एक जंगल में एक संत अपनी कुटिया बनाकर रहते थे ,एक किरात जानवरों का शिकार करने वाला भी जंगल के निकट रहा करता था ,संत को देख कर हमेशा प्रणाम कर...
बासुरी बजाता है ,किरात बोला -तुम्हारा शिकार हम पकड़ कर लाते है ,जब तक शिकार हम आपको लाकर नहीं देगे तब तक पानी भी नहीं पीयेगे ,इतना कहकर किरात चला गया ,अब तो एक जगह जाल बिछाकर बैठ गया 3 दिन हो गये किरात के मन में वही संत द्वारा बताई छवि बसी हुई थी ,यूँ ही बैठा रहा ।भगवान को दया आ गई और बाल कृष्ण बासुरी बजाते हुए आ गये और स्वयं ही जाल में फस गये ।किरात ने तो कभी ऐसा शिकार देखा नहीं था।संत द्वारा बताई छवि जब आँखों के सामने देखी तो तुरंत चिल्लाने लगा -फंस गया ,फंस गया ,मिल गया मिल गया ।अच्छा बच्चू तीन दिन भूखा प्यासा रखा अब हाथ में आये हो ।
तुरंत ठाकुर जी को जाल में ही फसे हुए अपने कंधे पर शिकार की भांति टांगा और संत की कुटिया की ओर चला ।कुटिया के बाहर से ही आवाज लगायी -बाबा जल्दी से बाहर आओ आपका शिकार लेकर आया हूँ ।संत झट कुटिया से बाहर आये तो क्या देखते है ।कि किरात के कंधे पर जाल में फंसे ठाकुर जी मुस्कुरा रहे है।संत चरणों में गिर पड़ा फिर ठाकुर जी से बोला -प्रभु हमने बचपन से घर-बार छोड़ा अब तक आप नहीं मिले और इसको तुम 3 दिन में ही मिल गये ,ऐसा क्यों ?
भगवान बोले -बाबा इसने तुम्हारा आश्रय लिया ,इसलिये इस पर 3 दिन में ही कृपा हो गई कहने का अभिप्राय यह है ।कि भगवान पहले उस पर कृपा करते है ,जो उनके दासों के चरण पकडे होता है ।किरात को पता भी नहीं था भगवान कौन है ,कैसे होते है ? पर संत को रोज प्रणाम करता था। संत प्रणाम ,और दर्शन का फल और संकल्प ,की शक्ति का फल बहुत मीठा होता हैं इस लिये यह हुआ कि 3 दिन में ही ठाकुर जी मिल गये ।जब अपने आप को मालिक के चरणों में समर्पित कर देते हैं संकल्प में बहुत शक्ति मिलती हैं ,पूर्ण आस्था के साथ महबूब ( यानि ) मालिक आने में देरी नहीं करते विश्वास के साथ और मानसिक ,लग्न दिल की तीव्र सोच ज़िन्दगी में चार चाँद लग जातें हैं अपनी जीवन यात्रा को सफल बनाये ।नेक कार्य करतें रहें साथ 2 नाम की कमाई ,यहीं साथ जाना हैं ।यहीं जीवन की सच्चाई हैं ।
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