पहनावा एक महिला का - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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पहनावा एक महिला का

एक महिला ने सब्जी मंडी जाना था उसने  एक बैग लिया और सड़क के किनारे सब्जी मंडी की और चल पड़ी। तभी पीछे से एक ऑटो वाले ने आवाज़ दी  कहाँ जायें...




एक महिला ने सब्जी मंडी जाना था उसने  एक बैग लिया और सड़क के किनारे सब्जी मंडी की और चल पड़ी। तभी पीछे से एक ऑटो वाले ने आवाज़ दी  कहाँ जायेंगी माता जी ? महिला ने  नहीं भैय्या कहा तो ऑटो वाला आगे निकल गया अगले दिन महिला अपनी बिटिया को स्कूल बस में बैठाकर घर लौट रही थी तभी पीछे से एक ऑटो वाले ने आवाज़ दी  बहन जी जाना है रामनगर क्या  महिला ने मना कर दिया। कल वाला पास से गुजरते उस ऑटो वाले को देखकर महिला पहचान गई कि ये ऑटो वाला था आज महिला को अपनी सहेली के घर जाना था ।वह सड़क किनारे खड़ी होकर ऑटो की प्रतीक्षा करने लगी तभी एक ऑटो आकर रुका कहाँ जाएंगी मैडम ? महिला ने देखा ये वो ही ऑटोवाला है जो कई बार इधर से गुज़रते हुए उससे पूंछता रहता है ।चलने के लिए महिला बोली  हनुमान कॉलोनी है ना सिविल लाइन्स में, वहीं जाना है, चलोगे  ? ऑटोवाला मुस्कुराते हुए बोला चलेंगें क्यों नहीं मैडम आजाइये ऑटो वाले के ये कहते ही महिला ऑटो में बैठ गयी ऑटो स्टार्ट होते ही महिला ने जिज्ञासा वश उस ऑटोवाले से पूछ ही लिया भैय्या एक बात बताइये ? दो तीन दिन पहले आप मुझे माताजी कहकर चलने के लिए पूछ रहे थे ।कल बहन जी और आज मैडम ऐसा क्यों ? 

ऑटो वाला थोड़ा झिझक कर शरमाते हुए बोला  जी सच बताऊँ ,आप चाहे जो भी समझे पर किसी का भी पहनावा हमारी सोच पर असर डालता है।आप दो तीन दिन पहले साड़ी में थीं तो एका एक मन में आदर के भाव जागे, क्योंकि मेरी माँ हमेशा साड़ी ही पहनती है ।इसीलिए मुँह से स्वयं ही  माता जी निकल गया कल आप सलवार कुर्ते में थीं, जो मेरी बहन भी पहनती है इसीलिए आपके प्रति स्नेह का भाव मन में जागा और बहन जी कहकर आपको आवाज़ दे दी आज आप जीन्स टॉप में हैं, और इस लिबास में माँ या बहन के भाव तो नहीं जागते इसीलिए मैंने आपको ( मैडम )कहकर पुकारा । शिक्षा उपर्युक्त कहानी से हमें यह सीख मिलती हैं ,कि हमारा पहनावा केवल हमारे विचारों पर नहीं बल्कि दूसरे के भावों को भी बहुत प्रभावित करते है। महिला होया पुरूष आधुनिकता के साथ चलना गलत नही है ।न ही आधुनिक कपड़े पहनना गलत बस हमे खुद की मर्यादा का ख्याल रखना आवश्यक होता है .और ये बात महिला एवं पुरुष दोनों पे लागू होती हैं।

 इस संदर्भ से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि क्यों ना हम ऐसा पहनावा पहने जिसे देखने वाले खुद ही हमें मां बहन या पिता भाई की दृष्टि से देखें । समाज मे रहते हुये मान मर्ज़ादा का ध्यान रखना चाहिए ।क्या अच्छा है क्या बुरा हैं 

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