जब किसी भी ईश्वर को आप मानते है ।उस की शरण में रोज़ कुछ समय बिताये, जीवन की आपा धापी से मुक्त होने मे मदद करेगा ।जब हम आस्था से जुड़त...
जब किसी भी ईश्वर को आप मानते है ।उस की शरण में रोज़ कुछ समय बिताये, जीवन की आपा धापी से मुक्त होने मे मदद
करेगा ।जब हम आस्था से जुड़ते है ,तो हमारे भीतर मज़बूती आती है। हमारा आत्म विश्वास और निश्चय दृढ़ होता है , दुविधा ख़त्म होती है ,हम प्रसन्न रहते है ।प्रसन्नता हमारा स्वभाव हैं, जब भी हम किसी चीज़ की न मिलने पर ना ख़ुश होते है। गहरी नींद में हमे ख़ुशी होती है क्योंकि हमारी कोई इच्छा नही होती स्वाभाविक रूप से प्रसन्न रहते है, दिलो में वही बस्ते है जिन का मन साफ़ हो ।
क्योंकि सूई मे वही धागा प्रवेश कर सकता ,जिस धागे मे कोई गाँठ न हो ।इसी प्रकार हमारा ह्दय कैसे चल रहा है। यह तो डाक्टर बता देंगे (परन्तु ) ह्दय मे क्या चल रहा है यह ( सिर्फ़ ) (सद्गुरू) ही जानता है। सो अपने ह्रदय को सदैव शुद्ध रखो। परमात्मा सभी को एक ही मिट्टी से बनाता हैं, बस फ़र्क़ इतना है ,कि कोई बाहर से खूब सूरत होता है ।तो कोई भीतर से ,भिक्षा पात्र तो भरा जा सकता है ।पंरतु इच्छा पात्र कभी नही भरा जा सकता। संतोष मे ही परम सुख है ,मन में आनन्द की अनुभूति प्राप्त होतीं हैं ।
ज़िन्दगी मे ऊंचा उठने के लिये किसी डिग्री की ज़रूरत नही ,दोस्तों मीठे शब्द और अच्छा व्यवहार ही इन्सान को बाद - शाह बना देता है ।यह सब शब्दों का आदान-प्रदान है ,पूर्ण परमात्मा सारी जन्नत को बेखुबी से जानता हैं ।इस संसार के पालनहार व कृपा दृष्टि से कोई बच नही सकता। हमारा सलाह कार कौन है , यह बहुत महत्व पूर्ण समझना है ।हम दो नही ,सब अपनी आँखों का ही भ्रम है ।जब हम नाम सुमरन करते है ,मन के विकार कोसों दूर भाग जाते है ।मन शान्त मय , तन मय हो जाता है ।
ज़िन्दगी मे ऊंचा उठने के लिये किसी डिग्री की ज़रूरत नही ,दोस्तों मीठे शब्द और अच्छा व्यवहार ही इन्सान को बाद - शाह बना देता है ।यह सब शब्दों का आदान-प्रदान है ,पूर्ण परमात्मा सारी जन्नत को बेखुबी से जानता हैं ।इस संसार के पालनहार व कृपा दृष्टि से कोई बच नही सकता। हमारा सलाह कार कौन है , यह बहुत महत्व पूर्ण समझना है ।हम दो नही ,सब अपनी आँखों का ही भ्रम है ।जब हम नाम सुमरन करते है ,मन के विकार कोसों दूर भाग जाते है ।मन शान्त मय , तन मय हो जाता है ।
सांसारिक कोई इच्छा नही रहती। अपनी अन्तर् आत्म की आवाज़ सुने जी हाँ । ज़िन्दगी में अपनी उम्मीद की टोकरी को ख़ाली कर दीजिए ।परेशानियाँ नाराज़ होकर ख़ुद ही चली जायेगी । ज़्यादा ख़्वाहिशें नही बस ज़िंदगी का अगला लम्हा पिछले से बेहतर हो काफ़ी है । ब्रम्हाण्ड मे सब से तीव्र गति प्रार्थना की है । ह्दय से मुख तक पहुँचने से पहले ये भगवान तक पहुँच जाती हैं ।एक बार सच्चे मन से याद करके तो देखिए, मन कितना प्रफुल्लित रहेगा ।दुनिया की सभी चीजें तुच्छ लगेगी सब कुछ एक सपना सा प्रतीत होगा ।जिस को हम अपना मानते है ।वह सब हमारी आँखों का भ्रम है हम असलियत से बहुत ही
कोसों दूर है ।
मुझे ऐसी लगन लगा दे ,तेरे बिन पल ना रहूँ ,भक्ति ,प्यार बाला ,दीप जलादे तेरे बिन जी ना सकूँ तेरे बिन पल ना.......रहूँ ।
मुझे ऐसी लगन लगा दे ,तेरे बिन कुछ ना रहूँ ।शब्द की महिमा बतादे ,दिल बिच जोत जलादे तेरे बिन ......रहूँ
प्रवाह न करूँ चाहे सारा ज़माना ख़िलाफ़ हो ,चलूँ उस रास्ते पर जो सच्चा ओर साफ़ हो तेरे बिन ........रहूँ
सतगुरू मेहर करे तो काँग को हंस बना दे ।दिल पिच प्यार बाली उमंग जगाते तेरे बिन ........रहूँ.......
संगत कीजै साधु की,कभी न निष्फल होये । लोहा पारस परसते ,सो भी कंचन होये ।
दिल का मरहम ना मिला ,जो मिला सो गर्जी। कह कबीर आसमान फट गया क्योंकर
सीवे दर्ज़ी ।कबीर जी कहते हैं ,कि लोगों का स्वार्थ देख मन रूपी आकाश फट गया । उसे दर्ज़ी क्यों कर सी सकता हैं
वह तो तब ही ठीक हो सकता हैं जब कोई ह्रदय का मर्म जानने वाला मिले ।अपनी जीवन यात्रा को नेक मार्ग पर लगायें ।
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