सद्गुरू हमारे बानियाह,करते वनज व्यवहार । विन डंडी विन पालडे यू, तोल दिया संसार । सद्गुरू यानि विजनस मैन आत्मा का सोदा करते हैं । वग़ैरह तराज...
सद्गुरू यानि विजनस मैन आत्मा का सोदा करते हैं ।
वग़ैरह तराज़ू से पूरे विश्व को तोल दिया तत्व ज्ञान से,
सब को दिखा दिया किस की कितनी औक़ात है ।
कितना वज़न है कितनी वैल्यू है। परमात्मा आप के साथ हैं परमार्थ का कार्य है, निर्भय होकर सेवा करो। इस
भक्ति और इस परमात्मा जी व परोपकारी सेवा के अतिरिक्त कुछ वस्तु अपनी नही। संसार नाशवान है। धर्म ,कर्म की सेवा ,व भक्ति ,अपना धन हैं। परमेश्वर जी अविनाशी है। अपना सच्चा साथी है ,सफलता आप की है ।विश्वास रखना सत्यलोक अपना वास्तविक घर है। संसार यह तो घर्मशाला है। हम सब मुसाफ़िर हैं। एक दिन अवश्य छोड़ कर जाना है। सच्चे दिल से सतलोक व सत्य पुरुष को चाहना है। जहाँ आशा तां बासा होई , मन कर्म वचन सुमरियो सोई। जो मर रहे हैं। वे भी यही आस लगाए जी रहे थे ,अभी नहीं मरेंगे, यह करेंगे, वो करेगे।
आप परमात्मा को याद रख कर चलने की तैयारी रखें। वैसे आप के साथ परमेश्वर जी है। आपको अकाल समय नहीं जाने देंगे। फिर भी परमात्मा व सेवा में भूल नहीं करना हानिकारक होती हैं। असँखयो जन्म आप को कष्ट पर कष्ट भोगते हो गये हैं। अनेकों जन्मों से परमेश्वर जी आपको भक्ति पंथ पर लगा कर शुभ कर्म करवाते रहे। अब आपका अंतिम जन्म है, इस काल में यदि आप मर्यादा में रहकर भक्ति, दान ,सेवा करते रहे। यदि भक्ति,दान,सेवा कम भी बने तो इतनी हानि नही होती जितनी मर्यादा खंड करने से होती हैं। यदि मन लगाकर प्रथम मंत्र की एक माला प्रतिदिन कर लोगे और पाँच माला सतनाम व सारनाम की कर लेगे ।यानि जब तक सार नाम नहीं मिलता,तब तक सतनाम की पाँच माला और सार नाम मिलने के बाद सार नाम की पाँच माला मन लगाकर एकाग्र चित से कर लोगे दान , सेवा मन लगाकर सामर्थ्य से अधिक करो और मर्यादा में रहो ,तो आपने आप को सतलोक में बैठे समझना। यह मालिक ,स्वामी,मेरी आत्मा कबीर जी का वचन है। ब्रह्मांड पलट सकता है। सूर्य पश्चिम से उदय हो सकता है, परन्तु मालिक का यह वचन नहीं पलट सकता। यदि अधिक नाम जाप करोगे तो बहुत अच्छा है। ऊपर बताए तो पास मार्क है, वज़ीफ़ा के लिए घना स्मरण करना पड़ता हैं। यह भी ध्यान रखना है। विश्व की 7 1/2 अरब जनसंख्या में से एकअद्भुत रचना है।संत मिलन को किसी भी यूनि में हो माता-पिता मिल जायेगा ,लेकिन सद्गुरू नहीं मिलेगे काल मई माया ने सब प्राणियों को उलझाया हुआ है। कुछ भी सूजता नही ,सब कुछ त्रिगुणी माया से हम कभी बाहर नहीं निकल सकते। मानव शरीर एक टेलीविजन की तरह है। इस में कमल रूपी चैनल लगे हुये हैं इन कमलों में प्रत्येक चैनल पर प्रभु के प्रसारणो का केन्द्र है। नाम रूपी सद भक्ति कर के चैनलों को औन करना चाहिए ।
एक तेरे दर्शन को प्यासें मेरे दो नैन ,
तेरी एक झलक में तीन लोक का चैन ।
यह सब सद्गुरू जी की कृपा से होना संभव हो सकता है ।
लख लख योजन उड़त है ,ये सुरनर मुनिजन संत ।
लख लख योजन उड़त है ,ये सुरनर मुनिजन संत ।
उँचा धाम कबीर का ,कोई ना पावे अंत ।
ऐसा अविगत राम हैं,कादर आप करीम।
मीरा मालिक मेहरबान ,रमता ,राम रहीम ।
भावार्थ परमपिता परमात्मा दयालु है,सारी सृष्टि का मालिक है सर्वव्यापी है। सदा मेहर की वर्षा करता है ।
उंचे कुल क्या जननियाँ ,जे करनी ऊँच न होये ।
स्वर्ण सुरा ,साधू निन्दै सोय ।
सतगुरु सुन्दर रूप आपारा,सतगुरू तीन लोक से न्यारा ।
सद्गुरू परम पदार्थ पूरा ,सतगुरु बिना न बाजे तूरा ।
रहमत तेरी लिखने जाऊँ ,तो मेरी क़लम छोटी है,मेरे सतगुरु,
आप की महिमा अपरम्पार ।
अपनी जीवन यात्रा को सफल बनाऊ ,ऐसे ही गुरू कृपा बनी रहे। साँसों में रमनेवाले पूर्ण यूनिवर्सल के मालिक को मन की गहराइयों से धन्यवाद करती हूँ।
अपनी जीवन यात्रा को सफल बनाऊ ,ऐसे ही गुरू कृपा बनी रहे। साँसों में रमनेवाले पूर्ण यूनिवर्सल के मालिक को मन की गहराइयों से धन्यवाद करती हूँ।
ऐसा निर्मल तत्व ज्ञान सुन कर मन अति प्रसन्न हुआ ।मालिक
मुझे बुद्धि दे मैं आप की जन्मों जन्मों से की ऋणी हूँ ।
समय की इन्तज़ार में हूँ कैसे धीर धरूँ ।
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