होशियार हो गया ,टीचर को बहुत ख़ुशी  गई। बच्चे आपनी पड़ाई अच्छी तरह चल रही थी अब वह लड़का 7 साल के बाद बड़ा होनहार निकला ,बड़ी मेहनत की एक दिन वह  फ़ैक्टरी का मालिक बना ,टाईम गुजरता गया  तन महता से काम करता चला गया एक दिन सैलीबरैटर के रूप में स्कूल के फ़ंक्शन में वह मर्सिडीज़ बेंज़ पर आया। प्रोफ़ेसर के पैर छुये ,बड़ी रसपैकट की प्रोफ़ेसर से कहा मुझे कुछ कहना है। 
उस ने कहा वोलो लड़के ने कहा। मैंने उस दिन घड़ी की चौरी की ।आपने उस दिन मेरी लाज रख ली ,मैं आप का  ओर भगवान का शुक्रगुज़ार हूँ  बहुत क़र्ज़ दार हूँ। मुझ से बड़ी गलती हो गई थी। मैं जीबत हूँ ,आप की बदौलत से  आप ने मेरी Self -Respect रख ली  ,प्रोफ़ेसर ने कहा अच्छा वो तुम थे। जी हाँ पता नही अचानक  यह  कया हो गया ( मतलब ) मैंने भी  उस दिन साथ में पटीं बाधँ रखी थी ।क्योंकि मैं भी नहीं चाहता था ,मेरे स्टूडेंट को शर्मिंदा  होना पड़े ।मेरे स्टूडेंट् की वैल्यू नज़रों में कम हो। आप ने मुझे अपमान से बचा लिया। यही तो सब से बड़ी महानता है ,आप की  सर आप ने तो ऐसा काम किया मेरी ज़िन्दगी ही बदल गई। मेरे दिल मे आप के प्रति और भी स्नेह बड़ गया लाइफ़ मे बहुत कुछ सीखा है । जो आप ने किया बहुत सहरानीय Example है। आज  मै आप की बदौलत  इस मुक़ाम पर पहुँचा हूँ । मन की गहराइयों से आप जी का धन्यवाद। ज़िन्दगी एक अनमोल ख़ज़ाना है।

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