ज़िन्दगी का कड़वा सच यह हैं कि कहाँ ले जाना है, इकट्ठा करके धन, इस मोह माया नगरी से काल ने दुनियाँ को भ्रमित किया हुआ है। हम सभी आत्माओं को...
ज़िन्दगी का कड़वा सच यह हैं कि कहाँ ले जाना है, इकट्ठा करके धन, इस मोह माया नगरी से काल ने दुनियाँ को भ्रमित किया हुआ है। हम सभी आत्माओं को इतना दुविधा में छोड़ दिया, कोई अपना भी अपना नहीं है ,सब कलयुगी इन्सान हो गये हैं। मोह, ममता प्यार, मुहब्बत के नाम पर धोखा है। सच्चाई कोसो दूर है। हम कैसे पार निकल सकते हैं। यानि हमारा उधार हो सकता हैं । दुनियां की बहुत ही मशहूर फैशन डिजाइनर और लेखिका ने अपने जीवन में बहुत मेहनत की। रवी रोड्रिग्ज कैंसर से अपनी मौत से पहले लिखती हैं.
*— मेरे कार गैराज मे दुनियां की सब से महंगी कारें खड़ी है ,पर मैं अस्पताल की व्हीलचेयर पर सफर करती हूं।
*—घर मे मेरी अलमारी मे हर तरह के महंगे कपड़े हैं, हीरे जवाहरात गहने बेशुमार महंगे जूते पड़े हैं पर मैं अस्पताल की दी हुई एक सफेद चादर मे नंगे पैर लिपटी हुई हूं।
*—मेरे बैंक मे बेशुमार पैसे हैं पर अब मेरे किसी काम के नहीं हैं।
*—मेरा घर एक महल की तरह है पर मैं अस्पताल में डबल साइज बेड पर पड़ी हुई हूं।
*—मैं एक फाइव स्टार होटल से दूसरे फाइव स्टार होटल मे बदल बदल कर रह सकती हूं पर इधर एक लैबोरेट्री से दूसरी लैवोरेटरी के बीच घुमती हूं।
*—मैंने करोड़ों चाहने वालों को अपने ऑटोग्राफ दिए हैं। पर आज मैंने डॉक्टर के आखरी नोट पर दस्तखत कर दिए हैं।
*—मेरे पास 7 महगें बालों को सिंगारने वाले ज्वेलरी सेट हैं पर आज मेरे सिर पर बाल ही नहीं हैं।
*—अपने निजी जहाज पर मैं कहीं पर भी एक स्थान से दूसरी जगह पर जा सकती थी पर इधर मेरे को आज व्हील चेयर पर बिठाने के लिए भी दो आदमियों की जरूरत पड़ती है।
* —वैसे तो बहुत तरह के खाने हैं ,पर मेरे लिए कोई मुश्किल नहीं खाने, पर मेरा खाना सबेरे दो गोलियां से और शाम को थोड़ा सा दूध है। मेरा घर, मेरा पैसा, मेरी कारें, मेरी महंगी ज्वेलरी, मेरी शोहरत किसी काम नहीं आ रही। जिसके पीछे मैंने सारी उम्र जद्दोजहद की थी। ये सब कुछ अब मुझे सकून नहीं दे सकते। जग रचना सब झूठ है जान ले रे मीत।,कह नानक थर ना रहे जो बालू की भीत। जिंदगी बहुत छोटी है। मौत सब से बड़ा सच है ,पर हम इस सच को भूलाए बैठे हैं। कोशिश करिए। हर एक दूसरे की मदद करिए। किसी का हक ना मारिए, अहंकारी ना बनिए, हर इंसान का सत्कार करिए, हर एक को गले लगाइए, अपनो से बातचीत करते रहिए। मस्त रहिए, व्यस्त रहिए, स्वस्थ रहिए, और तंदुरुस्त रहिए, अनाथों का भला करते रहियेगा। यही इन्सान की सच्चाई हैं। ज़िन्दगी के रहते ही इन्सान को समझ आ जाना चाहिए कि सेहत से बड़ा कुछ भी नहीं है।
*—घर मे मेरी अलमारी मे हर तरह के महंगे कपड़े हैं, हीरे जवाहरात गहने बेशुमार महंगे जूते पड़े हैं पर मैं अस्पताल की दी हुई एक सफेद चादर मे नंगे पैर लिपटी हुई हूं।
*—मेरे बैंक मे बेशुमार पैसे हैं पर अब मेरे किसी काम के नहीं हैं।
*—मेरा घर एक महल की तरह है पर मैं अस्पताल में डबल साइज बेड पर पड़ी हुई हूं।
*—मैं एक फाइव स्टार होटल से दूसरे फाइव स्टार होटल मे बदल बदल कर रह सकती हूं पर इधर एक लैबोरेट्री से दूसरी लैवोरेटरी के बीच घुमती हूं।
*—मैंने करोड़ों चाहने वालों को अपने ऑटोग्राफ दिए हैं। पर आज मैंने डॉक्टर के आखरी नोट पर दस्तखत कर दिए हैं।
*—मेरे पास 7 महगें बालों को सिंगारने वाले ज्वेलरी सेट हैं पर आज मेरे सिर पर बाल ही नहीं हैं।
*—अपने निजी जहाज पर मैं कहीं पर भी एक स्थान से दूसरी जगह पर जा सकती थी पर इधर मेरे को आज व्हील चेयर पर बिठाने के लिए भी दो आदमियों की जरूरत पड़ती है।
* —वैसे तो बहुत तरह के खाने हैं ,पर मेरे लिए कोई मुश्किल नहीं खाने, पर मेरा खाना सबेरे दो गोलियां से और शाम को थोड़ा सा दूध है। मेरा घर, मेरा पैसा, मेरी कारें, मेरी महंगी ज्वेलरी, मेरी शोहरत किसी काम नहीं आ रही। जिसके पीछे मैंने सारी उम्र जद्दोजहद की थी। ये सब कुछ अब मुझे सकून नहीं दे सकते। जग रचना सब झूठ है जान ले रे मीत।,कह नानक थर ना रहे जो बालू की भीत। जिंदगी बहुत छोटी है। मौत सब से बड़ा सच है ,पर हम इस सच को भूलाए बैठे हैं। कोशिश करिए। हर एक दूसरे की मदद करिए। किसी का हक ना मारिए, अहंकारी ना बनिए, हर इंसान का सत्कार करिए, हर एक को गले लगाइए, अपनो से बातचीत करते रहिए। मस्त रहिए, व्यस्त रहिए, स्वस्थ रहिए, और तंदुरुस्त रहिए, अनाथों का भला करते रहियेगा। यही इन्सान की सच्चाई हैं। ज़िन्दगी के रहते ही इन्सान को समझ आ जाना चाहिए कि सेहत से बड़ा कुछ भी नहीं है।
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