साँप और नेवला की कहानी - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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साँप और नेवला की कहानी

सद्गुरू बन्दी छोड़ जी महाराज ,यानि सभी दुःखों ,से निकालने वाले ,सब का कल्याण करने वाले ,सब के माँ-पिता पूर्ण यूनिवर्सल के मालिक,सारे ब्रह्मा...

सद्गुरू बन्दी छोड़ जी महाराज ,यानि सभी दुःखों ,से निकालने वाले ,सब का कल्याण करने वाले ,सब के माँ-पिता पूर्ण यूनिवर्सल के मालिक,सारे ब्रह्मांडों का पालन पोषण करने बाले, सब कार्यों में समर्थ स्वयं केवल आप ही हैं ।
मालिक का जेल धाम जाने का पहले से ही तय था ।आने का भी तय कर रखा है ,मालिक ने ।मालिक ने बहुत बार बोल दिया फोन पर ,कि ऑडियो ,और पत्रों के द्वारा ,कि आप सबकी परीक्षा चल रही है ।मालिक ने जितने भी सत्संग किये हैं ,यह सब हमें अपने जीवन में आचरण अपना कर काल लोक मे में ले  जाना है ,और मोक्ष का उद्देश्य रखना है जी ।

मालिक को सब पता है ,कब क्या करना है ,वो पुरी सृष्टी के निर्माता हैं ।इसलिए हमें मालिक कि बताई भक्ति पुरी मर्यादा के साथ करनी है ।चाहे काल कितना भी परेशान करे,मालिक सत्संग मे हर बार कहते है ।जब आप नाम ले लेते हो तो परमात्मा से कनेक्शन मिल जाता है ।वो ही पॉवर आपके साथ रहती है ,इस नाम के साथ गुरूजी हमेशा अपने शिष्य के साथ रहते हैं ।जब तक गुरूजी के प्रति श्रद्धा और मर्यादित रहेंगे ।जितना हम गुरूजी के बताये अनुसार नाम जाप करते रहेगे गुरूजी से निरंतर आशीर्वाद आता रहता है ।जो कि आत्मा को निर्मल करता है ,और नाम कमाई का संग्रह करवाता है ।

यह समय हम परीक्षा के दौर से गुजर रहे है, गुरूजी ने अपने को काल के पाले मे छोड दिया है ।अगर हम मर्यादित रहकर गुरूजी के बताये अनुसार भक्ति करते रहते हैं ,तो गुरूजी का आशीर्वाद हमे शक्ति देता है ।काल के जाल से लडने के लिये,गुरूजी ने नेवले और सांप का भी उदाहरण देकर बताया है ।कि सांप को जब नेवला मारता है ,तो जंगल मे उस झडी कि तलाश करके रखता है ।जिससे कि सांप बेहोश हो जाता है ।नेवला उस झडी को सुघंकर सांप के पास जाकर स्वॉस से छोड देता है ,और डरता भी है ।पर बार बार यही प्रक्रिया करता है ,अंत मे सांप बेहोश हो जाता है ।फिर नेवला मुह मार देता है सांप को,सांप बहुत बडा होता है नेवले से, पर झडी के कारण मारा जाता है ।

यहां जडी गुरूजी का दिया मंत्र है ,और नेवला हम है ।और सांप काल ,और काल का फैलाया अज्ञान है ।जिस से हमे संघर्ष करना है जी ।कुछ भगत हिम्मत हार हो जाते है ,क्योकि भक्ति सुचारू रूप से नही कर पा रहै है ।लेकिन गुरूजी बताते है कि सतलोक तो हंस बनकर और काल का पुरा कर्ज चुका के ही जाया जायेगा ।तो हमे गुरूजी कि हर बात पर गौर करके चलना चाहिए ।
दासी को तो बहुत ख़ुशी है अपने कबीर पिता जी मिले ,हम जिन्हे छोडकर आये थे ।तब से काल लोक मे ढुढ रहे थे ।जब वो हमे मिल गये हैं ।तो उनके बताये अनुसार चलने से ही पुर्ण मुक्ति और उनका प्यार पा सकते हैं ।

कबीर साहिब जी ,हम सबके है सिरजन हार इस पृथ्वी लोक में ले जाने के लिए आये हुए हैं ।हम बहुत भाग्य शाली हैं सतगुरू रूप मे हमें  पार करने के लिये भौ सागर से ,पार  ले जाने के लिए आये ।उन की आज्ञा में रहकर शब्द की कमाई कर के सतलोक जाने के लिए तैयार रहें ।
            एक तेरे ही भरोसे मेरा ये सफ़र जारी है,मंज़िल तक पहुँचा देना ,मेरे महबूब आप की ज़िम्मेदारी है ।मुझे पूर्ण विश्वास है गुरू कृपा से सब कार्य ठीक होते जा रहें हैं ।
शेष कल —:

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