मनुष्य के पाँच विकार - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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मनुष्य के पाँच विकार

हे मालिक जो आप ने तह किया है,    सात दीप नौ खंड में गुरू से बडा न कोये, करता करें न कर सके गुरू करें सो होये भावार्थ - कुरग ...



हे मालिक जो आप ने तह किया है,
  
सात दीप नौ खंड में गुरू से बडा न कोये, करता करें न कर सके गुरू करें सो होये
भावार्थ - कुरग ( हिरण ) शब्द पर क़ायल होता है। जिस के कारण शिकारी एक मोहक धुन बजा कर उस को पकड़ लेता है। मतंग (हाथी ) में सब से ज़्यादा काम बासना होती हैं, जिस से शिकारी उस को आसानी से पकड़ लेता है। एक परशिक्षत की हुई हथनी को हाथीयो के झुंड में छोड़ दिया जाता है और कितने ही हाथी पकड़े जाते है ।
 पंतगा  प्रकाश पर अर्पित होने के कारण अपनी जान गवां बैठता है ।और क्षग ( मछली ) अपनी जीभ के स्वाद के कारण अपनी जान गँवा देती हैं और भवरां  सुगन्ध के कारण जान गबा देता है। कबीर जी महाराज कहते है के इन सब के साथ तो एक एक इंद्री है ,पर मनुष्य के साथ तो पाँचों विकार है। काम ,क्रोध,लोभ,मोह ,हंकार,इत्यादि,जो उस की मृत्यु या मुसीबत का कारण वनते है। इन सब को बस करना बड़ा ही कठिन है । कहने और करने में बड़ा अंतर है ,इन सब की मुक्ति केवल सच्चे नाम रूपी शब्द से की जा सकती हैं वो भी पूर्ण परमात्मा  जी के आशीर्वाद से हो सकती है।
सतगुरू को सीजदा ,करू जिसने कर्म छुड़ाये कोट ,जो ऐसे सतगुरू की निंदा करें ,जम तोड़ेंगे होट।
लाख दल दल हो पाँव जमाये रखीये, हाथ ख़ाली ही सही , ऊपर उठाये रखाये ।
कौन कहता है, छलनी में पानी रूक नहीं सकता ,बर्फ़ बनने तक हौसला बनाये रहीय ।
गुरू जी मोहि दीनहि अजब घड़ी........सोई जड़ी मोहि प्यारी लागत हैं,
अमृत रस  भरी ........गुरू जी मोहि ........दीनहि अजब घड़ी 
काया नगर अजब इक बंगला ..........तामे गुप्त धरी ..........
पाँचो नाग पचीसों  नागिन  सुघँत तुरंत मरी .........
यह काल ने ,सब जग खाये ......सतगुरु देख डरी ........
कहे कबीर सुनो भाई साधो.......ले परिवार तरी......
गुरू जी मोहि दीनहि.......अजब घड़ी .....
कबीर ,जिह्वा तो वोहे भली ,जो रटै हरिनाम । या तो काट के फ़ैक् दियो  ,मुख में भलो ना चाम ।
भावार्थ—:जैसे जीभ शरीर का बहुत महत्वपूर्ण  अंग हैं यदि परमात्मा का गुणगान तथा नाम जाप के लिये प्रयोग नहीं किया 
जाता हैं तों व्यर्थ है ।







2 comments

My Jiwan Yatra said...

hej mor det er din commndt sted kan du du laese hvad folk sktiver til dig

My Jiwan Yatra said...

hallo mor her kan du lese hvad flok skriver til dig