हमारा वास्तविक एक परमेश्वर है जो हमारी आत्मा का पिता है सारे ब्रह्मांडों का रचयिता हैं . सतगुरू कृपा करी ,ऐसे दीन दियाल,बलिहारी जाऊँ स...
हमारा वास्तविक एक परमेश्वर है जो हमारी आत्मा का पिता है सारे ब्रह्मांडों का रचयिता हैं .
सतगुरू कृपा करी ,ऐसे दीन दियाल,बलिहारी जाऊँ सब कुछ दाऊ बार .
मालिक के बहुत उपकार हम सब पर है . हम उस का देना कभी नहीं दे सकते।अपने बच्चों को बड़े प्यार से सिखाते हैं ( गुरू जी कुम्हार है ) और शिष्य घड़ा है. गुरू जी भीतर से हाथ का सहारा और बाहर से चोट मार मार कर तथा गढ़ गढ़ कर शिष्य की बुराई को दूर करके सही मार्ग पर ला रहे हैं ।
हे भगवान आप ने दिल् दिया है ,हम जान भी देंगे हे मालिक तेरे लिए,मर मिटेगे ,तेरी ख़ातिर हे मेरी जान तेरे लिए,
पूर्ण परमात्मा सृष्टि के सर्जन हार कल्पे कारण कौन है ,कर सेवा निष्काम मन इच्छा फल दूँगा , जब पड़े मेरे तै काम। भगवन जी की दया से मुझे प्रेरणा हुई कि मुझे कुछ करना चाहिए उन का साथ है ।तो सब कुछ हो सकता हैं ,मैं तो कुछ भी नहीं हूँ दो कोड़ीं का जीव हूँ .एक समय की बात है ,सुकरात समुन्दर के तट पर एक बच्चे को रोते हुए देख कर पास आकर प्यार से बच्चे के सिर पर हाथ फेर कर पूछने लगे बालक तू क्यों रो रहा है . तब बालक कहने लगा ये जो मेरे हाथ में प्याला है ,मैं उस में समुद्र भरना चाहता हूँ , पर यह मेरे प्याले में समाता नही हैं. ये बात सुन के सुकरात विषाद में चले गये और रोने लगे बच्चा कहने लगा आप भी मेरी तरह रोने लगे पर आप का प्याला कहाँ है ।
सुकरात ने जबाव दीया बालक तुम छोटे से प्याले में समुन्दर भरना चाहते हो और मैं अपनी छोटी सी बुद्धि में सारे संसार की जान कारी भरना चाहता हूँ। आले में नहीं समाँ, सकता है। सुकरात बच्चे के पैरों में गिर पड़ा और कहने लगा (बहुत क़ीमती सूत्र हाथ में लगा है) हे परमात्मा आप तक से सार में नहीं समा सकते पर मैं तो (आप में लीन हो सकती हूँ )पृथ्वी बहुत बड़ी हैं इस का कोई भी पार नहीं पा सकता कहाँ शुरू कहाँ अन्त महान पिता परमेश्वर जी का नेटवर्क वो ही जानता है सब कुछ जानना हमारे जैसे तुच्छ प्राणियों की क्या ऊकात है हम दुनिया में आये कुछ अच्छा ही करके बापिस अपने सत लोक चले जाओगे
सुकरात ने जबाव दीया बालक तुम छोटे से प्याले में समुन्दर भरना चाहते हो और मैं अपनी छोटी सी बुद्धि में सारे संसार की जान कारी भरना चाहता हूँ। आले में नहीं समाँ, सकता है। सुकरात बच्चे के पैरों में गिर पड़ा और कहने लगा (बहुत क़ीमती सूत्र हाथ में लगा है) हे परमात्मा आप तक से सार में नहीं समा सकते पर मैं तो (आप में लीन हो सकती हूँ )पृथ्वी बहुत बड़ी हैं इस का कोई भी पार नहीं पा सकता कहाँ शुरू कहाँ अन्त महान पिता परमेश्वर जी का नेटवर्क वो ही जानता है सब कुछ जानना हमारे जैसे तुच्छ प्राणियों की क्या ऊकात है हम दुनिया में आये कुछ अच्छा ही करके बापिस अपने सत लोक चले जाओगे
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