चुम्बक लोहे प्रीति है ,लोहा लेते उठाये । ऐसा शब्द कबीर का , काल से लेत छुड़ाये। एक बार एक नदी में बड़ी जोर ...

चुम्बक लोहे प्रीति है ,लोहा लेते उठाये । ऐसा शब्द कबीर का , काल से लेत छुड़ाये।
एक बार एक नदी में बड़ी जोर की बाढ़ आई। प्रलयंकारी लहरें नदी किनारे पार के बड़े बड़े पेड़ भी बहा ले गईं।
उस बाढ़ भरी नदी की उफनती लहरों में जो अनगणित पेड़ बहे जा रहे थे, उनमें से एक बहुत बड़ी लकड़ी भी डूबती उतरती, डूब जाने के भय से, किनारे लगने के लिए, बहुत संघर्ष कर रही थी। पर उन लहरों के सामने उसके सभी प्रयास विफल हो रहे थे।
तभी उस लकड़ी ने, अपने ही जैसी एक दूसरी लकड़ी को, नदी की प्रचंड धारा पर मस्त होकर तैरते देखा। और वह अकेली ही नहीं थी, उसके ऊपर बहुत से मनुष्य भी अपना अपना सामान लिए बैठे थे। इस डूबती लकड़ी ने, उस तैरती लकड़ी से पूछा- बहन ,हम दोनों एक जैसी ही हैं। पर मैं डूब रही हूँ ,और तुम तैर रही हो। हम दोनों में इतना अंतर कैसे आ गया ?
तैरती लकड़ी बोली- बहन ,मैं भी पहले तुम जैसी ही लकड़ी थी। पर मैं एक कारीगर के हाथ लग गई। उसने मुझे भीतर से खोखला कर दिया। तभी से मैं नदी में सुख पूर्वक तैरा करती हूँ।पर अब मुझे कोई भी लकड़ी नहीं कहता। अब सभी मुझे नाव कह कर पुकारते हैं। ( यह जगत ही नदी है ) वासना ही लहरें हैं। और ( हम ही वो लकड़ी हैं, ) जो वासना की लहरों में डूबे जा रहे हैं।यदि हम किन्हीं ( आत्मज्ञानी महात्मा ) के हाथ लग जाएँ, ( यानि सद्गुरू ) तो उन कारीगर के पुरुषार्थ से, कुछ ही समय में, भीतर के अहंकार को निकाल कर खोखला कर दिए जाने पर, हम लकड़ी से नाव बन कर, उन्हीं धर धराती लहरों की छाती पर, सद्गुरू की कृपा से कुछ भी हो सकता है ।मदमस्त होकर खुद तो तैरने लगते ही हैं, अपने साथ साथ दूसरों की मददत भी कर सकते है ।कितने औरों का भी भला हो सकता है। जोकि सद्गुरू हर पल पलकें बिछाये रहते हैं। अपनी प्यारी आत्माओं के लिए हमारा आहों भाग्य ,हम उन की शरण में है ।जो सद्गुरू जी महाराज के हाथों में आ गया वह कभी डूबता नहीं
संत लोक के द्वार उन के लिये सदैव खुले रहते हैं ।मालिक बाँहें फैलायें अपनें बच्चों की इन्तज़ार में हैं ।अब आप के जीवन का फ़ैसला आपके अपने हाथ में है ।परमेश्वर जी ने सभी आत्माओं को आज़ाद रखा हैं ।मनुष्य जैसा कर्म करता है ,उसी के हिसाब का फल मिलता हैं ।निर्णय आपने करना हैं ।हर युग में किये हुए क्रमों का फल अवश्य ही मिलता हैं ।
मोक्ष करवाना है ,या 84 लाख योनियो में रहना है ।सतगुरु दुनियाँ में एक ही होता हैं । (God is One )
No comments
Post a Comment