एक साधु बारिश के समय एक मिठाई की दुकान के पास से गुज़र रहा था। वो उस दुकान के पास रूक गया। उसे भूख लगी थी,लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे। इसलिए...

एक साधु बारिश के समय एक मिठाई की दुकान के पास से गुज़र रहा था। वो उस दुकान के पास रूक गया। उसे भूख लगी थी,लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे। इसलिए वो कुछ पल भट्टी पर हाथ सेंकने के बाद चला जाना चाहता था,लेकिन हलवाई का दिल नेक दिल था। उसने एक प्याला गरम दूध और जलेबियाँ साधु को दे दी। साधु खुश होकर हलवाई को दुआ देकर चला गया। साधु खुशी (मस्ती) के कारण गंदले पानी के छींटे उड़ाता चला जा रहा था ।
वह इस बात से बेखबर था ,कि पानी से एक नव विवाहित जोड़ा पानी से बचता हुआ उसके पीछे चला आ रहा था।इतने में साधू ने गंदले पानी में जोर से लात मारी जिससे पानी उड़ता हुआ सीधे आने वाली पीछे युवती के कपड़ो पर पड़ा ,उसके पति को यह बात बर्दाश्त नहीं हूई ,और उसने एक जोरदार थप्पड़ साधु के जड़ दिया, जिससे साधु लडखडाता हूआ कीचड़ में जाकर गिर गया युवक ने जब साधु को नीचे गिरता हुआ देखकर मुस्करा कर चल दिया।बूढ़े साधु ने आकाश की और देखा ,भगवान से बोला कभी दूध जलेबियाँ ,कभी थप्पड़।
यह कहता हूआ फिर से अपने एक रास्ते चल दिया । दुसरी और नवविवाहित जोड़ा थोड़ी देर बाद घर पहुँच गया ।और जब युवक घर की सीढ़ियों पर चढ़ रहा था । बारिश के कारण सीढियों में फिसलन थी ,युवक सीढियों में फिसल कर नीचे गिर गया। यूवक का सिर फट गया ज्यादा खून बहने के कारण तुरंत उसकी मौत हो गयी ।वहां भीड़ इकट्ठी हो गई ।
उसकी पत्नी ने लोगो को सारी बात बता कर कहा यह जरूर उस साधु ने ही श्राप दिया है। जिसके कारण ऐसा हुआ है ,उसकी बातें सुन कर कुछ लोग उस साधु को पकड़ने भागे,और साधु के पास पहुँचकर कर बोले आप कैसे साधु है। एक युवक को एक थप्पड़ के कारण श्राप दे दिया ,साधु बोला मैंने कोई श्राप नहीं दिया।
मेरे कदमो से जो कीचड़ उछला था। उससे क्या युवक के कपड़े गन्दे हुए थे लोग बोले नहीं. साधु बोले हाँ युवक की स्त्री के जरूर कपड़े गन्दे हुए थे ,फिर युवक ने मुझे क्यो मारा ? लोग बोले क्योंकि वह युवा इस महिला का पति था। वो यह सब बर्दाश्त नहीं कर सका , कि कोई उसकी पत्नी के कपड़े गन्दे करे। इसलिये उस युवक ने आपको मारा।
साधु बोला अगर उसका यार सहन नहीं कर सका। तो मेरा यार कैसे बर्दाश्त कर सकता था।यानि (भगवान) कि कोई मुझे मारे ? इसलिये जो किया मेरे यार ने किया.मैंने कुछ नहीं किया ,परमात्मा अपने भक्तों का अपमान करने और दुःख पहुँचाने वाले लोगों को कभी माफ नहीं करता हैं। मालिक के घर देर है। अंधेर नहीं ,उस की रजा ,में रहना चाहिए ।मालिक से कुछ भी नहीं छिपा होता ।पूर्ण यूनिवर्सल के मालिक से कब तक छुपाओंगें जैसी करनीं वैसी भरनी प्रभु से डरना चाहिए,उसके घर देर अवश्य हैं अन्धेर नहीं सोच समझ कर निर्णय ले अच्छे विचार ,अच्छी सोच बनायें ।
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