सद्गुरू कबीर साहेब स्वयं पूर्णब्रह्म सत्पुरुष-परम अक्षर ब्रह्म हैं ।यह परम अक्षर ब्रह्म (अविनाशी )भगवान वैसे तो चारों युगों में आते हैं।सतयु...
पाँच वर्ष की आयु में कबीर परमेश्वर (कविदेंव ने) 104 वर्षीय स्वामी रामानन्द जी का शिष्य बन कर स्वामी रामानन्द जी को सतलोक का मार्ग बताया ,तथा सतलोक दर्शाया ।एक समय रामानन्द जी का दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोदी ने कतल कर दिया ।सिकन्दर राजा की जलन का बहुत असाध्य रोग था ।मालिक जी के हाथ लगाते ही दर्द समाप्त कर दिया ।सिकन्दर राजा ने एक गायें के तलवार से दो टुकड़े करवायें तथा कहा ,कि आप (कबीर साहेब )अपने आप को परमात्मा कहते हो ,तो इस मृतक गायें को जीवित कर दो ।उसी समय कबीर ,साहेब ने हाथ स्पर्श करते ही गाय को तथा उसके गर्भ में बछड़े के भी दो टूकडे हो गयें थे,वो भी जीवित किया ।तथा दूध की बाल्टी भर कर दी और कहा कि—:
गाय अपनी अम्मा हैं ,इस पर छुरी ना बाँह।
गरीबदास घी दूध को सर्व आत्मा खायें ।
साहेब कबीर की कोई पत्नी नहीं थीं।शेखतकी ,व राजा सिकन्दर लौधी ,की अज्ञानता हटाने के लिये जो कह रहे थे कि हम तो आपको भगवान तब मानें जब आप इन मुर्दों को जीवित कर दे। फिर कबीर साहेब जी ने दो बच्चों कमाल व कमाली को मुर्दे से जीवित किया ,तथा अपने बच्चों के रूप में पालन पोषण किया।साहेब कबीर जी के माता-पिता नहीं थे ।वे स्वयंभू थे ।फिर 120 वर्ष तक अपने सतमार्ग व सतलोक की जानकारी दे कर मगहर स्थान पर ज़िला कबीर नगर ( पुरानी बस्ती ज़िला) नज़दीक गोरखपुर ( उतर प्रदेश) में लाखों भगतजनों तथा दो नरेशों बिजली खाँ (मगहर के नवाब ) तथा वीर सिंह बघेल (कांशी नरेश) की उपस्थिति में सत्यलोक चलें गये ।शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल पाये थे ।शरीर नहीं मिला था ।वि.सं. 1575 सन् 1518 में वह परम शक्ति अपने परम धाम (सतलोक-सत्यधाम )में वापिस सह शरीर चलें गयें।
साहेब कबीर की कोई पत्नी नहीं थीं।शेखतकी ,व राजा सिकन्दर लौधी ,की अज्ञानता हटाने के लिये जो कह रहे थे कि हम तो आपको भगवान तब मानें जब आप इन मुर्दों को जीवित कर दे। फिर कबीर साहेब जी ने दो बच्चों कमाल व कमाली को मुर्दे से जीवित किया ,तथा अपने बच्चों के रूप में पालन पोषण किया।साहेब कबीर जी के माता-पिता नहीं थे ।वे स्वयंभू थे ।फिर 120 वर्ष तक अपने सतमार्ग व सतलोक की जानकारी दे कर मगहर स्थान पर ज़िला कबीर नगर ( पुरानी बस्ती ज़िला) नज़दीक गोरखपुर ( उतर प्रदेश) में लाखों भगतजनों तथा दो नरेशों बिजली खाँ (मगहर के नवाब ) तथा वीर सिंह बघेल (कांशी नरेश) की उपस्थिति में सत्यलोक चलें गये ।शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल पाये थे ।शरीर नहीं मिला था ।वि.सं. 1575 सन् 1518 में वह परम शक्ति अपने परम धाम (सतलोक-सत्यधाम )में वापिस सह शरीर चलें गयें।
तथा आकाश वाणी की कि में सत्यलोक जा रहा हूँ । उपस्थित श्रृद्धालुयों ने ,ऊपर को देखा तो प्रकाश मय शरीर आकाश में जा रहा था ।हिन्दुओं तथा मुसलमानों ने आधे-आधे फूल तथा एक एक चदर बाँट कर मगहर नगर में साथ-साथ सौ फुट के अनंतर पर दो यादगारें बना रखीं ,जो आज भी साक्षी हैं। तथा लहर तारा तालाब भी आज प्रत्यक्ष प्रमाण हैं ।वहाँ कबीर पंथी दो आश्रम बनें हैं। जो सत्य विवरण बतातें हैं । 600 साल पहले कबीर महाराज जी मगहर में प्रकट हुए थे ।और अब साक्षात् परम पिता परमेश्वर कबीर महाराज जी के मुखारबिंद से तत्व ज्ञान सुन कर मन को बहुत शांति मिलती हैं ।शब्द रूपी नाम की कमाई कर के अपनी जीवन यात्रा को सफल बनाएँ ।
ऐसा सद्गुरू हम मिलया,सुन विदेशी आप । रोंम -रोंम प्रकाश हैं, दीनही अजपा जाप। ऐसा सतगुरू एक हैं,अदली असल कबीर । https://www.myjiwanyatra.com/
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