शब्दों की ताक़त को कम न आंकिये - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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शब्दों की ताक़त को कम न आंकिये

भगवान जी ने हमें बुद्धि ,ज्ञान,अक़्ल ,समझ ,दी हुई है। जो भी कार्य करना हो सोच विचार कर के ही करे, क्योंकि क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकत...




भगवान जी ने हमें बुद्धि ,ज्ञान,अक़्ल ,समझ ,दी हुई है। जो भी कार्य करना हो सोच विचार कर के ही करे, क्योंकि क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकता ,बोध से जीता जा सकता हैं ।अग्नि अग्नि से नहीं बुझती। लोहे से ही लोहे को काटा जा सकता हैं ।पत्थर से ही पत्थर को तोड़ा जा सकता हैं ,मगर ह्रदय चाहे कितना भी कठोर क्यों न हो उस को पिघलने के लिये कठोर वाणी कारगर नहीं हो सकती ।क्योंकि वह केवल और केवल नरम वाणी से ही पिघल सकता हैं। समझदार व्यक्ति बड़ी से बड़ी बिगड़ती स्थितियों को दो शब्द प्रेम के बोलकर  सँभाल लेते है।
 एक राज की बात बताऊँ—:कृष्ण ने जब देह छोड़ा तो उनका अंतिम संस्कार किया गया ,उन का सारा शरीर तो पाँच तत्व  में मिल गये। लेकिन उनका ह्रदय बिलकुल सामान्य एक ज़िन्दा आदमी की तरह धड़क रहा और वो बिलकुल सुरक्षित था, उन का ह्रदय आज तक सुरक्षित हैं। जो भगवान जगन्नाथ की काठ की मूर्ति के अंदर रहता और उसी तरह धड़कता है ।ये बात कम लोगों को पता है ।महा प्रभु का महा रहस्य को भगवान जी भी कहते हैं ।पुरी उड़ीसा में जगन्नाथ स्वामी अपनी बहन,  सुभद्रा और भाई बलराम ,के साथ निवास करते है। हर 12 साल में महाप्रभु की मूर्ति को बदला जाता है ,यह सत्य है। इस का विस्तार परमात्मा महाराज जी के मुखारबिंद से सुना हैं। मैंने पहले भी जगन्नाथ मंदिर के बारे में लिखा है ।सोने के झाड़ू से सफ़ाई होती हैं।
भक्ति रूपी मकान उतना ही दृढ और मज़बूत अच्छे तरीक़े से बना पायेंगे। हम भगवान को तो मानते हैं उस की बात पर अमल नहीं करते। वह तो अन्तर्जामी है ,पूर्ण परमात्मा है। हमें विचार करना चाहिए,अमल करना ,सत्संगों को सुनना ,अच्छे कार्य करना , हमारा वास्तविक यही उद्देश्य है। हमें आज्ञा का पालन करना चाहिए। सत्य पर ही पूर्ण विश्व टिका हुआ है। हमारे घर में ,हमारे घट,में जगदीश ,कबीर जी महाराज का वास है ,नाम परमेश्वर का कभी खंड नहीं होता। अपने पर विश्वास होना चाहिए ( शब्द ) रूप में स्वयं महाराज जी हमारे साथ पल पल रहते हैं ।
हमारे अवगुनो (यानि ) ग़लतियों को दूर करते हैं। वह जानी जान है। जब आँख खुले तभी सुबेरा ,गुरू जी ही साथी है ,सहारा है ,मेरी जान है ,मेरी धड़कन है ,मेरा प्यार है ,पूर्ण विश्वास है। सब रिश्तों सम्बन्धों से निकटतम है। ऐसा निर्मल ज्ञान है। जो मैने सुना है ,पढा ,और महसूस किया हैं। ऐसे लगा कि संसार रूपी पिंजरे से पूर्ण मुक्त हो गई हूँ। पता नहीं ,कितने बरसों के बाद यह ज्ञान मेरे रोम रोम में समा गया है। मेरे लिए इससे बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता। जिसने भगवान मान कर पूजा की है ,वो अमर हो गये। मुझे नहीं चाहिए ,ऐसी ख़ुशी जो अपने भगवान से कौसो दूर कर दे। आप की  याद संदैब ,सब पर बनी रहे। मेरी ऐसी भक्ति बन जाये ,कि मैं आपको याद करने में मजंबूर हो जाऊँ वह मेरी आत्मा की खुराक है।
शब्दों की ताक़त को कम न आँकिये इक छोटा शब्द  ही पूरी ज़िन्दगी को बदलने की क़ाबिलियत रखता है। किसी ने कैसा भी  सलूक किया हो ,नाम लेने से नैगिटब वृत्ति कोसों दूर भाग जाती है। यही सत्य है। दुनिया के पास कोई पैमाना नही है। केवल परमात्मा के पास है। बह सब कुछ जानते है। पुरी यूनिवर्सल के मालिक है। चींटी से ले कर हाथी की आवाज़ सुनते है। एक शब्द से आलीशान ब्रह्मांड बना सकते है। परमात्मा का ज्ञान एक सैकड़ मे कुछ भी कर सकता हैं ।उन के शब्दों में बड़ी ताक़त है मालिक जी,वह समय जल्दी आये।आपका ज्ञान रोम रोम में समा गया है ।जैसा आप चाहते हैं बैसे ही हम बनें अब कुछ भी अच्छा नहीं लगता ,आप की आज्ञा अनुसार चलूँ  आप मुझे बुद्धि दे ( एंटीबायोटिक )Antibiotic देते रहना चाहिए। आत्मा परमात्मा के बग़ैर नही रह सकती ।यहीं वाणी हैं,सत्संग सतगुरू के सनमुख आदेश मान्य है। ठीक समय का सभी सन्तों, ऋषियो, ने इन्तज़ार किया है । सतगुरु अपनी आत्माओं को बड़ी आसानी से बायपास होकर ज्ञान तत्व मार्ग का दर्शन कराते है। मालिक जी आप सही मार्गदर्शन करते रहें मुझे पूर्ण विश्वास हैं सही रास्ते मे ले जायेंगे ताकि अपनी जीवन यात्रा को सफल बना सकूँ ,आप जी का दिया हुआ सब कुछ हैं ।बहुत बहुत धन्यवाद ।
                     
 गरीब, यह माटी के मगन भया क्यूँ  मूड
 करि साहब की बंदगी इसी महल मे ढूड ।
                           शेष कल

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