एक व्यक्ति ने व्यापार में उन्नति की और स्वीडन में ज़मीन ख़रीद कर उस पर आलीशान घर बनाया. भूमि पर पहले से ही एक खूबसूरत स्विमिंग पूल था और ...
एक व्यक्ति ने व्यापार में उन्नति की और स्वीडन में ज़मीन ख़रीद कर उस पर आलीशान घर बनाया. भूमि पर पहले से ही एक खूबसूरत स्विमिंग पूल था और पीछे की और एक 150 साल पुराना लीची का पेड़ था. उन्होंने वो भूमि उस लीची के पेड़ के कारण ही ख़रीदी थी, क्यूँकि उनकी पत्नी को लीचियाँ बहुत पसंद थी. कुछ अरसे बाद Renovation के समय उनके कुछ मित्रों ने उसे सलाह दी, उन्हें किसी वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए. उन्हें इन फ़ालतू बातों पर विश्वास नहीं था, फिर भी मित्र का मन रखने के लिए उन्होंने कहा सोचकर बताऊँगा उन का घर Airport के पास ही लिया, हुआ था दोनों ने शहर में अच्छे से होटल खाना खाया,और उसके बाद वो उन्हें अपनी कार में लेकर अपने घर की ओर चल दिए.रास्ते में जब भी कोई कार उन्हे Overtake करने की कोशिश करती, वो उसे रास्ता दे देते दोस्त ने हंसते हुए कहा आप बहुत Safe driving करते हैं. उसने भी हंसते हुए प्रत्युत्तर में कहा लोग अक्सर Overtake तभी करते हैं ।
जब उन्हें कुछ आवश्यक कार्य हो, इसलिए हमें उन्हें रास्ता देना चाहिए. घर के पास पहुँचते-पहुँचते सड़क थोड़ी संकरी हो गयी और उसने कार थोड़ी और धीरे कर ली. तभी अचानक एक हंसता हुआ बच्चा गली से निकला और तेज़ी से भागते हुए उनकी कार के आगे से सड़क पार कर गया, वो उसी गति से चलते हुए उस गली की ओर देखते रहे, जैसे किसी का इंतज़ार कर रहे हों, तभी अचानक उसी गली से एक और बच्चा भागते हुए उनकी कार के आगे से निकल गया, शायद पहले बच्चे का पीछा करते हुए. दोस्त ने हैरान होते हुए पूछा - आपको कैसे पता कि कोई दूसरा बच्चा भी भागते हुए निकलेगा ? उसने बड़े सहज भाव से कहा, बच्चे अक्सर एक-दूसरे के पीछे भाग रहे होते हैं और इस बातपर विश्वास करना संभव ही नहीं कि कोई बच्चा बिना किसी साथी के ऐसी चुहल और भागदौड़ कर रहा हो, दोस्त इस बात पर बहुत ज़ोर से हंसे और बोले की आप निस्संदेह बहुत सुलझे हुए व्यक्ति हैं.घर के बाहर पहुँच कर दोनों कार से उतरे. तभी अचानक घर के पीछे की ओर से 7-8 पक्षी बहुत तेज़ी से उड़ते नज़र आए. यह देख कर उसने से कहा कि यदि उन्हें बुरा न लगे तो क्या हम कुछ देर यहाँ रुक सकते हैं ?
जब कोई व्यक्ति सदा स्वयं से पहले दूसरों का भला सोचने लगे तो अनजाने में ही उसे संतत्वप्राप्त हो जाता है जिसके कारण दूसरों का भला हो रहा होता है व उसे ज्ञानबोध मिल जाता है. भले ही हम प्रण न करें परंतु क़ोशिश अवश्य करें कि हममें भी ऐसे कुछ ना हो जिससे किसी को कभी कोई दिक्कत या परेशानी आए । बहुत सुंदर विचार जब हम सद कर्मों की बात करते हैं तो यह समझा देना जरूरी है कि हमारे द्वारा किसी को मन वचन कर्म से कष्ट न पहुंचे हम स्थूल हिंसा से तो बस लेते हैं ।
दोस्त ने कहा क्यों नहीं कारण जानना चाहा उसने कहा कि शायद कुछ बच्चे पेड़ से लीचियाँ चुरा रहे होंगे ।और हमारे अचानक पहुँचने से डर के मारे बच्चों में भगदड़ न मच जाए, इससे पेड़ से गिरकर किसी बच्चे को चोट भी लग सकती है. कुछ देर चुप रहे, फिर संयत आवाज़ में बोले मित्र, इस घर को किसी वास्तु शास्त्र जाँच और उपायों की आवश्यकता नहीं है. उसने बड़ी हैरानी से पूछा ऐसा क्यूँ ? जहाँ एक दूसरे के प्रति सच्चे मन से ध्यान रखा जाता हो जहां आप जैसे विवेकपूर्ण व आसपास के लोगों की भलाई सोचने वाले व्यक्ति उपस्थित/विद्यमान होंगे - वो स्थान/संपत्ति वास्तु शास्त्र नियमों के अनुसार बहुत पवित्र-सुखदायी-फलदायी होगी. जब हमारा मन व मस्तिष्क दूसरों की ख़ुशी व शांति को प्राथमिकता देने लगे, तो इससे दूसरों को ही नहीं, स्वयं हमें भी मानसिक लाभ-शांति-प्रसन्नता मिलती है ।
जब कोई व्यक्ति सदा स्वयं से पहले दूसरों का भला सोचने लगे तो अनजाने में ही उसे संतत्वप्राप्त हो जाता है जिसके कारण दूसरों का भला हो रहा होता है व उसे ज्ञानबोध मिल जाता है. भले ही हम प्रण न करें परंतु क़ोशिश अवश्य करें कि हममें भी ऐसे कुछ ना हो जिससे किसी को कभी कोई दिक्कत या परेशानी आए । बहुत सुंदर विचार जब हम सद कर्मों की बात करते हैं तो यह समझा देना जरूरी है कि हमारे द्वारा किसी को मन वचन कर्म से कष्ट न पहुंचे हम स्थूल हिंसा से तो बस लेते हैं ।
किंतुवैचारिक हिंसा हमारे मन में कहीं न कहीं बसी होती है अगर हम इससे भी बच जाए तो संसारमें सुख बांट सकते हैं ।,
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