कबीर जी से काल की वार्तालाप - My Jiwan Yatra(Manglesh Kumari )

Page Nav

HIDE

Classic Header

{fbt_classic_header}

Breaking News:

latest

कबीर जी से काल की वार्तालाप

जब तक आप ऋण मुक्त नहीं हो सकते, तब तक आप काल ब्रह्म की जेल से बाहर नहीं जा सकते। इसके लिए जिस समय आप को पृथ्वी पर मानव जीवन प्राप्त हो, ...





जब तक आप ऋण मुक्त नहीं हो सकते, तब तक आप काल ब्रह्म की जेल से बाहर नहीं जा सकते। इसके लिए जिस समय आप को पृथ्वी पर मानव जीवन प्राप्त हो, उस समय आप को मुझसे नाम उपदेश लेकर भक्ति करनी होगी ।
तब मैं आप को छुड़वा कर ले जाऊँगा । हम यह वार्ता कर ही रहे थे ,कि वहाँ पर काल ब्रह्म प्रकट हो गया ।और उस ने बहुत क्रोधित हो कर मेरे ऊपर हमला कर दिया और बोला कि जोगजीत तू मेरे लोक में किस लिए आया । सतलोक से तो तुमने मेरे को मार -पीट कर निकाला था। अब मैं बदला लूँगा । तेरे को मारूँगा। हे धर्म दास तब मैंने अपनी शब्द शक्ति से उस को मूर्छित कर दिया। फिर कुछ समय बाद वह होश में आया।मेरे चरणों में गिरकर क्षमा याचना करने लगा ,और बोला कि आप मुझ से बड़े हो,मुझ पर कुछ दया करो और यह बताओ कि आप मेरे लोक में क्यों आये हो ।तब मैने काल पुरुष को बताया कि कुछ जीवात्माएँ भक्ति करके अपने निज घर संत लोक में वापिस जाना चाहती है। उन्हें सत भक्ति मार्ग नहीं मिल रहा है। इसलिए वे भक्ति करने के बाद भी इसी लोक में रह जाती। मैं उन को सत भक्ति मार्ग बताने के लिए और तेरा भेद देने के लिए आया हूँ ।कि तू काल,एक लाख जीवों का आहार करता है ।और सवा लाख जीवों को उत्पन्न करता है ।तथा भगवान बन कर बैठा है ।मैं इनको बताऊँगा कि तुम जिस की भक्ति करते हो वह भगवान नहीं ,काल है । इतना सुनते ही काल बोला कि यदि सब जीव वापिस चले गए तो मेरे भोजन का क्या होगा। मैं भूखा मर जाऊँगा आप से मेरी प्रार्थना है कि

1- :तीन युगों में जीव कम संख्या में ले जाना और सब को मेरा भेद मत देना कि मैं काल हूँ ,सब को खाता हूँ। जब कलियुग आए ,तो चाहे जितने जीवों को ले जाना ।

2-:अपना ज्ञान बता कर समझाकर जीव ने जाना । ज़ोर -जबर दस्ती कर के ना ले जाना । जो मानव आप के ज्ञान को स्वीकार कर ,वह आप का ,जो मेरे ज्ञान स्वीकार करके साधना करे, वह मेरा । इस प्रकार के कई वचन मेरे से ( जिनका विवरण आगे किया है ) ये वचन काल ने मुझसे प्राप्त कर लिए । कबीर साहेब ने धर्म दास को आगे बताते हुए कहा कि सतयुग ,त्रेतायुग,द्वापरयुग, में भी मैं आया था । और बहुत जीवों को सतलोक लेकर गया लेकिन इसका नहीं बताया ।अब मैं कलियुग में आया हूँ । और काल से मेरी वार्ता हुई हैं ।काल ब्रह्म ने मुझ से कहा कि अब आप चाहे जितना ज़ोर लगा लेना , आप की बात कोई नहीं सुनेगा ।

प्रथम ,तो मैंने जीव को भक्ति के लायक़ ही नहीं छोड़ा है ।उन में बीड़ी ,सिगरेट, शराब, मांस, आदि दुर्व्यसन की आदत डाल कर इनकी वृत्ति को बिगाड़ दिया है ।नाना प्रकार की पाखण्ड पूजा में जीवात्माओं को लगा दिया है । दूसरी बात यह होगी कि जब आप अपना ज्ञान देकर वापिस अपने लोक में चले जाओगे

तब मैं (काल )अपने दूत भेज कर आपके नाम (कबीर पंथ) से बारह पंथ चलाकर जीवों को भ्रमित कर दूँगा ।और भी अनेक नक़ली पंथ अपने काल दूतों से चलाऊँगा। जिस कारण से वे महिमा तो सतलोक की बताएँगे,आप का बताया  ज्ञान कथेगे लेकिन नाम-जाप मेरा करेगे ,
 जिस के परिणाम स्वरूप मेरा ही भोजन बनेंगे ।
यह बात सुन कर कबीर साहेब ने कहा कि आप अपनी कोशिश करना मैं सतमार्ग बताकर ही जीवों को वापिस ले जाऊँगा ।और जो मेरा ज्ञान सुन लेगा ,वह तेरे बहकावे में कभी नहीं आएगा ।

सतगुरु कबीर साहेब ने कहा कि हे निरंजन ।यदि मैं चाहूँ तो तेरे सारे खेल को क्षणभर में समाप्त कर सकता हूँ,। परंतु ऐसा करने से मेरा वचन भंग होता है । यह सोच कर मैं अपने प्यारे हँसो को यथार्थ ज्ञान देकर शब्द का बल प्रदान करके सत लोक ले जाऊँगा। समय बहुत भयंकर चल रहा है ।जितनी नाम रूपी धन राशि इकट्ठी हो जाये ,उतना ही आप को पूर्ण लाभ होगा । 
अब समय बहुत कम है ।अपने मालिक ,इष्ट देव ,पूजनीय परम पिताजी की आज्ञा का पालन करते रहे ।हम भाग्यशाली है
मालिक हमारे साथ है इस  युग में वह अपनी अच्छी आत्मायो को चुन कर सतलोक ले जायेगें , निरन्तर नाम रूपी शब्द का ध्यान ,जप ,दान,तप ,करे चिन्तन व मनन करें ।मेरे महबूब, मेरी जान ,मेरी आत्मा,आप की मौज आप ही जाने, हम तेरी रज़ा में ही रहेगे ।आप जी का आशीर्वाद पल 2 हमारे साथ है ।आप जी के होते चिन्ता नहीं,चिन्तन की अवश्यकता है ।

शेष कल 




No comments