तेरी यादें - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

Page Nav

HIDE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Breaking News:

latest

तेरी यादें

लालच, स्वार्थ और भय ही संसार के दुःख का मुख्य कारण हैं। ईश्वर ने संसार की रचना की और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से दुःख और सुख की रचना क...




लालच, स्वार्थ और भय ही संसार के दुःख का मुख्य कारण हैं। ईश्वर ने संसार की रचना की और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से दुःख और सुख की रचना की। रोज़ हजारों-लाखों लोग मरते हैं और उसे सभी देखते भी हैं, फिर भी सभी को अनंत-काल तक जीने की इच्छा होती है। इससे बड़ा आश्चर्य ओर क्या हो सकता है। जिसने स्वयं को, उस आत्मा को जान लिया - वह जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है, जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है, जो जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है, उसे जानना ही मोक्ष है।
सर झुकाने की खूब सुरती भी क्या कमाल की होती है। धरती पर सर रखो और दुआएँ आसमान में क़बूल होती हैं ।हे भगवान इतनी ऊँचाई न देना ,  हे प्रभु धरती पराई लगने लगे ।इतनी ख़ुशी भी न देना कि आप को भूल जाऊँ । नहीं चाहिए ऐसी शक्ति जिस का किसी निर्बल पर प्रयोग करूँ ।नहीं चाहिए ,ऐसा भाव किसी को देखकर जल मरूँ। ऐसा निर्मल ज्ञान मुझे न देना अभिमान जिस का होने लगे। हे मालिक ऐसी चतुराई भी ना देना। जो लोगों को छलने लगे। मन कर्म बचन से सदैब मस्त रहूँ।   ( लीन ) नाम रूपी कमाई कर के अपनी जीवन यात्रा को सफल बना पाऊँ । वक़्त बुरा हो तो मेहनत करना और अच्छा हो तो किसी की मदद करना। मेरा लक्ष्य हो।

नाम स्मरण करने का दिखावा नहीं मन ही मन स्मरण करें। होंठ भी न हिले प्रेम को सदैब गुप्त ही रखना चाहिए । प्रकट करने से उस कीं गहनता चली जाती हैं। Beautiful Massage  एक औरत शरीर छोड़ने लगी तो अपने घर वालों को बुला कर कहा, सतगुरु आ गये , अब मेरी तैयारी। उम्मीद है कि आप मेरे जाने के बाद रोएँगे नहीं क्योकि मैं अपने सच्चे धाम को जा रही हूँ। इस से ज़्यादा और ख़ुशी की बात क्या हो सकती हैं। कि सद्गुरू खुद साथ ले जा रहे हैं। उस का बेटा कहने लगा कि हमारा क्या होगा। तो वह शान्ति से बोली ,तुम अपने आप को खुद सम्भालो। 
जब इस वक़्त गुरू जी सामने आ जाये तो और क्या  चाहिए ,अगर आप टाट का कोट उतार कर मख़मल का कोट पहनलें तो आप को क्या घाटा है। अगर आप इस गंदे देश से निकल कर कुल मालिक ,के देश में चले जाये तो आप को और क्या चाहिए। अगर कोई इस दुनिया में ख़ुशी ख़ुशी मरता है  तो केवल ( शब्द का अभ्यासी ) बाक़ी कुल दुनियाँ बाद शाह से ले कर गरीब तक रोते ही जाते है। महा पुरुष जीते जीव मरना इसे ही कहते हैं। नाम सुमिरण कर के अपनी जीवन यात्रा को सफल बनाये। 
           भावार्थ— हमारे अच्छे कर्म है , समय भी उचित है। परमात्मा जी  इस युग मे आये हुये है। बह हमारा (Guarantor ) यानि ज़िम्मेदार बनेगा। तथा  ब्रह्मा-बिष्णु-शिव आदि  शक्तियों  से आप के पुनः कनेक्शन  ( सम्पर्क का लाभ ) को प्रारम्भ करवायगा। जो अपने इन के मंत्र की कमाई करके  किश्तों मे बिल भरना है। जब तक आप यहाँ से मुक्त नही होते ,तब तक आप को सर्व भौतिक सुविधाएँ ज़ोर शोर से  मिलती रहेगी। तथा आप पुणयदान आदि करके अधिक भक्ति धनी बन सकोगे। दूसरे शब्दों मे जैसे हमारे शरीर मे कमल बने है। जब हम शरीर त्याग कर  परमात्मा के पास जायेगे तो हमें इन कमलों मे से होकर जाना हैं ।पग पग में मालिक हमारे साथ होंगे ।निरन्तर नाम रूपी ज्ञान को अपने जीवन में प्रथम स्थान दे ।इसी से कल्याण होगा ।
शेष कल —:

No comments