मार्ग से भटकाने वाले लोगों पर ध्यान न देकर अपने निर्धारित लक्ष्य की और बढ़ें। एक बार स्वामी विवेकानंद रेल से कहीं जा रहे थे। वह जिस डिब्बे म...
रास्ते में एक बड़ा स्टेशन आया। उस स्टेशन पर विवेकानंद जी के स्वागत में हजारों लोग उपस्थित थे, जिनमें विद्वान् एवं अधिकारी भी थे। यहाँ उपस्थित लोगों को सम्बोधित करने के बाद अंग्रेजी में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर स्वामीजी अंग्रेजी में ही दे रहे थे। इतनी अच्छी अंग्रेजी बोलते देखकर उन अंग्रेज यात्रियों को सांप सूंघ गया, जो रेल में उनकी बुराई कर रहे थे। गाली-गलौज दे रहें थे ,अवसर मिलने पर वे विवेकानंद के पास आये ,और उनसे नम्रता पूर्वक पूछा– आपने हम लोगों की बात सुनी। आपने बुरा माना होगा ?
स्वामी जी ने सहज शालीनता से कहा– “मेरा मस्तिष्क अपने ही कार्यों में इतना अधिकव्यस्त था ,कि आप लोगों की बात सुनी भी पर उन पर ध्यान देने और उनका बुरा मानने का अवसर ही नहीं मिला।स्वामी जी की यह जवाब सुनकर अंग्रेजों का सिर शर्म से झुक गया,और उन्होंने चरणों में झुककर उनकी शिष्यता स्वीकार कर ली।उन्होंने सुख का अनुभव किया,मन को शांति मिली ।कहते हैं ना ,अच्छे लोगों का संग मिल जाये तो ज़िन्दगी आसान बन जाती हैं ।जीने की कला का विकास स्वयं महसूस होने लगता हैं ।
भावार्थ—:
हमें अपने आस पास कुछ नकारात्मक लोग जरूर मिलेंगे। वे हमें हमारे लक्ष्य से भटकाने की कोशिश करेंगे। लेकिन हमें ऐसे लोगों की बातों पर ध्यान न देकर सदैव अपने लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए।अच्छी सोच रखने वाले लोगों की कोई कमी नहीं है यूनिवर्सल बहुत विशाल हैं ।मौन रहने से बहुत ऊर्जा प्राप्त होती हैं ।मन शांत आनन्ददायक रहता हैं ,मन कों बहुत सकून मिलता हैं ।नाम रूपी नाम कमाई कर के जीवन यात्रा ,को सफल बनाया जा सकता हैं ,निरन्तर मन में अच्छे बेचारों का मनन ,चिन्तन ,करना चाहिए ।उस से पोजिटव ऊर्जा मिलतीं हैं ।मालिक जी की कृपा सदैव बनी रहती हैं ।मालिक जी की विशालता,बहुत अपरम अपार हैं ,उस का कोई अन्त नहीं ।
No comments
Post a Comment