माँ सीता ने सभी को खीर परोसना शुरू किया ,और भोजन शुरू होने वाला था। कि जोर से एक हवा का झोंका आया। सभी ने अपनी अपनी पतले सम्भाली, सीत...
माँ सीता ने सभी को खीर परोसना शुरू किया ,और भोजन शुरू होने वाला था। कि जोर से एक हवा का झोंका आया। सभी ने अपनी अपनी पतले सम्भाली, सीता जी बड़े गौर से सब देख रही थी। ठीक उसी समय राजा दशरथ जी की खीर पर एक छोटा सा घास का तिनका गिर गया जिसे माँ सीता जी ने देख लिया। लेकिन अब खीर मे हाथ कैसे डाले यह प्रश्न आ गया। माँ सीता जी ने दूर से ही उस तिनके को घूर कर देखा वो जल कर राख की एक छोटी सी बिंदु बन कर रह गया । सीता जी ने सोचा ,अच्छा हुआ किसी ने देखा नही।
लेकिन राजा दशरथ माँ सीता जी के इस चमत्कार को देख रहे थे । फिर भी दशरथ जी चुप रहे, और अपने कक्ष में पहुँच कर माँ सीता जी को बुलाया ,फिर उन्होंने सीता जी से कहा कि मैंने आज भोजन के समय के चमत्कार को देख लिया था ।आप साक्षात जगत जननी स्वरूपा है ,लेकिन एक बात आप मेरी याद रखना। आप ने जिस नज़र से आज उस तिनके को देखा था । उस नज़र से आप अपने शत्रु को भी कभी मत देखना , इस लिये माँ सीता जी के सामने जब भी रावण आता था । तो वो उस घास के तिनके को उठाकर राजा दशरथ जी की बात याद कर लेती थी।
तृण धर ओट क़हत वैदेही, सुमिरी अवधपिती परम स्नेही , यही है उस तिनके का रहस्य। इस लिये माता सीता जी चाहती तो रावण को उस जगह पर ही राख कर सकती थी। लेकिन राजा दशरथ जी को दिये वचन एंव भगवान श्रीराम को रावण -वध का क्षेम दिलाने हेतु वो शान्त रही। भगवान का डर ,बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
तन मन धन सब अरपिये , भगति भक्ति के काज।
ज़्यादा उम्र का बूढ़ा व्यक्ति अपने जीवन में आध्यात्मि के सौ से ज़्यादा दरवाज़े देख और खटका चुका हो। फिर जब उसे तत्व दर्शी का तत्व ज्ञान समझ आता है। तो उसे बस समर्पण और भक्ति पर नज़र आती हैं ,फिर चाहे दंडवत् करने के स्थान मिट्टी भरा ही क्यू ना हो वो समझ चुका होता हैं ।इस शरीर रूपी मिट्टी को इस मिट्टी में मिलने से पहले अपने जीवन को सफल बना लू. इतनी सी बात समझने में किसी किसी को युगों युगों लग जाते हैं।
ऐसे ही सैकड़ों साल पहले की एक मान्यता थी की सुरज पृथ्वी के चारों ओर चक्र लगता है। शोध करके बताया कि सूर्य पृथ्वी के चक्कर नहीं लगता बल्कि पृथ्वी सूर्य का चक्र लगाती है ।धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगा कर उसे फाँसी दे दी लगभग 400 साल के बाद पता चला कि बह आदमी ठीक कह रहा था। पृथ्वी ही सूर्य के चक्र लगाती हैं। 400 साल के बाद मरे हुए व्यक्ति से माफ़ी माँगते हैं।
कितनी बड़ी बिडमबना है। समय रहते सोच बिचार करने की अवश्यकता है। मालिक ने Projecter के माध्यम से सब को प्रमाणों सहित बताया गया है कि God is one मगर दुनिया की धार्मिक भावनाओं को ठेस लगती हैं. बाद में समझने का ( मौक़ा ) यानि समय नहीं मिलेगा अभी समझना होगा। बाद में गलती की माफ़ी माँगने से अच्छा है ।पहले ही जाँच कर परखे फिर अपनाये।समय बड़ा बलवान है ,समय की कद्र करे। धन्यवाद .हम भाग्य शाली हैं ,मालिक हमारे साथ हैं ,उन के मुखारबिंद से
निकले शब्द हमारे लिये बहुत मैंने रखते हैं ( यानि बहुत मूल्यवान है ) हम अपने आप को ऐसा बनायें जैसे मालिक चाहते हैं ।
उन का आशीर्वाद सदैव हमारे साथ हैं ।
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