राम-रावण युद्ध के पश्चात जब सीता को लेकर सभी अयोध्या लौटे, वहां उत्सव के संपन्न होने के बाद सीता जी ने अपना सबसे प्रिय मोती का हार हनुमान जी...
राम-रावण युद्ध के पश्चात जब सीता को लेकर सभी अयोध्या लौटे, वहां उत्सव के संपन्न होने के बाद सीता जी ने अपना सबसे प्रिय मोती का हार हनुमान जी को दिया ,हनुमान जी सारे मोतियों को तोड़ तोड़ कर देखने लगते हैं।तभी सीता जी ने कहा बन्दर तो बन्दर ही होते हैं। इतना कीमती हार बर्बाद कर दिया। बंदरों का राज महलों में क्या काम। हनुमान जी ने इतना सुनते ही दुखी मन से कहा मैं तो इसमें प्रभु श्री राम का नाम ढूँढ रहा था ।बिना उनके इस मोती के हार का मेरे लिए क्या मोल। इतना कह वह राजमहल से निकल कर जंगल की तरफ चले गए। मन बहुत दु:खी हुआ ।
वहाँ से निकल कर हनुमान जी पर्वत पर जा अकेले दु:खी मन से बैठे हुए थे। तभी वहां परमात्मा एक बार फिर मुनीन्द्र ऋषि के रूप में आयें ,जो कंगन की खोज के समय कुटिया में मिलें थें। हनुमान जी ने तुरंत पहचान लिया कि ये तो वही ऋषि जी है। हनुमान जी ने कहा आओ ऋषि जी बैठो ,कैसे आना हुआ। मुनीन्द्र ऋषि ने एक बार फिर कहा भक्ति कर लो भगत जी भगवान ही सुख दुःख का रखवाला है। तभी हनुमान जी ने कहा अभी भगवान दशरथ पुत्र के रूप में यहीं अयोध्या में आये हुए हैं ,तब मुनीन्द्र ऋषि जी ने कहा जब वो भगवान हैं ,तो आप उन्हे क्यों छोड़ आये। तब मुनीन्द्र ऋषि ने कहा ,….कि ये तो तीन लोक के देवता हैं। ….असली राम तो कोई और हैं। किसी का भला करने पर इस दुनिया वालों की इतनी सामर्थ्य नहीं है। ….कि वो किसी को कुछ देंगे।
इसके इलावा ऋषि जी ने हनुमान जी को पूर्ण तोर से अपने ज्ञान से संतुष्ट करने की कोशिश की उन्होंने हनुमान जी से कुछ प्रश्न —: पूछे जैसे कि जब आप राम जी और उनकी सेना के साथ सीता जी को ढूंढने जा रहे थे ।तो रास्ते में जब आपको साँपों ने बांध दिया था ,तब भगवान राम क्यों खुद को और सेना को मुक्त नहीं करवा पाए ? उनकी बात सुनकर भगवान हनुमान जी को …..वो घटना याद आ गई और ….उनके मन में भी यह बात खटकी।
उसके बाद उन्होंने कहा जब समुंदर पर पुल बन रहा था ,तो ……पुल क्यों नहीं बन पाया तुम्हारे भगवान राम से ? लेकिन इस पर हनुमान जी ने कहा भगवान राम जी ने …..भेस बदल कर ऋषि के रूप में समुद्र पर पुल बनाया था। इस पर मुनीन्द्र ऋषि ने कहा अगस्त ऋषि ने सातों समंदर पीलिए थे …….,फिर इनमें से कौन समर्थ भगवान है ? उनके इतना बोलते ही हनुमान जी को पुल बनाने की पूरी घटना याद आ गई …..कि कैसे मुनींद्र ऋषि ने पुल बनाया था।
उसके बाद उन्होंने हनुमान जी से पूछा कि ब्रह्मा, विष्णु ,और महेश ,को आप अविनाशी मानते हो तो विष्णु अवतार राम जी धरती पर माँ की कोख से जन्म लेकर आये हैं …..,इस विषय में क्या कहोगे ? ऋषि जी ने जब यह बात कही हनुमान जी को यकीन हो गया …..कि यह पक्का परमात्मा के विषय ऋषि जी ने दिव्य दृष्टि दे कर हनुमान जी को ब्रह्मा ,विष्णु ,और शिव जी, से भी ……ऊपर के लोक के दर्शन वहां बैठे कराएं। तब हनुमान जी को विश्वास हुआ और उन्होंने गुरु से दीक्षा प्राप्त कर पूर्ण परमात्मा की भक्ति शुरू की ,आज वह भक्ति जो हनुमान जी को मिली। अगर आप भी मोक्ष प्राप्त करवाना चाहते हैं। मालिक की आज्ञा का पालन करे। भगवान एक हैं । मुनिद्र भगवान जी ने हनुमान जी का अंधकार का पर्दाफ़ाश किया, वह बहुत प्रसन्न हुए आज भी हमारे साथ हैं, कबीर जी के रूप में भगवान आये हुए हैं ।हम बहुत भाग्यशाली हैं ,उन की शरण में हैं ।प्रभु कृपा सदैव बनी रहें ।
शेष कल—:
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