मोहन और उसकी पत्नी प्यारी , दोनों ही गुरु भक्त और हर समय गुरु की सेवा में तत्पर रहते थे। गुरु के मुख से सत्संग बड़े ही गौर से सुना करते थे।और...
पाने को मजबूर होता है । अंत समय जहां ध्यान होगा , जीव आत्मा वहीं चली जायेगी । अब अगर उस समय ध्यान गुरु की तरफ होगा तो जीव गुरु की शरण में पहुंच जाएगा । और गुरु जीव को भटकने नही देंगे।अब दोनों ने इस सुने हुए पर विचार भी करना शुरू कर दिया ।
मोहन बोला " पता नही ये अगला जन्म या पिछला जन्म भी कुछ होता है ? प्यारी , तू ही बता तेरे का तो मुझ से ज्यादा ही समझ है अजी , मुझे क्या पता आपने जो सुना वह ही मैंने सुना , मर कर देखूं किसी दिन ? तुम मर जाओगे , तो तुम्हें कौन और कैसे बतायेगा ,अब मोहन गहरी सोच में डूब गया ।फिर थोड़ी देर बाद बोला , प्यारी अगर मै मर गया तो तुम्हे जरूर बताने आऊंगा कि अगला जन्म होता है या नही ।अगर तुम मर गये तो कैसे बताओगे ? मैं तुम्हे मिलने आऊंगा और तुम्हे बताऊंगा कि मेरा जन्म कहाँ हुआ है ।
मरोगे तो तब जब तुम्हारा प्रारब्ध पूरा होगा । उससे पहले तो मरने से रहे , अच्छा होगा कि फ़ालतू सोचने की जगह गुरूजी की बताई बातें याद करते रहो ,ये भी तो उनकी याद का ही तरीका है । हाँ भागवान , बातें तो कभी कभी अक्ल की कर ही लेती है , भगवान तुझे थोड़ी सी और अक्ल देवे तो कुछ और अच्छा हो जाए ।"इतना कह कर मोहन उठा और अपनी चारपाई पर लेट गया । लेटते ही उसका ध्यान अपने घोड़े की तरफ चला गया ,जो कि दो बरस पहले ही मर गया था ।अपने घोड़े से बहुत प्यार करता था ,उस समय उसकी आँख लग गयी । गहरी नींद में चला गया । मोहन खुद को अपने शरीर से बाहर निकलते देखा ,और देखा कि वह उड़ता हुआ गया और एक घोड़ी के गर्भ मे प्रवेश कर गया। उसे दुःख बहुत हुआ कि उसका ध्यान गुरु की तरफ क्यूँ न था । उसे महसूस हो गया कि उसकी मृत्यू हो चुकी थी ,और अब वो घोड़ी के गर्भ में पल रहा था । एक दिन घोड़े ( शिशु ) के रूप में उसने खुद को देखा ।
वो समझ गया कि ये ही अगला जन्म है ।धीरे धीरे शिशु घोड़ा भी एक दिन जवान घोड़ा हो गया और एक टाँगे में जोत दिया गया ।एक दिन उस घोड़े ने खुद को अपने शरीर में से निकलते देखा । एक ही पल में वह मोहन जो घोड़े की योनि में था उस ने खुद को प्यारी के पास खड़े पाया । उसने प्यारी के कान में आवाज़ लगाई ,प्यारी औ प्यारी चौक गयी ,कौन ? मैं हूँ ,मोहन आ गया , फिर उसके कान में आवाज़ आई डर मत ,मै तो तुझे बताने आया हूँ । कि मेरा जन्म कहाँ हुआ है , देखसुन गौर से , हर पल गुरु की तरफ ही ध्यान रखा कर ,नही तो मेरी तरह ही भटकना पड़ेगा। मोहन ने आगे बोलना शुरू किया , घर के पिछवाड़े में एक रामू है न , उसके आंगन में एक घोड़ी बंधी है , उसका ख्याल भी रखा कर , मैंने अभी देखा तो मुझे बहुत अच्छी लगी वो तुम अपनी बात बतायो , ये घोड़ी बीच में कहाँ से ले आएगी अरी ओ भाग्यवान , अब क्या करूं , जब मानव थे तो औरतों की तरफ ध्यान रहता था , अब घोड़ा हूँ। तो आदत तो नही बदल सकती न ध्यान तो उसी तरफ भागता है ।
पर तुमने मेरा ध्यान तो कभी न रखा ,और कहते हो ध्यान औरत की तरफ रहता था । तुमतो अपनी ही थी न , ध्यान तो पराई की तरफ ही ज्यादा रहता है न । अच्छा अब बतायो कि किस जगह कौन सा ? जन्म मिला है बता तो दिया कि घोड़ा हूँ उठो ,ये लो चाए पी लो ( चाय ) कौन सी चाय ? वो घास कहाँ है ? मोहन चारपाई से उठा , इधर उधर देख और बोला हे गुरु देव , आपने तो अच्छे तरीके से समझा दिया , तेरा लाख लाख शुक्र है प्रभु , कि मैं मरा नही , मै तो सपने में ही एक जन्म भुगत आया । क्या हुआ , कौन सा जन्म , कहाँ भुगत आये ?
भाग्यवान , हम सोच विचार जो करते हैं , मैं सोच रहा था न कि तुम्हे अगले जन्म के बारे में तुम्हे खबर करूंगा ,गुरु जी ने तो एक ही छोटे से सपने में बड़ा कुछ समझा दिया ।क्या समझाया ? मुझे भी कुछ बताओ ? अब क्या बताऊँ , बस इतना ध्यान में रखना कि हर समय ध्यान गुरु की तरफ रहे , कुछ पता नही कि जो सांस बाहर निकली है ।भीतर जाएगी या नही और दूसरा ये ध्यान रहे कि पराया ( तन मन और धन ) ये भी हमारे विनाश का बड़ा कारण होते हैं । इधर से भी मुख मुड़ा रहे । ये बातें खुद को समझाओ , हर वक्त आती जाती को देखते रहते हो "।अब बस कर भागवान , बस अब और मत याद दिला , बहुत हो गया , अब न देखूँ किसी और की तरफ , अब तो तुझ पर से नजर न हटाऊंगा , मेरे लिए तो प्यारी ही है।
मिस यूनिवर्स ( Miss universal )
इतना सुनते ही प्यारी भी मुस्कुराए बिना न रह सकी ।आपने इस छोटी सी कहानी को पढ़ा ।कहानी तो छोटी सी है , पर इसमें ( छिपा सन्देश बहुत गहरा है ) जब तक ध्यान पराये शरीर से हट कर अपने शरीर पर नही आता , ध्यान की शुरुयात नही हो सकती ध्यान अपने शरीर पर टिकेगा तो ही भीतर जाएगा । जब ध्यान भीतर जाएगा तभी द्वार तक पहुंचा जा सकता है ,उससे पहले नही । द्वार पर पहुँचने से पहले ही खटखटाते रहना चाहिए ताकि याद बनीं रहे ।प्रभु ईसा ने भी कहा है खटखटायोगे तो द्वार तुम्हारे लिए खोला जायगा । बाबा नानक जी ने भी कहा है ,कि एक कदम उसकी तरफ बढ़ाओगे वो हज़ार कदम आगे होकर तुम्हें लेने को आता है ।पर शुरुयात तो हमीं को करनी पड़ेगी...जी हाँ ।
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