ज़िन्दगी जीने का अन्दाज़ - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

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ज़िन्दगी जीने का अन्दाज़

प्रभु को घर बुलाने की गाँठ लगा कर तो देखिये. एक व्यक्ति बालाजी के मन्दिर जा कर रोज प्रार्थना करता, की हे बालाजी एक करोड़ रूपये की लॉटरी लग...

प्रभु को घर बुलाने की गाँठ लगा कर तो देखिये. एक व्यक्ति बालाजी के मन्दिर जा कर रोज प्रार्थना करता, की हे बालाजी एक करोड़ रूपये की लॉटरी लग जाये ,रोज जाता और रोज प्रार्थना करता, एक दिन बालाजी को बहुत ही गुस्सा आया और प्रकट होकर उस व्यक्ति के गाल पर खीच कर एक चाटा मारा । व्यक्ति झनझनाता हुआ ,बोला मेने तो एक करोड़ रुपयों की लोटरी लग जाये कहा था ,चाटा तो नही माँगा ,"बालाजी गुस्से में आकर बोले अरे मुर्ख कबसे बोल रहा है ।लाटरी लग जाये-लाटरी लग जाये ,टिकट तो खरीद इतना तो काम  तू भी कर  ले सारे काम में ही करूँगा ,तो तू क्या करेंगा ?

ठीक उस व्यक्ति की तरह हमारा भी ये ही हाल है ,की कुछ किये बिना ही सब मिल जाये,श्रम किये बिना ही सब मनोरथ पुरे हो जाये.... सच कहे तो भगवान को हमने परेशान कर के रख दिया है ,मनोरथ माँग- माँग कर ,कभी नारियल कभी सवामणि, कभी फीते की गाँठ बांध कर, की हे भगवान हम गाँठ लगा कर जाते है हमारी मनोकामनाए पूर्ण हो जाये. सबको सिर्फ अपनी पड़ी है , भगवान से तो किसी को कोई मतलब ही नही है ,सब भगवान से चाहते है ,पर भगवान को कोई नहीं चाहता ,क्या कभी किसी ने भगवान को घर बुलाने की गाँठ लगायी है ? 

कि हे प्रभु हम आप के दरबार में गाँठ लगा कर जा रहे है ।आप को शपथ देते है, की आप को हमारे घर आना ही होगा, हमारा चित्त आप के चरणों में लगाना ही होगा ,हमें आप से प्रेम हो जाये ,हमारा मन आप के बिना नहीं लगता।दर्शन की बहुत अभिलाषा हैं ।ऐसा जादू चलाना ही होगा. सच में हम सब आज दुर्योधन जैसे बन गए है ,कभी अर्जुन जैसे बनकर देखिये , प्रभु को अपने घर बुलाने की गाँठ लगा कर तो देखिये ,ईश्वर को हर कदम आप अपने साथ पाएंगे. भगवान कहते है ।की दुःख और सुख तो जीवन में धुप छाव की तरह है ,पर जो निरंतर मुझे भजता है ।जो मेरा ही स्मरण करता है ,उसे कभी दुःख , दुखी नहीं करता ,क्यों की दुःख में भक्त को अपनी गोदी में बैठा लेता हुँ .......

पांडवो जैसा तो दुःख शायद किसी को नही पड़ा होगा .पर भगवान श्री कृष्ण के साथ रहने के कारण उन्हें दुःख कभी दुखी नहीं कर पाया ,और ना ही कभी पीड़ा महसूस की ....बल्कि सब कुछ होते हुए भी दुखी तो कौरव रहे थे, ये हम सब जानते है।भगवान हमारे कर्म को शुद्ध करते है ।कर्म तो हमें ही करना पड़ेगा ,बिना मेहनत किये कही ऐशो आराम नहीं मिलते।अपना कर्म करते रहे ,फल की इच्छा किये बग़ैर ज़िन्दगी जीने का अन्दाज़ खुद बदलें ।यही सत्य है ।पूर्ण परमात्मा सदैव हमारे साथ रहता
हैं ।
उन्हें खुश करना बहुत आसान है ।गरीब की मदत करे ,किसी का दिल न दुखाये सब का भला करे ,निश्चिन्त होकर निस्स्वार्थ 
भक्ति भाव से अपने कर्म करते रहना चाहिए ।शब्द रूपी नाम की कमाई और दान पुण्य जीते जी करें ।



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