भक्ति का भाव - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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भक्ति का भाव

  भक्ति का भाव है ,कि राग ,द्वेष, काम ,क्रोध,को त्याग कर भक्ति करें .इन विकारों को मारने के लिए तो भक्ति रूपी .यानि...




 
भक्ति का भाव है ,कि राग ,द्वेष, काम ,क्रोध,को त्याग कर भक्ति करें .इन विकारों को मारने के लिए तो भक्ति रूपी .यानि (पैरासिटमोल) अवश्य ही खानी पड़ेगी। रोग समाप्त हो जाये तो आत्मा का वास्तविक निर्विकार आस्तिव हो जायेगा ।
एक ईश्वर के नाम का आसरा केवल मालिक जी है .शेष जीवन उन के चरणों में समर्पित हो जाये ,उन की दया सदैब बनी 
रहे. जब तक हम संसारिक मोह माया से जुड़ी हुई वस्तुओं में लगाव कम होना चाहिये ,जितनी चीजें कम होगी मन भ्रमित नहीं होगा ,जितनी वस्तु ज़्यादा होगी मन अशांत रहेगा ,जब तुम अपने स्वयं के ध्यान केंद्र पर जाओगे , तब शान्ति को प्राप्त कर सकोगे ,ज़िन्दगी का हर लम्हा अच्छे से अच्छा गुज़रे ।क्योंकि ज़िन्दगी नहीं रहती पर अच्छी यादें हमेशा ज़िन्दा रहती है। एक अत्यंत गरीब महिला थी ,जो ईश्वरीय शक्ति पर बेइंतहा विश्वास करती थी।
 
दिन रात भगवान का नाम स्मरण करती रहती थीं और उसको भगवान पर पूरा विश्वास था। एक बार अत्यंत ही बिकट (बुरी स्थिति) आ गई, कई दिनों से खाने के लिए पूरे परिवार को कुछ नहीं मिला. एक दिन उसने सोचा क्यों ना मैं अपने ईश्वर को अपनी दिल की बात कहूँ। एक दिन उस ने रेडियो के माध्यम से ईश्वर को अपना  संदेश भेजा ।कि वह उस की मदद करे।और यह प्रसारण एक नास्तिक, घमण्डी ,और  अहंकारी ,उधोगपति ने सुना ,और उस ने सोचा कि क्यों न इस  महिला के साथ कुछ  ऐसा मज़ाक़ किया जाये ,कि उसकी ईश्वर के प्रति आस्था डिंग जाये। उसने अपने सेक्टरी को कहा कि वह ढेर सारा खाना और महीने भर का राशन उसके घर पर देकर आए ,और जब वह महिला पूछे किसने भेजा है। 

तो कह देना कि “शैतान “ने भेजा है। इंसान की सोच बहुत अजीब है , इंसान बड़ी अजीब फिदरत का मालिक हैं,। यह मरे हुए को रोता हैं , और जिंदो को रुलाता हैं ,और मज़ाक़ उड़ाता हैं।  जैसे ही महिला के पास सारा समान लेकर पहुँचे , और उसके घर में सारा समान रखा ,तो सबसे पहले उसके परिवार ने तृप्त हो कर भोजन किया ।फिर वह सारा राशन अलमारी में रखने लगी। और ईश्वर का शुकराना करने लगी। जब महिला ने पूछा नहीं कि यह सब किसने भेजा है ।तो सेक्ट्री से रहा नहीं गया और पूछा ,आप को क्या जिज्ञासा नहीं होती ,कि यह सब किस ने भेजा है ।उस महिला ने बेहतरीन जवाब दिया —: मैं इतना क्यों सोचूँ ,या पूछूँ, मुझे भगवान पर भरोसा हैं । मेरा भगवान जब आदेश देते हैं ,तो शैतानों को भी उस आदेश का पालन करना पड़ता हैं ।तो वह सब हैरान हो गये। जिसके साथ भगवान है ,उसको किस बात की चिंता। वह तो हर पल हमारे साथ हैं ,बस हमें सच्ची लगन ,और श्रद्धा ,से उन पर विश्वास करना चाहिये। मालिक ,अपने बहुत प्यारे हैं सब की सुनते हैं 
की हर तरह सँभाल करते हैं ।कोई आँच नहीं आने देते ।शूल की सुई बनाकर कर्म कटवाते हैं ,भव सागर से उतार देते हैं ।
                  ऐसा निर्मल ज्ञान हैं, निर्मल करे शरीर,और ज्ञान मंडलीक हैं चकवें  ज्ञान कबीर ।
                                 उज्ज्वल ऊर्जा आप के साथ सदैव साथ साथ रहतीं हैं ।
21 लोकों का मालिक नहीं चाहता,हम भक्ति करे।अगर हम भक्ति कर रहें हैं तो मालिक जी की कृपा से मानव के बस की बात नहीं ,कलियुग के साथ साथ मतलबी युग चल रहा है ।भक्ति की नाम की कमाई कर के जीवन यात्रा को सफल बनायें ।

















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